संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार, हर साल लगभग 1.3 बिलियन टन भोजन बर्बाद हो जाता है। भोजन की बर्बादी सामाजिक और नैतिक अपराध है क्योंकि सिर्फ भारत में ही नहीं दुनियाभर में ऐसे कितने लोग हैं जिन्हें सही से दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं होता। भारत में जहां एक ओर बड़ी संख्या में लोगों दो वक्त का भोजन भी नहीं मिल पाता, वहीं दूसरी ओर इस तरह खाने का खराब होना वास्तव में काफी चिंताजनक है। पिछले कई सालों से देश में खाने की बर्बादी को रोकने लिए कैम्पेन चलाए जा रहे हैं लेकिन आंकड़ों में अभी भी बड़े स्तर पर का सुधार नहीं हुआ। आज स्टॉप फूड वेस्ट डे है. दुनियाभर में स्टॉप फूड वेस्ट डे का आयोजन कर भोजन की बर्बादी को रोकने के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है। भोजन को फेंकने की प्रवृत्ति पूरी दुनिया में एक अपसंस्कृति का रूप ले चुकी है।
भोजन के जिस अंश को हम बड़ी आसानी से थाली में छोड़ देते हैं या कूड़ेदान में फेंक देते हैं, उससे केवल अनाज की ही बर्बादी नहीं होती, बल्कि उसमें विद्यमान ऊर्जा, कार्बन, जल और पोषक तत्वों की भी बर्बादी होती है। अवशिष्ट भोजन से हर साल साढ़े चार गीगा टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। जो बहुत बड़ी समस्या है। यह ये आदत अभी नहीं बदली तो जल्दी ही हम घुट-घुट कर जीने को मजबूर हो जाएंगे।
क्यों मनाया जाता है स्टॉप फूड वेस्ट डे?
हर साल 28 अप्रैल को दुनियाभर में स्टॉप फूड वेस्ट डे का आयोजन कर भोजन की बर्बादी को रोकने के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है। दरअसल भोजन की बर्बादी को रोकने के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है। भोजन को फेंकने की प्रवृत्ति पूरी दुनिया में एक अपसंस्कृति का रूप ले चुकी है। ऐसा अनुमान है कि 2050 तक दुनियाभर में अपशिष्ट भोज्य पदार्थों की बर्बादी दोगुनी हो सकती है। अगर भोजन की बर्बादी इसी तरह होती रही तो 2030 तक दुनियाभर में भूखमरी उन्मूलन के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा लक्षित जीरो हंगर का लक्ष्य हासिल करना और भी मुश्किल हो जाएगा।
फूड वेस्ट का सीधा असर पर्यावरण व अर्थवस्था पर
भोजन का जो अंश हम अपनी थाली में छोड़ देते हैं, उसके एन्वॉयरमेंटल साइड इफेक्ट्स भी सामने आने लगे हैं। वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट और रॉकफेलर फाउंडेशन द्वारा की गई एक रिसर्च के मुताबिक खाने की बर्बादी की वजह से ग्रीन हाउस गैंसों में आठ से दस फीसदी तक का इजाफा होता है। इसके उत्सर्जन से एक तरफ जहां ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या बढ़ रही है, तो दूसरी ओर यह अनाजोत्पादन को भी प्रभावित करता है। उत्पादित अनाजों की खपत बुद्धिमानी से करने के बजाय उसकी बर्बादी की आदत हमारे परिवेश को प्रदूषित करने का काम करता है। ऐसा दूषित वातावरण मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। भोजन की बर्बादी रोकना कोई मुश्किल काम नहीं है। हम अपने विचार को विस्तृत कर और आदतों में बदलाव लाकर भोजन की बर्बादी को आसानी से रोक सकते हैं।
तरीके जो बचा सकते हैं खाने की बर्बादी
1. खाने का करें दोबारा इस्तेमाल
कई बार ऐसा होता है कि शाम की बची हुई सब्जी को सुबह दोबारा खाने का मन नहीं करता, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आप उसे यूं ही बाहर फेंक दें। बेहतर होगा कि आप उन्हें एक नया रूप देकर सर्व करें। मसलन, सूखी सब्जी को आप स्टफिंग के रूप में यूज करें और सैंडविच आदि बनाएं। इसी तरह बची हुई दाल से दाल परांठा या दाल चीला आदि बनाकर नाश्ते में सर्व किया जा सकता है।
2. जरूर चेक करें लेबल
बहुत से फूड को हमें इसलिए बाहर फेंकना पड़ता है, क्योंकि वह एक्सपायरी हो जाती हैं। इस तरह फूड वेस्ट को बचाने का एक तरीका यह भी है कि आप हमेशा कोई भी चीज खरीदने से पहले उसके लेबल को जरूर चेक करें। आपको यह देखना चाहिए कि उसकी manufacturing और एक्सपायरी डेट क्या है। अगर किसी फूड आइटम की एक्सपायरी डेट निकलने वाली है तो ऐसे में आप बड़े पैक की जगह छोटा पैकेट ही खरीदें ताकि आपको बाद में उसे बाहर फेंकना ना पड़े।
3. बहुत ज्यादा खाना लेने से बचें
एक बार में ही खाने की प्लेट में बहुत ज्यादा खाना लेना अवॉयड करें, इससे फूड बर्बाद होने के बहुत ज्यादा चांसेज रहते हैं। बेहतर होगा कि थोड़ा खाना लें और खत्म होने के बाद फिर से जाकर लें। शादी-पार्टीज़ में एक बार में कई चीज़ें सर्व करने के ही चलते बहुत ज्यादा फूड वेस्ट होता है।
4. एक्स्ट्रा खाना शेयर करें
हाउस पार्टी, एनिवर्सरी या बर्थडे सेलिब्रेशन में बहुत ज्यादा खाना बच गया है तो इसे फेंकने की जगह पड़ोसियों से, दोस्तों से पूछकर उन्हें दे दें। अगर ऐसा करने में झिझक हो रही है तो गरीबों में इस खाने को बांटने का भी ऑप्शन है। वैसे अब कई तरह के फूड बैंक्स भी शुरू हो चुके हैं जिनका काम ही होता है घर से खाना इकट्ठा करना और जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाना।