ललित मौर्या
2025 की बमुश्किल अभी पहली तिमाही ही पार हुई है, लेकिन भारत के ज्यादातर शहरों में हवा की सेहत पहले ही बिगड़ चुकी है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी से अप्रैल 2025 तक भारत के 273 में से 248 शहरों यानी 90 फीसदी से अधिक ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित वार्षिक पीएम2.5 की मानक सीमा को पहले ही पार कर लिया है।
इसका मतलब है कि अगर अब साल भर इन शहरों में प्रदूषण का स्तर शून्य भी दर्ज किया जाए तो भी हवा इतनी दूषित हो चुकी है कि वो इस साल विश्व स्वास्थ्य संगठन के पीएम2.5 के लिए निर्धारित मानकों पर खरी नहीं उतर पाएगी। गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ ने सालाना पीएम2.5 के लिए पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर का मानक तय किया है।
क्या है “ओवरशूट डे”?
“ओवरशूट डे” को उस दिन के रूप में परिभाषित किया जाता है, जब किसी शहर में अब तक प्रदूषण का औसत स्तर इतना अधिक हो चुका होता है कि यदि उसके बाद साल भर अगर हर दिन महज 0.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर भी प्रदूषण हो, तो भी शहर डब्ल्यूएचओ मानकों पर खरा नहीं उतर पाएगा।
गौरतलब है कि जनवरी और फरवरी 2025 में ही 109 शहरों ने यह सीमा पार कर दी थी। वहीं मार्च में इसमें 24 शहर और जुड़ गए। अप्रैल में इसमें छह और नाम शामिल हो गए। यह स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि प्रदूषण कि यह समस्या महज कुछ शहरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में फैल चुकी है।
हालांकि देश के कई शहरों के बेहद प्रदूषित होने के बावजूद वर्तमान में महज कुछ ही शहर नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) का हिस्सा हैं। ऐसे में कई अन्य शहरों में जहां प्रदूषण की स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई है, उन शहरों में फिलहाल प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए कोई ठोस योजना नहीं है।
हालांकि जब रुझानों का भारत के राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) के हिसाब से आंकलन किया गया, तो जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच महज एक शहर (बर्नीहाट) ने ही वार्षिक पीएम2.5 की सीमा को पार किया है। यह अंतर साफ तौर पर दर्शाता है कि हमारे राष्ट्रीय मानक और विश्व स्वास्थ्य दिशानिर्देशों के बीच अब भी एक बड़ी खाई बनी हुई है।
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के विश्लेषक मनोज कुमार का कहना है कि “भारत को अपने राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को नवीनतम वैज्ञानिक निष्कर्षों के आधार पर अपडेट करना चाहिए ताकि ये विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतरिम लक्ष्यों से मेल खा सकें। भारत के मौजूदा मानक एक दशक पुराने हैं, साथ ही यह उतने सख्त नहीं हैं। यही वजह है इनकी वजह से स्वास्थ्य पर प्रदूषण का पड़ता दुष्प्रभाव और आर्थिक नुकसान जारी है।”
क्या कहता है अप्रैल का रिपोर्ट कार्ड
रुझानों से पता चला है कि 248 में से 227 शहरों में पीएम2.5 का स्तर भारत के वायु गुणवत्ता मानक (60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) के भीतर था। लेकिन अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मानकों के लिहाज से देखें तो महज सात शहर ही उसके सुरक्षित स्तर (15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) पर खरे उतर पाए। इसका मतलब है कि किसी भी दिन हवा में पीएम2.5 की मात्रा 15 माइक्रोग्राम/घन मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, ताकि वह इंसानों के लिए सुरक्षित मानी जा सके।
यह वो 248 शहर हैं, जिनके पास प्रदूषण के 80 फीसदी से अधिक आंकड़े मौजूद थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली-गुरुग्राम नहीं असम-मेघालय सीमा पर स्थित बर्नीहाट अप्रैल 2025 में देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा। यहां पूरे महीने में पीएम2.5 का औसत स्तर 119 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, जोकि भारत के तय मानक से कहीं अधिक है। चिंता की बात है कि बर्नीहाट में महीने के 80 फीसदी दिनों में यह स्तर तय मानकों से ऊपर था।
आंकड़ों से पता चला है कि इस दौरान बर्नीहाट में 13 दिन वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ रही। वहीं छह दिन स्थिति ‘खराब’, पांच दिन ‘मध्यम’ श्रेणी में और महज छह दिन वायु गुणवत्ता ‘संतोषजनक’ श्रेणी में अनुभव की गई, जबकि एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब हवा पूरी तरह साफ हो।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो यह अप्रैल में पांचवा सबसे प्रदूषित शहर रही। यहां महीने भर में पीएम2.5 का औसत स्तर 77 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया। पूरे महीने दिल्ली में 16 दिन वायु गुणवत्ता ‘मध्यम’ श्रेणी में रही। नौ दिन हवा ‘खराब’ और सिर्फ 5 दिन वायु गुणवत्ता ‘संतोषजनक’ दर्ज की गई।
इसी तरह देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में सिवान, राजगीर, गाजियाबाद, गुरुग्राम, हाजीपुर, बागपत, औरंगाबाद और सासाराम शामिल थे। इस सूची में बिहार के सबसे ज्यादा पांच शहर शामिल रहे। इसके बाद उत्तर प्रदेश के दो, और असम, हरियाणा व दिल्ली से एक-एक शहर शामिल हैं। बिहार में सबसे ज्यादा छह शहर ऐसे रहे जहां पीएम2.5 का स्तर भारत के अपने खुद के मानकों पर खरा नहीं था। इनमें पांच शहर ‘मध्यम’ और एक शहर ‘खराब’ श्रेणी में था।
वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक का गड़ग अप्रैल में भारत का सबसे साफ हवा वाला शहर रहा, जहां अप्रैल 2025 में पीएम2.5 का औसत स्तर महज 6 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया। इस दौरान देश के 10 सबसे साफ हवा वाले शहरों में कर्नाटक के चार, तमिलनाडु के दो और मिजोरम, त्रिपुरा, अंडमान-निकोबार और उत्तर प्रदेश का एक-एक शहर शामिल रहा।
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )