दयानिधि
शोध में कहा गया है कि वायु प्रदूषण का उच्च स्तर दिल के दौरे के खतरों को बढ़ाने के लिए जिम्मेवार है। हालांकि जनसांख्यिकी, वायु प्रदूषण के प्रकार और दिल के दौरे के प्रकार के आधार पर ये खतरे किस तरह अलग होते हैं, यह स्पष्ट नहीं है।
शुरुआती अध्ययनों से अलग-अलग परिणाम सामने आए हैं। इन संबंधों को सामने लाना अतिआवश्यक है, क्योंकि जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन का स्वरूप बिगड़ता है, वायु प्रदूषण के साथ-साथ गर्मी जैसे अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ने की भी आशंका है।
शोध में कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने अमेरिका में 18 से 55 वर्ष की आयु के 2,322 रोगियों से दिल के दौरे के आंकड़े लिए। इनमें लगभग 70 फीसदी रोगी महिलाएं थीं, एक ऐसी आबादी जिसको पिछले शोध में महत्व नहीं दिया गया। शोधकर्ताओं ने रोगियों के घरों के पास ओजोन और पीम2.5, (2.5 माइक्रोमीटर या उससे छोटे व्यास वाले हवा में फैलने वाले कण) के समवर्ती स्तरों के साथ-साथ दिल के दौरे की घटना का अध्ययन किया।
शोधकर्ताओं ने अलग-अलग प्रकार के दिल के दौरे का अलग-अलग विश्लेषण किया। टाइप-वन दिल के दौरे प्लाक बिल्डअप और रक्त के थक्के बनने के कारण होते हैं, जबकि टाइप-टू दिल के दौरे निम्न रक्तचाप जैसी स्थितियों के कारण होते हैं, जो थक्का बनने के बिना ऑक्सीजन की आपूर्ति को कम करता है।
एक सेगमेंट एलिवेशन मायोकार्डियल इंफार्क्शन (एसटीईएमआई) तब होता है जब एक पूरी तरह से अवरुद्ध धमनी खून के प्रवाह को रोक देती है और एक विशिष्ट इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) पैटर्न का कारण बनती है। एक बिना सेगमेंट एलिवेशन मायोकार्डियल इंफार्क्शन तब होता है जब एक धमनी आंशिक रूप से अवरुद्ध हो जाती है, जिससे एसटीईएमआई में देखे गए समान स्पष्ट ईसीजी में बदलावों को उत्पन्न किए बिना खून का प्रवाह कम हो जाता है।
जियोहेल्थ पत्रिका में प्रकाशित शोध में पाया गया कि भारी ओजोन स्तर चार से पांच दिनों के बाद दिल के दौरे में वृद्धि से जुड़ा हुआ था, हालांकि उन्हें पीएम2.5 के स्तर के साथ कोई संबंध नहीं मिला। शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया कि ओजोन का स्तर टाइप-टू दिल के दौरे और बिना एसटीईएमआई दिल के दौरे के साथ अधिक मजबूती से जुड़ा था और उन्हें ओजोन के स्तर और एसटीईएमआई दिल के दौरे के बीच कोई संबंध नहीं मिला।
इसके अलावा जो हिस्पैनिक नहीं थे और अश्वेत रोगियों में बिना हिस्पैनिक गोरों की तुलना में ओजोन के अधिक स्तर और दिल के दौरे के बीच अधिक मजबूत संबंध देखा गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय दिशा-निर्देश से नीचे के स्तर पर ओजोन के साथ भी ओजोन और दिल के दौरे के बीच बड़ा संबंध पाया गया।
शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि शोध के निष्कर्ष कुछ पिछले शोधों के विपरीत हैं। उदाहरण के लिए, शोध के परिणाम वायु प्रदूषण और बिना-एसटीईएमआई दिल के दौरे के बीच संबंध की ओर इशारा करते हैं और उन्हें पीएम2.5 और दिल के दौरे के बीच कोई संबंध नहीं मिला।
शोध में कहा गया है कि विश्लेषण से यह भी पता चला कि गर्म महीनों बनाम ठंडे महीनों में ओजोन के स्तर और दिल के दौरे के बीच सहसंबंध में थोड़ी, हालांकि सांख्यिकीय रूप से कम, मजबूती देखी गई है, जिसके बारे में उनका कहना है कि जलवायु परिवर्तन के तहत दिल के दौरे में वृद्धि का अनुमान लगाया जा सकता है।
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )