भारत के सर्दी के दिनों में उत्तर पश्चिम से आने वाली हवाएं उत्तर भारत के मैदानों के मौसम का मिजाज बिगाड़ देती हैं जिन्हें वेस्टर्न डिस्टर्बेंस कहते हैं. इसी की वजह से उत्तर भारत में कहीं कहीं सर्दियों के मौसम में बारिश देखने को मिलती है और सर्दी के तेवर और ज्यादा तीव्र हो जाते हैं. इस साल भी इस तरह का प्रभाव बार बार दिखाई दे रहा है.
भारत में नए साल में आगमन के बाद से ही मौसम के उतार चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं. इसके बावजूद देश में ठंड की तेवर चढ़े हुए हैं. जब भी ठंड तेज होती है तो वह अपना तीखा असर दिखाती नजर आ रही है और बीच बीच में बारिश का तड़का भी मौसम के मिजाज को खराब करने का काम करता है. मौसम का ऐसा मिजाज पश्चिमी विक्षोभ यानि वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की वजह से होता है. सर्दियों के मौसम में ठंड का तीखा होना और कहीं कहीं बारिश भी होने की वजह यही विक्षोभ है. तो आइए जानते हैं कि यह डिस्टर्बेंस है क्या?
तेज होती ठंडक
इस महीने उत्तर भारत में बहुत ज्यादा ठंड देखने को मिले. कई इलाकों में सामान्य से 2 डिग्री या उससे भी ज्यादा कम तापमान देखने को मिला तो कहीं बारिश ने भी मौसम बिगाड़ने कर रख दिया. दस दिन पहले तो फतेहपुर सीकर में तापमान -4.5 डिग्री तक पहुंच गया था.
क्या होते हैं पश्चिमी विक्षोभ
पश्चिमी विक्षोभ वे तूफान होते हैं जो कैस्पियन या भूमध्य सागर से बनते हैं और भारत के उत्तर पश्चिमी इलाको में असामान्य मौसम की बारिश और ठंडक लाने का काम करते हैं. ये वास्तव में तेज बर्फीली हवाएं होती हैं जो अपने साथ नमी लाती हैं और भूमध्यसागर से निकल कर ईरान, इराक, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से होते हुए भारत के मैदानों में पहुंच कर अपना असर दिखाती हैं.
सुदूर पश्चिमी हवाओं का असर
एशिया के पश्चिम में एक कम दबाव का क्षेत्र बनता है जो असल में ऊंची हवाओं में पश्चिमी हवाओं की स्थिति बना देता है जिससे हवाएं पूर्व की ओर चलती हैं जिन्हें वेस्टर्ली विंड या पश्चिमी हवाएं भी कहते हैं. ये हवाएं दबाव, हवाओं के बहाव का चलन और तापमान में बदलाव ला देते हैं जिससे उत्तरी और उत्तर पश्चिमी भारत के मैदानी इलाकों में ठंड और कहीं कहीं बारिश भी देखने को मिलती है.
बर्फ, कोहरा, ठंड और बारिश
ये कटिबंधीय तूफान से कुछ अलग तरह की हवाएं लाने वाले तूफा होते हैं. इनमें नमी निचले वायुमंडल में आने की जगह ऊपर के वायुमंडल में आती है. जब ये हवाएं मध्य पूर्व से गुजरती हैं तो वहां की गर्म नम हवाओं की वजह से इनकी दिशा बदल जाती है. इसी वजह से उत्तर भारत में बारिश, बर्फ और कोहरे की स्थिति बन जाती है. इसी से उत्तर भारत में बर्फबारी होती जिसके प्रभाव से भारत के दूसरे इलाकों मे ठंड का असर देखने को मिलता है.
बीच में आया था गैप
पश्चिमी विक्षोभ के कारण मानसून ही नहीं बल्कि उत्तर भारत में मानसून पूर्व मौसमी बारिश भी होती है. इस बार जनवरी में दो पश्चिमी विक्षोभ में ज्यादा समय का अंतर हो गया था इसी लिए बीच में देश के कुछ भागों, विशेषकर मध्य इलाकों में अचानक ठंड कम हो गई थी और आसमान साफ होने के कारण तापमान भी बढ़ गया और वहां लोगों को यह भी लगा कि ठंड का मौसम जल्दी जा रहा है. जबकि ऐसा सब जगह नहीं हुआ था.
लेकिन उत्तरी मैदानों में जारी रही ठंड
वहीं मौसम विभाग ने यह भी बताया कि दिल्ली में लंबे समय तक शीत लहर चलती हुई दिखी क्योंकि दो पश्चिमी विक्षोभ के बीच के बड़े अंतर के कारण पहाड़ों से उत्तर पश्चिमी हवाओं को मैदानों की ओर आने का मौका भी मिल गया जिससे उत्तरी मैदानों में ठंड ज्यादा लंबी खिंचती दिखाई दी.
हाल ही में पश्चिमी विक्षोभ का एक और दौर लौटा है. अब देश के कई हिस्सों में लंबे खिंचता हुआ सूखी सर्दी का मौसम खत्म हो गया और इससे देश के कई हिस्सों में बारिश देखने को मिली है जिससे कहीं कहीं ठंड को बढ़ाने का काम भी किया है तो वहीं बारिश और बादलों ने ठंड के तीखपनको भी कम करने का काम किया है. फिर भी मौटे तौर पर ठंड का मौसम कायम ही रहेगा.