जंगलों के विनाश को रोकने के लिए उनकी बहाली के लिए वृक्षारोपण की गतिविधियां पर हुए अध्ययन में पाया गया है कि इसके लिए रोपे गए पौधों में से आधे से अधिक जीवित नहीं रह पाते हैं. दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के कई वनीकरण कार्यक्रमों के आंकड़ों और अन्य कारकों का अध्ययन कर विशेषज्ञ इस नतीजे पर पहुंचे.

जंगलों का विनाश जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है. वायुमडंल में बढ़ते कार्बनडाइऑक्साइड स्तरों के कारण पेड़ों लगाना या वनीकरण की प्रक्रिया को स्वाभाविक तौर पर बहुत मुफीद माना जाता है क्योंकि पेड़ वायुमडंल की CO2 अवशोषित कर कार्बन अपने अंदर संरक्षित कर लेते हैं. इसके अलावा पेड़ लगाने से पारिस्थितिकी तंत्रों को पुनर्स्थापित करने में मदद मिलती है.लेकिन एक अध्ययन में पता चला है कि वृक्षारोपण अभियानों में लगाए गए पौधों में से आधे से ज्यादा पेड़ जिंदा नहीं रह पाते हैं.

वृक्षारोपण जो अलग-अलग जगह लगाए जाते हैं यानि बिखरे हुए इलाकों में लगाए जाते हैं. इनका रखरखाव बहुत महंगा पड़ता है. ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि यह अच्छे से समझा जाए कि वृक्षारोपण के सफल होने के लिए सबसे अच्छे हालात कौन से होंगे. अतरराष्टीय वैज्ञानिकों की टीम ने एशिया के कटिबंधीय और उप कटिबंधीय क्षेत्रों के 176 स्थलों में पुनर्वनीकरण कार्यक्रमों की सफलता की समीक्षा की और उन्होंने बचे हुए पेड़ों की रिकॉर्ड की पड़ताल की.

शोधकर्ताओं ने विशेष रूप से पेड़ों के बचने, उनकी वृद्धि, वनों की संरचना और वृक्षारोपण में विविधता का अध्ययन किया. उन्होंने पेड़ों को प्रभावित करने वाले कारकों की जानकारी भी हासिल की जिसके साथ पौधों को रोपने की विधि, रोपते समय उनकी ऊंचाई, पौधों का घनत्व, जैसे आंकड़े भी जुटाए जिससे पुनर्वनीकरण की सफलता असफलता से उनका संबंध पता चल सके.

शोधकर्ताओं ने दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के स्थलों में रोपे गए 221,199 पौधों के आंकड़े जुटाए. इनमें से 207,224 पर बचे रहने के लिहाज से और 102412 की वृद्धि पर नजर रखी गई.फिलोसिफकल ट्रांजेक्शन्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी: बायोलॉजीकल साइंसेस में प्रकाश विश्लेषण में बताया गया है कि 18 फीसद छोटे पौधे एक साल के भीतर ही मर गए. और यह मृत्यु दर पांच साल में 44 फीसद तक पहुंच गई. जहां कुछ स्थलों में 80 फीसद पौधे जीवित बचे रह गए. वहीं कुछ जगहों पर इतने ही फीसद जीवित नहीं रह सके.

नीति निर्माताओं को पता है कि वनों की मरम्मत जैविविधता और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने का एक प्रभावी उपाय है. क्योंकि बढ़ते पेड़ कार्बन को संग्रहित करते हैं और अहम आवासों को सहारा देने का काम करते हैं. इस पूरे अध्ययन में मुख्य रूप से यही पाया गया कि रोपे गए पौधों में से अधिकांश लंबे समय में नहीं बच पाते हैं और वनीकरण के लक्ष्य पूरी तरह से हासिल नहीं हो पाते हैं.

विश्लेषण में इस बात का खुलासा नहीं हो सका कि अलग अलग स्थलों की सफलता की दर अलग क्यों थीं और इसके लिए कौन से कारक जिम्मेदार थे. पेड़ों का बचना या ना बचना स्थल विशेष पर बहुत निर्भर करता था. इससे जाहिर होता है कि पर्यारवणीय कारकों के अलावा सामाजिक और अन्य कारकों का भी इस पर असर होता है. लेकिन इनमे पौधों का घनत्व, स्थल का चयन, चरम मौसमी घटनाएं, प्रबंधन और रखरखाव आदि प्रमुख कारक थे.

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