ललित मौर्या
दुनिया में बढ़ते तापमान ने एक बार फिर अपने होने के सबूत दिए हैं। यूरोपियन यूनियन की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस ने अपनी नई रिपोर्ट में पुष्टि की है कि पिछला महीना जलवायु इतिहास का अब तक का दूसरा सबसे गर्म अप्रैल का महीना था।
अप्रैल 2025 में सतह का वैश्विक औसत तापमान 14.96 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जोकि औद्योगिक काल (1850 से 1900) से पहले की तुलना में 1.51 डिग्री सेल्सियस अधिक है। वहीं यदि 1991 से 2020 के बीच अप्रैल के औसत तापमान से तुलना करें तो अप्रैल 2025 में तापमान 0.6 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। गौरतलब है कि अब तक का सबसे गर्म अप्रैल का महीना 2024 में दर्ज किया गया था। वहीं यदि अप्रैल 2024 की तुलना 2025 में अप्रैल के औसत तापमान से करें तो वो महज 0.07 डिग्री सेल्सियस अधिक था। वहीं दूसरी तरफ अप्रैल 2025, 2016 में अप्रैल के तापमान से 0.07 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म रहा।

जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान का असर किस कदर हमारी धरती पर हावी हो चुका है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह लगातार 21वां महीना है जब वैश्विक तापमान औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।
मतलब की हर गुजरते महीने के साथ 1.5 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य हमारी पहुंच से दूर होता जा रहा है। मई 2024 से अप्रैल 2025 के बीच 12 महीनों के औसत तापमान को देखें तो वो औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.58 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है। वहीं यदि 1991-2020 के मुकाबले देखें तो यह 0.7 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया है।
इस दौरान यूरोप में भी स्थिति असामान्य रही। यूरोप में औसत तापमान 9.38 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से 1.01 डिग्री सेल्सियस अधिक था। आंकड़ों की मानें तो पिछले महीना यूरोप का छठा सबसे गर्म अप्रैल का महीना था।
इस दौरान पूर्वी यूरोप, पश्चिमी रूस, नार्वे और कजाकिस्तान में तापमान सामान्य से काफी ऊपर रहा, जबकि दूसरी तरफ तुर्की, बुल्गारिया, रोमानिया और उत्तरी स्कैंडिनेविया में कुछ इलाकों में सामान्य से अधिक ठन्डे रहे। यूरोप के बाहर, सबसे ज्यादा गर्मी रूस के सुदूर पूर्व और पश्चिम-मध्य एशिया के बड़े हिस्से में दर्ज की गई। उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों, अंटार्कटिका प्रायद्वीप और पश्चिम अंटार्कटिका में भी तापमान सामान्य से ऊपर रहा। वहीं, दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी हिस्से, पूर्वी कनाडा (ग्रेट लेक्स और हडसन बे इलाके), पूर्वोत्तर ग्रीनलैंड, स्वालबार्ड, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी अंटार्कटिका में तापमान सामान्य से नीचे दर्ज किया गया।

धरती ही नहीं उबल रहे हैं समुद्र
ऐसा नहीं है कि सिर्फ धरती ही गर्म हो रही है। इसके साथ ही समुद्र भी उबल रहे हैं। समुद्र का बढ़ता तापमान भी चिंता का विषय बना हुआ है। अप्रैल में भूमध्य रेखा के दोनों ओर समुद्रों का औसत तापमान 20.89 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया है। मतलब की यह दूसरा मौका है जब अप्रैल में समुद्र का औसत तापमान इतना अधिक दर्ज किया गया है। इससे पहले अप्रैल 2024 में समुद्र का तापमान इतना अधिक दर्ज किया गया था। हालांकि अप्रैल 2025 में वो पिछले रिकॉर्ड से महज 0.15 डिग्री सेल्सियस कम है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि कई महासागरों और समुद्रों में तापमान सामान्य से काफी ज्यादा रिकॉर्ड किया गया। खासकर, उत्तरी अटलांटिक महासागर के उत्तर-पूर्वी हिस्सों में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी दर्ज की गई। भूमध्य सागर भी औसत से काफी गर्म रहा, हालांकि इस दौरान मार्च जैसा गर्मी नहीं पड़ी।
कहीं भारी बारिश, तो कहीं पड़ा सूखा
ध्रुवों पर जमा बर्फ की स्थिति पर नजर डालें तो अप्रैल 2025 में आर्कटिक में जमा समुद्री बर्फ सामान्य से तीन फीसदी कम रही। यह पिछले 47 वर्षों में अप्रैल के लिए छठा सबसे कम स्तर है। इससे पहले लगातार चार महीने बर्फ का स्तर रिकॉर्ड निचले स्तर पर रहा।
इस दौरान बारेंट्स सागर और ओखोत्स्क सागर में बर्फ सबसे कम रही, जबकि ग्रीनलैंड सागर में सामान्य से ज्यादा बर्फ रिकॉर्ड की गई। वहीं अंटार्कटिका में जमा समुद्री बर्फ की स्थिति को देखें तो वो सामान्य से 10 फीसदी कम रही, जो अप्रैल के लिए अब तक का दसवां सबसे कम स्तर है।
चरम मौसमी घटनाओं के बारे में रिपोर्ट ने जानकारी दी है कि मध्य यूरोप, ब्रिटेन, फिनलैंड, उत्तरी अमेरिका एशिया के कुछ हिस्से, मडागास्कर, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्से सामान्य से अधिक शुष्क थे। दूसरी तरफ अल्पाइन क्षेत्र, दक्षिणी यूरोप, फिनलैंड, कनाडा, अलास्का, रूस, दक्षिणी अफ्रीका और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में भारी बारिश, बाढ़, भूस्खलन और हिमस्खलन जैसी घटनाएं रिकॉर्ड की गई।
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )