विकास सिंह चौहान
विश्व रक्तदाता दिवस ऐसा अवसर है जिससे लोगों में रक्तदान के महत्व और उसकी विकल्पहीनता को समझाने के लिए जागरूकता फैलाई जाती है. हर स्वस्थ्य व्यक्ति रक्तदान करे और बिना डर कर करे. यही जानने समझने से ही दुनिया में बहुत सारे मरीजों की खून की जरूरत को पूरा करना संभव हो सकेगा. इसके लिए रक्तदान की सुविधा और उसे जरूरतमंदों की पहुंचाने के लिए सटीक तंत्र के विकास के लिए भी प्रयास जरूरी है.
गौर से देखा जाए तो बात अजीब सी लगती है. रक्तदान और रक्तदाताओं के लिए भी एक अंतररराष्ट्रीय दिवस है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ दुनिया के तमाम देश हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस, जिसे कई जगह विश्व रक्तदान दिवस भी कहा जाता है, मनाते हैं. इस दिवस के जरिए दुनिया भर में रक्त उत्पादों और सुरक्षित रक्त की जरूरत के प्रति जागरूकता को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है. इसके साथ ही इस उन लोगों का शुक्रिया भी अदा किया जाता है जिन्होंने बिना पैसे लिए रक्त को दान किया और किसी को जान बचाने के लिए यह अनमोल तोहफा दिया है. लेकिन आखिर रक्तदान इतना महत्वपूर्ण क्यों होता है?
रक्तदाताओं के लिए थीम
विश्व स्वाथ्य संगठन के अनुसार रक्तदान और उससे संबंधित रक्त सेवाएं दुनिया भर के मरीजों को सुरक्षित खून और रक्त के उत्पादों तक पर्याप्त मात्रा में पहुंच मुहैया कराने में मददगार होती हैं. यह किसी भी प्रभावी स्वास्थ्य तंत्र के लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी तत्व होता है. हर साल एक वैश्विक थीम रखी जाती है और विश्व स्वाथ्य संगठन ने इस साल की थीम “रक्त दें, प्लाज्मा दें, जीवन साझा करें और बार बार करें.” रखी है.
जिन्हें रक्त की जरूरत है
इस थीम के तहत ऐसे मरीजों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जिन्होंने जीवन के लिए ट्रांसफ्यूजन यानि संचरण सहयोग की जरूरत होती है और हर एक व्यक्ति की भूमिका को रेखांकित कर किया जाएगा जो रक्त या प्लाज्मा जैसा बहुमूल्य उपहार दे सकता है. इतना ही नहीं यह नियमित तौर पर खून या प्लाज्मा दान करने के महत्व को भी रेखांकित करता है.
रक्त की शुद्धता और उपयोगिता का महत्व
रक्त यूं ही दान नहीं किया जा सकता है. इसमें दुनिया भर में रक्त और उसके उत्पादों की सुरक्षित और सतत आपूर्ति निर्मित करना बहुत जरूरी होता है. जिससे सभी जरूरतमंद मरीजों को समय रहते खून और उसके जरिए जरूरी उपचार भी मिलना सुनिश्चित हो सके. यहां यह भी ध्यान देना होता है कि दानदाता का रक्त उपयोगी और समस्या रहित भी हो.
निर्माण नहीं हो सकता रक्त का
यूं तो दुनिया में वैज्ञानिकों ने की तरह की दवाएं और उपचार तैयार कर लिए हैं. लेकिन अभी तक ऐसी तकनीक नहीं बनी है जिसे किसी मरीज को खून की कमी हो और उसके लिए खून का निर्माण किया जा सके. ऐसे में मरीजों के लिए किसी दूसरे व्यक्ति के खून के दान पर ही निर्भर होना रहता है और सभी का खून हर किसी के लिए उपयुक्त होता भी नहीं है. ऐसे में करोड़ों दानदातों में से एक का खून जरूरतमंद तक पहुंच सके यह बहुत बड़ी चुनौती है.
पर 14 जून ही क्यों
ऐसे में विश्व रक्तदाता दिवस को मनाने की परंपरा बहुत ही कारगर साबित हो सकती है. ये वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टीनर ही थे जिन्होंने रक्त समूह या ब्लड ग्रुप के तंत्र की खोज की थी. और इसी की वजह से एक व्यक्ति का खून दूसरे व्यक्ति के शरीर में डालने से उपचारों में मदद मिलना संभव हो सका था. 14 जून को उनके ही जन्मदिन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2004 से हर साल विश्व रक्तदाता दिवस मनाने की फैसला किया था.
बढ़ता जा रहा है रक्तदान का महत्व
दुनिया में जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है. रक्तदान का महत्व भी बहुत ही अधिक बढ़ने से साथ ही संवेदनशील भी होता जा रहा है. कहानी केवल रक्त दान करने से ही खत्म नहीं हो जाती है. रक्त को संरक्षित भी रखना जरूरी होता है जिसकी व्यवस्था करना भी आसान नहीं होता है. ब्लड बैंक की जरूरत इसीलिए जरूरी है.
रक्तदान आसान भी नहीं है. जहां एक ओर जहां रक्त का शुद्ध और स्वस्थ्य होना जरूरी है तो वहीं लोगों को भी रक्तदान के प्रति कम भ्रांतियां नहीं हैं. जैसे कई लोगों को लगता है कि रक्तदान करने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है तो वहीं बहुत सारे लोग यह नहीं जानते हैं कि रक्त दान कितनी बार और कितने अंतर से किया जा सकता है. इसके अलावा किसी भी व्यक्ति को खून देने से पहले यह सुनिश्चित भी किया जाना जरूरी है कि खून में एड्स जैसा संक्रमण ना हो जो खून के जरिए फैलता है. लेकिन उससे भी जरूरी यह समझना है कि ये सब समस्याएं नहीं हैं और इनके बारे में ना जानने का मतलब यह नहीं आप खून नहीं दे सकते हैं.
(‘न्यूज़ 18 हिंदी’ के साभार )