प्रणति तिवारी

देश के स्‍वतंत्रता आन्‍दोलन के सबसे बड़े नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज 126वीं जयंती है. पूरा देश इस दिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाता है. तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा, जय हिन्‍द जैसे कई नारों से देश की आजादी की लड़ाई में नई ऊर्जा भरने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्‍म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था. नेताजी की जिंदगी और उनका देश के लिए त्‍याग युवाओं के लिए आज भी प्रेरणादायक है. यही वजह है कि आज आजादी के इस महानायक की याद में देश उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है.

सुभाषचंद्र बोस के विचारों से देश के करोड़ों लोग हमेशा प्रेरित हुए हैं. जीवन में सफलता और असफलताओं पर बात करते हुए एक बार उन्‍होंने कहा था- ‘सफलता, हमेशा असफलता के स्तम्भ पर खड़ी होती है.’

नेताजी जिस काम को करने की ठान लेते थे, उसे किसी भी कीमत पर करते थे. किसी भी चीज को हासिल करने के लिए उसे पाने की सनक पर नेता जी ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा था- ‘जिस व्यक्ति के अंदर ‘सनक’ नहीं होती वो कभी महान नहीं बन सकता.’

देश को एकजुट करने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस हमेशा प्रयासरत रहे. उन्‍होंने अन्‍याय सहना और गलत के साथ समझौता करने को लेकर कहा था-‘सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है.’

‘उच्च विचारों से हमेशा कमजोरी दूर होती है’. नेताजी के ऐसे विचार लोक जन के दिलों में बस गए और आज भी ये विचार युवाओं के लिए प्रेरणादायक हैं.

असफलताओं से निराश न होने पर एक दिन सफलता जरूर मिलती है. सुभाष चंद्र बोस ने कहा था- ‘सफलता का दिन दूर हो सकता हैं, लेकिन उसका आना अनिवार्य ही है.’ ऐसे में लोगों को हमेशा सफलता के लिए कोशिश करनी चाहिए.

   ( न्यूज 18 हिन्दी से साभार )

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