2023 में ली गई विज्ञान से जुड़ी यह दस अविस्मरणीय तस्वीरें आपको वैज्ञानिक खोजों की रोमांचक दुनिया में ले जाएंगी। इनमें से हर एक तस्वीर ब्रह्मांड के अनखोजे रहस्यों को सुलझाने में मानवता द्वारा उठाए कदमों का जीता जागता प्रमाण है। इनमें सितारों की पहले कभी न देखी गई तस्वीरों से लेकर नई प्रजातियों की खोज, अंटार्कटिक में बढ़ते-घटते ओजोन छिद्र और इंसानी रेटिना की विस्तृत तस्वीर के साथ वैज्ञानिक अन्वेषण की गहराई को दर्शाने वाली कई छवियां शामिल हैं।
द ईगल नेबुला (मेसियर 16), “सृजन के स्तंभ”
द ईगल नेबुला, जिसे मेसियर 16 या एम16 भी कहा जाता है। द ईगल नेबुला को अक्सर “सृजन के स्तंभ” के रूप में भी जाना जाता है। इस छवि को नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के चंद्रा एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप, हबल स्पेस टेलीस्कोप, स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप, एक्सएमएम-न्यूटन स्पेस रॉकेट और यूरोपियन साउथर्न ऑब्जर्वेटरी टेलीस्कोप के आंकड़ों से तैयार किया गया है। इसमें जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से प्राप्त छवि गैस और धूल के काले काले स्तंभों को नवगठित तारों को ढंकते हुए दिखाती है। वहीं चंद्रा से प्राप्त आंकड़ें जो बिंदुओं की तरह दिखते हैं, युवा तारे हैं जो प्रचुर मात्रा में एक्स-रे उत्सर्जित करते हैं।
स्रोत: एक्स-रे: चंद्रा: नासा/सीएक्ससी/एसएओ, एक्सएमएम: ईएसए/एक्सएमएम-न्यूटन; आईआर: जेडब्ल्यूएसटी: नासा/ईएसए/सीएसए/एसटीएससीआई, स्पिट्जर: नासा/जेपीएल/कैलटेक; ऑप्टिकल: हबल: नासा/ईएसए/एसटीएससीएल, ईएसओ; इमेज प्रोसेसिंग: एल फ्रैटारे, जे मेजर, और के आर्कैंड
बर्फ से ढका यूरेनस और उसके चन्द्रमा
नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के नियर-इंफ्रारेड कैमरे से ली गई बर्फ के विशाल यूरेनस की यह तस्वीर उस ग्रह की गतिशील विशेषताओं का खुलासा करती है, जिसमें उसके चंद्रमा, छल्ले, वहां आने वाले तूफान और चरम मौसम शामिल हैं।
इस तस्वीर में यूरेनस की मौसमी उत्तरी ध्रुवीय टोपी और आंतरिक और बाहरी छल्लों को खूबसूरती को दर्शाया गया है। वहीं टोपी की दक्षिणी सीमा के निकट और नीचे तेज तूफान देखे जा सकते हैं। गौरतलब है कि वेब टेलीस्कोप की संवेदनशीलता ने निकट-जीटा रिंग को भी पकड़ लिया है, जो फीकी, फैली और मायावी जान पड़ती है। यह तस्वीर ग्रह के 27 में से नौ चंद्रमाओं को भी दिखाती है। इनमें रोजलिंड, पक, बेलिंडा, डेसडेमोना, क्रेसिडा, बियांका, पोर्टिया, जूलियट और पर्डिटा शामिल हैं। इस तस्वीर का श्रेय: नासा, ईएसए, सीएसए, एसटीएससीआई को जाता है।
आकाशगंगा में धुएं या धुंध जैसे जटिल कार्बनिक अणुओं के खोजे गए प्रमाण
खगोलविदों ने वेब टेलीस्कोप का उपयोग करते हुए इस छवि में दिखाई गई सुदूर आकाशगंगा में धुएं या धुंध जैसे जटिल कार्बनिक अणुओं के प्रमाण खोज निकाले हैं। यह आकाशगंगा पृथ्वी से 12 अरब प्रकाश वर्ष से भी अधिक दूर स्थित है। वैज्ञानिकों ने इतनी अधिक दूरी पर इन बड़े और जटिल अणुओं का पता लगाने का एक नया रिकॉर्ड बनाया है। दिलचस्प बात है कि यह आकाशगंगा, पृथ्वी से केवल तीन अरब प्रकाश वर्ष दूर दूसरी आकाशगंगा के साथ करीब-करीब एक सीध में थी। इस छवि का श्रेय जे स्पिलकर, एस. डॉयल, नासा, ईएसए और सीएसए को जाता है।
खत्म होता तारा: रिंग नेबुला
नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने रिंग नेबुला की तस्वीरें हासिल करने में सफलता हासिल की है। जो ग्रहीय निहारिका के सबसे प्रसिद्ध उदाहरणों में से एक है। बता दें कि रिंग नेबुला एक खत्म होते तारे के अंतिम चरण की जटिल संरचनाओं को प्रदर्शित करता है। इस छवि का श्रेय: ईएसए/वेब, नासा, सीएसए, एम बार्लो (यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन), एन कॉक्स (एसीआरआई-एसटी), आर वेसन (कार्डिफ यूनिवर्सिटी) को जाता है।
पृथ्वी से 430 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर स्थित विशाल आकाशगंगा एमएसीएस0416
नासा के वेब और हबल टेलिस्कोपों ने ब्रह्मांड के अब तक के सबसे जीवंत और व्यापक दृश्य को तैयार करने में सहयोग किया है। यह छवि एमएसीएस0416 को दर्शाती है, जो पृथ्वी से करीब 430 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक विशाल आकाशगंगा समूह है। इस छवि में दर्शाए रंग प्रकाश के विभिन्न तरंग दैर्ध्य (वेवलेंथ) का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इनमें नीली दिखाई देने वाली आकाशगंगाएं अपेक्षाकृत निकट हैं और तेजी से निर्मित होते तारे को दर्शाती हैं। इन्हें हबल द्वारा दृश्य प्रकाश में सबसे अच्छी तरह से देखा गया है। वहीं लाल रंग की आकाशगंगाएं आमतौर पर अधिक दूर या धूल से भरी होने के कारण अस्पष्ट हैं, जिन्हें वेब टेलीस्कोप के इंफ्रारेड विजन द्वारा स्पष्ट तौर पर लिया गया है। इस क्षेत्र में एक उल्लेखनीय खोज “मोथरा” नामक एक उल्लेखनीय चमकीला तारा है, जो बिग बैंग के तीन अरब वर्ष बाद अस्तित्व में आई आकाशगंगा में स्थित है। यह तारा आकाशगंगा के गुरुत्वाकर्षण के साथ-साथ एक रहस्यमय वस्तु के कारण कम से कम 4,000 गुणा बड़ा हो गया है। इस छवि का श्रेय नासा, ईएसए, सीएसए और एसटीएससीआई के साथ जोस एम. डिएगो (आईएफसीए), जॉर्डन सी जे डी’सिल्वा (यूडब्ल्यूए), एंटोन एम. कोएकेमोर (एसटीएससीआई), जेक समर्स (एएसयू), रोजियर विंडहॉर्स्ट (एएसयू), और मिसौरी विश्वविद्यालय के हाओजिंग यान को जाता है।
भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा खोजी नई प्रजाति ‘चाल्सिस बिलिगिरिएंसिस
अनुसंधान संस्थान अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एंड द एनवायरमेंट (अत्री) ने सितंबर 2023 में चाल्सिस बिलिगिरिएंसिस नामक एक नई प्रजाति की खोज की थी। वैज्ञानिकों ने यह प्रजाति कर्नाटक के पश्चिमी घाट में बिलिगिरि रंगास्वामी मंदिर टाइगर रिजर्व (बीआरटी) के जंगलों में खोजी है।
बता दें कि चाल्सिस एक समूह है, जिसमें 59 प्रजातियां शामिल हैं। यह प्रजातियां मुख्य रूप से उत्तरी गोलार्ध के समशीतोष्ण क्षेत्रों में पाई जाती हैं। वहीं ओरिएंटल क्षेत्र से केवल दो प्रजातियां ज्ञात थीं। इस क्षेत्र का विस्तार भारत, दक्षिणी श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, मलेशिया, सुमात्रा, जावा, बोर्नियो, फॉर्मोसा, फिलीपींस और चीन तक है। इन तस्वीरों में चाल्सिस बिलिगिरिएन्सिस को दो दृश्यों में दिखाया गया है, जिसमें ए) में उसके पिछले हिस्सों और और बी) में सामने के हिस्सों और सिर को दर्शाया गया है।
शाकाहारी डायनासोर सॉरोपोडोमोर्फ के खोजे गए भ्रूण सहित अंडे
अक्टूबर 2023 में, वैज्ञानिकों ने एक नए पहचाने गए शाकाहारी डायनासोर सॉरोपोडोमोर्फ के भ्रूण सहित अंडों के पांच सेट पाए जाने की घोषणा की थी। वैज्ञानिकों को यह अंडे दक्षिण-पश्चिमी चीन में मिले हैं जो एक प्रकार के लंबे गर्दन वाले शाकाहारी डायनासोर के हैं। अनुमान है कि यह प्रजाति जुरैसिक काल में मौजूद थी। इन खोजों से संकेत मिलता है कि शुरूआती डायनासोर के अंडे संभवतः चमड़े जैसे सख्त होने के साथ आकार में अण्डाकार और छोटे थे। फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स।
जलवायु संकट: वर्षों बाद अपनी जगह से हटा विशाल हिमखंड ‘बी-22ए‘
अंटार्कटिक तट के पास मौजूद बी-22ए नामक एक विशाल हिमखंड (हाइलाइट किया गया) दो दशकों से अधिक समय तक स्थिर खड़ा था, जब तक कि वो 2023 में दूर नहीं चला गया। बता दें कि यह हिमखंड 2002 की शुरुआत में धरती के सबसे चौड़े ग्लेशियर, थवाइट्स से टूट कर अलग हुआ था। वैज्ञानिक अब इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या इस बदलाव का पास के थवाइट्स ग्लेशियर पर कोई प्रभाव पड़ेगा।
थ्वाइट्स ग्लेशियर को डूम्स डे ग्लेशियर भी कहा जाता है। इसका मतलब प्रलय के दिन वाला ग्लेशियर है। ये ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है। जो पश्चिमी अंटार्कटिक में बर्फ के पिघलने से समुद्र के जल स्तर में होती वृद्धि में सबसे ज्यादा योगदान देता है। फोटो: नासा
इंसानी रेटिना (दृष्टिपटल) की एक आईबीईएक्स तस्वीर
यह यूसीएल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी के डॉक्टर कॉलिन चू द्वारा ली इंसानी रेटिना (दृष्टिपटल) की एक आईबीईएक्स तस्वीर है। आंख के पिछले पर्दे को रेटिना कहते हैं। इसमें कुछ कोशिकाएं होती हैं जिन तक प्रकाश पहुंचता है। यह हिस्सा फोटॉन को पकड़ता है और उनके संकेत मस्तिष्क को भेजता है। इसी प्रकाश का विश्लेषण करके हम दिखाई देने वाली चीजों की पहचान कर पाते हैं। फोटो: हबमैप कंसोर्टियम
21 सितंबर, 2023 को अंटार्कटिक के ऊपर मौजूद ओजोन छिद्र
21 सितंबर, 2023 को अंटार्कटिक ओजोन छिद्र साल के अपने अधिकतम आकार तक पहुंच गया था। इस तरह 2023 में इसके आकार को अब तक के 16वें सबसे बड़े ओजोन छिद्र होने का दर्जा दिया गया है। फोटो: नासा
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )