विकास शर्मा
वैज्ञानिकों ने इंसानों के बालों के रंग बने रहने और बदलने की प्रणाली की विस्तार से पता गया है. इस खोज से अब वैज्ञानिक बालों के सफेद या भूरे होने की प्रक्रिया को ही रोक या पलटने में सक्षम हो जाएंगे जिससे सफेद बाल पुरानी बात हो जाएगी.
“मैंने अपने बाल धूप में सफेद नहीं किए हैं!” जल्दी ही यह कहावत एक कल्पना ही रह जाएगी. यानी लोगों के सिर पर सफेद बाल सिर्फ ख्वाब या फिर मेकअप तक सीमित रह जाएंगे. एक अभूतपूर्व अध्ययन में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी ग्रॉसरूप स्कूल ऑफ मेडिसिन ने इसांनी बालों की सफेदी के कारणों पर नई रोशनी डाली है. अध्ययन में खुलासा हुआ है कि रोमछिद्रों में पाए जाने वाले मेलनोसाइट स्टेम सेल (एमसीएससी) में इंसान की उम्र के साथ रोमछिद्रों और वृद्धि करने वाले हिस्सों के बीच गतिमान रहने की क्षमता कम होती जाती है. इसका अंततः बालों के रंग पर पड़ता है. शोध ने बालों में रंग लाने की प्रक्रिया की प्रणाली को बेहतर समझने में मदद की है. जिससे इंसान के सफेद होते बालों के उपचार की संभावनाएं भी खुली हैं.
नेचर में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्तओं ने इंसानऔर चूहों की चमड़ी की एमसीएससी पर ध्यान केंद्रित किया. इन कोशिकाओं के परिपक्वता से ही बालों के रंग का निर्धारण होता है. ये बढ़ती तो हैं, लेकिन तब तक सक्रिय नहीं होतीं जब तक उनके पिग्मेंट को पैदा करने के लिए जिम्मेदार परिपक्व कोशिकाओं में बदलने के लिए संकेत नहीं मिलते हैं. ये कोशिकाएं परिपक्वता के दौरान गतिमान होने के साथ बहुत सी अवस्थाओं में बदल सकती हैं
सामान्य बालों की वृद्धि के दौरान एमसीएससी पुरानी स्टेम सेल की अवस्था से परिपक्वता के अगले चरण में सतत बदलती रहती हैं. लेकिन उम्र के साथ बहुत सी एमसीएससी स्टेम कोशिका के खानों में फंसती जाती हैं जिसे बालों के रोमछिद्रों का फुलाव कहते हैं. यहां ये गतिहीन होते हैं और बढ़ने की अवस्था में परिपक्व नहीं हो पाते हैं इससे वे वापस अपने खानों में नहीं लौट पाते हैं जहां उनका रंग उन्हें वापस नहीं मिल पाता है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि उनका अध्ययन हमारी उस मूल जानकारी को बेहतर करता है कि कैसे मेलनोसाइट स्टेम कोशिकाएं बालों को रंगने का काम करती हैं. यह प्रणाली सुझाती है कि इसी तरह से इंसानों के एमसीएससी की स्थिति स्थिर हो जाती होगी और ऐसे में यह प्रणाली इंसान के बालों के सफेद होने की प्रक्रिया को उलटने या रोकने का सक्षम रास्ता प्रदान कर सकती है. ऐसा रोमछिद्रों के खानों में रुकी हुई कोशिकाओं को फिर से सक्रिय कर हासिल किया जा सकता है.
शोधकर्ताओं ने पाया है कि मेलनोसाइटज स्टेम सेल (एमसीएससी) बालों के रंग को कायम रखने में अहम भूमिका निभाती हैं. रोमछिद्रों में खानों के बीच एमसीएससी की गतिविधि करने की क्षमका गंवाने से ही बालों में सफेदी आती है. वहीं रोमछिद्र बनाने वली स्टेम कोशिकाओं में इस तरह की गतिमानता नहीं होती है जैसी कि एमसीएससी में देखी जाती है. दूसरी कोशिकाएं केवल एक ही दिशा में गतिमान होती हैं. अपने प्रयोगों में शोधकर्ताओं ने वास्तव मे चूहों की बालों को तोड़ कर उनमें फिर से वृद्धि करके देखी. उन्होंने पाया कि एमसीएससी संकेतों के अभाव में खुद की फिर से वृद्धि नहीं कर सकीं. इससे उनके पिंगमेंट पैदा करने की क्षमता पर भी असर पड़ा.
शोधकर्ताओं का कहना है कि एमसी एससी कोशिकाओं की गिरगिट के जैसी कार्यपद्धति ही बालों के सफेद होने या रंग गंवाने की वजह हो सकती है. इससे पता चलता है कि इन कोशिकाओं की गतिमान रहने की क्षमता और पलटने योग्य अवलकन बालों को सेहतमंद और रंग में बनाए रखते हैं. अब शोधकर्ता इसी दिशा में काम कर रहे हैं और इसके लिए वे 3डी इंट्रावाइटल-इमेजिंग एंड एससी आरएनए –सीक्वेंसिंग तकनीक का उपयोग करेंगे, जिससे वे पूरी प्रक्रिया पर नजर रख सकें.
(‘न्यूज़ 18 हिंदी’ के साभार )