विदेशों की तर्ज पर भारत में भी अलग-अलग वैक्सीनों को लेकर शोध जारी है देश में भी वैक्सीन कॉकटेल को लेकर लगातार स्टडी हो रही है. इस बीच आईसीएमआर (ICMR) के शोध में भारतीय वैक्सीनों की मिक्सिंग के सकारात्मक नतीजे मिले हैं कोरोना के खिलाफ जंग में भारत को नई कामयाबी मिलती दिख रही है. कोवैक्सीन और कोविशील्ड टीकों की मिक्स डोज पर हुई स्टडी के नतीजे शानदार रहे हैं. रिसर्च में इन दोनों वैक्सीन के मिलाने से यह न सिर्फ वायरस के खिलाफ सुरक्षित पाया गया, बल्कि इससे बेहतर इम्युनिटी भी हासिल हुई.
ICMR का शोध : विषय विशेषज्ञ समिति (SEC) के साथ मंथन के बाद वेल्लोर के सीएमसी को चौथे चरण का क्लिनिकल परीक्षण करने की अनुमति देने की सिफारिश की गई थी जिसमें कोविड-19 टीकों, कोवैक्सिन और कोविशील्ड के मिश्रण पर अध्ययन करने के लिए 300 स्वस्थ वालंटियर्स को शामिल किया गया था.एक्सपर्ट कमेटी ने बायोलोजिकल-ई द्वारा पांच से 17 साल के उम्र की आबादी पर अपने कोविड-19 टीके का दूसरे/तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण करने के लिए दिए गए आवेदन पर भी चर्चा की थी.
कोविशील्ड और कोवैक्सीन कैसे अलग हैं?
कोवैक्सिन और कोविशील्ड दोनों ही भारत में निर्मित वैक्सीन हैं। कोरोना संक्रमण से सुरक्षा को लेकर किए गए तमाम अध्ययनों में इन दोनों वैक्सीनों को प्रभावी पाया गया है। हालांकि दोनों वैक्सीन अलग-अलग तकनीक द्वारा विकसित की गई हैं। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (कोविशील्ड) वैक्सीन एडेनोवायरस वेक्टर पर आधारित है, इसमें सामान्य सर्दी के वायरस के कमजोर (हानिरहित) वर्जन का इस्तेमाल हुआ है, जिसे कोरोनोवायरस से मेल खाने के लिए आनुवंशिक रूप से संशोधित किया गया है। वहीं भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को विकसित करने के लिए कोरोना के निष्क्रिय स्ट्रेन का उपयोग किया गया है।\दोनों वैक्सीन का इम्यून रिस्पॉन्स बेहतर
भारत की दोनों स्वदेशी वैक्सीन बेहतर हैं. करोड़ों लोगों को ये टीके लगने से पहले ट्रायल के दौरान भी कोविशील्ड और कोवैक्सीन के नतीजे बेहद शानदार रहे थे. यानी हेल्थ वर्कर्स को जब देश में ये टीके लग रहे तो उस दौर में भी इनसे मिला इम्यून रिस्पॉन्स अच्छा था.
कई देशों में लोगों को दी जा रही है ‘मिक्स-एंड-मैच’ खुराक
दुनिया के कुछ देशों में ‘मिक्स-एंड-मैच’ वैक्सीन देने की शुरुआत हो चुकी है। उदाहरण के लिए कनाडा और थाईलैंड जैसे देश वर्तमान में दो खुराक/तीन-खुराक में अलग-अलग टीके लगवाने की अनुमति दे चुके हैं। कोरोना के डेल्टा वैरिएंटस के तेजी से बढ़ते मामलों में वर्तमान की वैक्सीन नीति को प्रभावी न मानते हुए बहरीन, भूटान, इटली, थाईलैंड और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों ने स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंट लाइन वर्करों को दोनों डोज में अलग-अलग कंपनी की वैक्सीन लगवाने की अनुमति प्रदान कर दी है।
Mixing and matching of Covaxin and Covishield: माना जा रहा है कि फाइनल रिपोर्ट में भी बेहतर नतीजे मिले और सरकार से कोवैक्सीन और कोविशील्ड की मिक्स डोज को मंजूरी मिल जाती है तो कोरोना के खिलाफ जारी जंग में इसका सकारात्मक असर दिखेगा.