अनिल अश्वनी शर्मा

देश भर में इन दिनों शादी का मौसम अपने चरम पर है। ऐसे में इससे होने वाले शोर प्रदूषण की समस्या से हर इंसान पूरे 24 घंटे जूझ रहा है। इस प्रकार के शोर के खिलाफ जब भी कोई आवाज उठाता है तो उसकी न के बराबर सुनवाई होती है।

दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों इस शोर के कारण कई लोगों की मौत भी चुकी है। छत्तीसगढ़ में कुछ माह पूर्व ऐसे ही एक व्यक्ति ने अत्याधिक शोर के कारण दम तोड़ दिया था या इस प्रकार की घटनाओं का विरोध करने पर लोगों की जान भी चली जाती है।

भोपाल में दस दिसंबर 2024 को एक दिहाड़ी मजदूर की हत्या कुछ लोगों ने केवल इसलिए कर दी कि वह उन्हें शोर करने से रोक रहा था। हालांकि इस प्रदूषण के खिलाफ बहुत कम पुलिस कार्रवाई देखने को मिलती है लेकिन इस संबंध में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर की ट्रैफिक पुलिस पिछले एक माह से बाइकर्स के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है और उसने अब तक दो हजार से अधिक मोडिफाइड साइलेंसर के ऊपर बुल्डोजर चला कर नष्ट कर दिया है।

ध्यान रहे कि आए दिन सड़कों पर इन मोडिफाइड साइलेंसरों को लगाकर बाइकर्स जहां-तहां तेज आवाज के साथ सड़कों पर तेजी से निकलते हैं, जिससे आसपास के दूसरे वाहन चालक घबराहट में कई बार एक्सीडेंट कर बैठते हैं। अकेले मध्य प्रदेश के इंदौर शहर की पुलिस ने ही नहीं देशभर के कई और राज्यों में पुलिस ने ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई की है। शोर को कम करने के लिए दिल्ली पुलिस ने 2022 में प्रेशर हॉर्न, संशोधित साइलेंसर और अत्यधिक हॉर्न बजाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने प्रेशर हॉर्न और संशोधित साइलेंसर का उपयोग करने वाले ड्राइवरों को दंडित करने के विशेष अभियान भी समय-समय पर चलाती है। वहीं दूसरी ओर बेंगलुरु पुलिस ने 2022 में 301 मस्जिदों, मंदिरों, चर्चों और अन्य संस्थानों को निर्धारित डेसिबल स्तरों के भीतर लाउडस्पीकर का उपयोग करने के लिए अधिसूचनाएं जारी की थीं।

यही नहीं बेंगलुरु पुलिस ने 2022 में 301 मस्जिदों, मंदिरों, चर्चों और अन्य संस्थानों को स्वीकार्य डेसिबल स्तरों के भीतर लाउडस्पीकर का उपयोग करने के लिए नोटिस भी जारी किया था।

हालांकि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में मुख्यमंत्री के आदेशों के बावजूद एक सरकारी जांच से ही यह भी पता चला है कि राज्य के कानून प्रवर्तन के कई सदस्यों के पास व्यवस्थित स्तर पर ध्वनि प्रदूषण की निगरानी और समाधान करने के लिए प्रशिक्षण या संसाधन की कमी है।

ध्यान रहे कि इन दिनों मेट्रो शहरों सहित कई छोटे-बड़े शहरों में निर्धारित शोर की सीमा से कई गुना अधिक शोर कि स्थिति बनी हुई है। इस संबंध में जनवरी 2023 में अर्थ 5आर संगठन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में 15 भारतीय शहरों के शांत और आवासीय क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण की जांच की और पाया कि शोर का स्तर 50 डीबी (डेसिबल) की निर्धारित सीमा से लगभग 50 प्रतिशत अधिक था।

अर्थ5आर की रिपोर्ट के अनुसार ध्वनि प्रदूषण एक असहनीय ध्वनि है जो पशु और मानव व्यवहार को प्रभावित कर सकती है। स्वास्थ्य चेतावनियों के अनुसार दिन के समय शोर का स्तर 65 डीबी से नीचे रखा जाना चाहिए और रात के समय 30 डीबी से अधिक नहीं होना चाहिए। 2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वास्थ्य कारणों से यातायात शोर को 53 डीबी तक सीमित कर दिया था।

ध्यान रहे कि कार के हॉर्न में 90 डीबी और बस के हॉर्न 100 डीबी का शोर होता है। शहरों के ऊपर से गुजरने वाले हवाई जहाजों की संख्या राजमार्गों पर चलने वाली कारों से कम है, लेकिन हर विमान 130 डीबी ध्वनि उत्पन्न करता है।

ड्रिलिंग जैसी निर्माण गतिविधियां 110 डीबी ध्वनि प्रदूषण उत्सर्जित करती हैं। कुत्ते के चीखने या भौंकने से 60-80 डीबी की ध्वनि उत्पन्न होती है। रिपोर्ट के अनुसार 45 डीबी से अधिक शोर नींद में खलल डालता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 70 डीबी से कम ध्वनि की तीव्रता से जीवों को कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन 85 डीबी से ऊपर के शोर स्तर में लंबे समय तक रहना खतरनाक हो सकता है।

घ्वनि प्रदूषण के शोर के स्तर पर विश्व के पहले दस शहरों में दूसरे नंबर पर भारत का मुरादाबाद शहर आता है। यहां अधिकतम शोर का स्तर 114 डीबी और न्यूनतम 29 डीबी हैं। जबकि विश्व में सबसे अधिक शोर करने वाला शहर बांग्लादेश का ढाका है।

वहीं पाकिस्तान का इस्लामाबाद तीसरे पायदान पर है। न्यूयार्क इस सूची में दसवें नंबर पर आता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आगामी 2050 तक 2.5 अरब की आबादी घ्वनि प्रदूषण के कारण सुनने की क्षमता खो देगी। 2021 तक विश्वभर में 43.2 करोड़ व्यस्क इससे पीड़ित पाए गए थे। इनमें 3.4 करोड़ बच्चों की संख्या है।

       (‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )

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