प्रतीति पांडे
ब्रिटिश डॉक्टर सीमस कोइल पिछले कई सालों से कैंसर के मरीज़ों पर शोध कर रहे थे और अब वे एक ऐसे आविष्कार तक पहुंच गए हैं, जिससे इंसान की मौत का सही वक्त पता चल सकेगा. जानिए, कैसे पता चल जाएगा मौत का सही डेट.
विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली है कि जो चीज़ें हमारे लिए कल तक अनजानी थीं, उन्हें आज जाना और समझा जा सकता है. फिर भी कुछ चीज़ें हैं, जिन्हें आज भी भगवान की मर्ज़ी ही माना जाता है. मसलन किसी बच्चे का जन्म और इंसान की मृत्यु जैसी चीज़ें कुदरत के हाथ में ही मानी जाती हैं. बच्चे के जन्म को लेकर तो विज्ञान ने काफी कुछ अपने नियंत्रण में कर लिया है लेकिन मौत आज भी ईश्वर की इच्छा से ही होती है.
हालांकि अब एक डॉक्टर ने दावा किया है कि वो इंसान की मौत का सही वक्त बता सकते हैं. ब्रिटिश डॉक्टर सीमस कोइल पिछले कई सालों से कैंसर के मरीज़ों पर शोध कर रहे थे और अब वे एक ऐसे आविष्कार तक पहुंच गए हैं, जिससे इंसान की मौत का सही वक्त पता चल सकेगा. डॉक्टर का दावा है कि उन्होंने एक ऐसा मॉडल विकसित कर लिया है, जिसके ज़रिये वे कैंसर से जूझ रहे मरीज़ों की मौत का सटीक समय बता सकते हैं.
मौत का बिल्कुल सटीक समय पता चलेगा
डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक 53 साल के डॉक्टर सीमस कोइल अपने सालों के शोध के बाद एक ऐसा मॉडल विकसित करने में कामयाब हो चुके हैं, जिसके ज़रिये कैंसर पीड़ित मरीज़ की मौत का सही समय बताया जा सकेगा. अब वे उस टेस्ट को विकसित करने में जुटे हैं, जिसके ज़रिये परिवार पालों को ये पता चल सकेगा कि उन्हें अपने प्रियजन को आखिरी विदाई जीतेजी कब देनी है. (The Clatterbridge Cancer Centre) में कंसल्टेंट के तौर पर काम करके डॉक्टर सीमस अपने प्रयासों के ज़रिये लोगों को कैंसर के लक्षणों को शुरुआत में ही समझने में मदद कर रहे हैं.
कम से कम आखिरी विदाई मिल सकेगी
इस सिस्टम के ज़रिये अगर मरीज़ों के परिजनों को उनकी मौत के सही वक्त का अंदाज़ा होगा तो वे आखिरी वक्त में उनके साथ रह सकेंगे. डॉक्टर सीममस कहते हैं कि लंबे वक्त से कैंसर पर रिसर्च हो रही है, लेकिन अब तक कोई भी ये सही-सही नहीं बता पाता था कि मरीज़ की मौत कब होगी. इसे लेकर डॉक्टरों का अपना अंदाज़ा होता था और आखिरी वक्त में कई बार परिजन मरीज़ के पास नहीं होते थे. (International Journal of Molecular Sciences) में छपी उनकी रिपोर्ट के मुताबिक मरीज़ के यूरिन से उनकी मौत का सही वक्त पता चल जाता है. ये जानने के बाद मरीज़ खुद तय करेंगे कि वे अपने घर में शांति से इस दुनिया से जाना चाहेंगे या फिर उन्हें अस्पताल में रहना है.
(‘न्यूज 18 हिन्दी’ से साभार )