लगातार बढ़ रही महंगाई के बीच समूह स्वास्थ्य बीमा (ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस) का प्रीमियम भी इस साल 15% तक बढ़ सकता है। बढ़ोतरी अन्य एशियाई देशों के मुकाबले भारत में सबसे ज्यादा होगी। मर्सर मार्श बेनेफिट्स (एमएमबी) के सर्वे में कहा गया है कि यह लगातार तीसरा साल होगा, जब प्रीमियम में दहाई अंकों की वृद्धि देखने को मिलेगी। बढ़ोतरी सामान्य महंगाई दर के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है। सर्वे में शामिल 81% एशियाई बीमाकर्ताओं ने कहा, महामारी के कारण 2021 में मेडिकल क्लेम के साथ इलाज खर्च बढ़ा है। स्वास्थ्य बीमा की मांग में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है।
कैंसर को लेकर सबसे ज्यादा क्लेम
भारत में असंक्रामक बीमारियों से हर साल करीब 58 लाख लोगों की मौत होती है। इनमें सबसे ज्यादा 55% क्लेम कैंसर के मरीज करते हैं। 43% क्लेम सर्कुलेटरी सिस्टम से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित मरीज करते हैं। क्लेम में कोरोना पीड़ित मरीजों की हिस्सेदारी 36% है।
क्या है समूह स्वास्थ्य बीमा
- यह किसी कंपनी की ओर से अपने कर्मचारी को दिया जाने वाली सुविधा है, जो कर्मचारी और उसके परिवार के सदस्यों को मेडिकल कवरेज देता है।
- प्रीमियम का भुगतान कर्मचारी के वेतन से ही किया जाता है। कर्मचारी को इसका लाभ तब तक मिलता है, जब तक वह कंपनी से जुड़ा रहता है।
महामारी के दौरान कंपनियों के खर्च में इजाफा
महामारी से पहले के मुकाबले इलाज की लागत बढ़ गई है। क्लेम की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। इससे बीमा कंपनियों के खर्च में इजाफा हुआ है। कंपनियां अब इसका कुछ बोझ उपभोक्ताओं पर डालने की तैयारी में हैं। जनरल इंश्योरेंस काउंसिल की रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2020-21 में बीमा कंपनियों ने स्वास्थ्य दावों के लिए कुल 7,900 करोड़ रुपए का भुगतान किया. कोविड आया तो भुगतान तेजी से बढ़ा. वर्ष 2021-22 में भुगतान की यह रकम बढ़कर 25,000 करोड़ रुपए पर पहुंच गई. यानी 300 फीसदी से ज्यादा.
रिइंश्योरेंस की दर 40 फीसदी तक बढ़ी
बीमा दावों में भारी वृद्धि हुई तो रिइंश्योरेंस की दरें 40 फीसदी तक बढ़ गई हैं. रीइंश्योरेंस मतलब जब कोई बीमा कंपनी अपने लिए किसी दूसरी कंपनी से बीमा खरीदती है तो उसे रिइंश्योरेंस कहते हैं, जैसे बैंकों का बैंक रिजर्व बैंक ऐसे ही बीमा कंपनियों का बीमा करने वाली कंपनी रि इंश्योरेंस कंपनी. अब जब बीमा कंपनियों के लिए प्रीमियम बढ़ा तो वे ग्राहकों तक पहुंचाएंगी ही. हालांकि जनरल इंश्योरेंस कंपनियों की शीर्ष संस्था जनरल इंश्योरेंस कौंसिल के महासचिव एमएन शर्मा कहते हैं कि कोविड काल में दावों के भुगतान को लेकर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां दबाव में हैं.
दावों के भुगतान को लेकर इंश्योरेंस कंपनियों पर दबाव
अब जब बीमा कंपनियों के लिए प्रीमियम बढ़ा तो वे ग्राहकों तक पहुंचाएंगी ही. हालांकि जनरल इंश्योरेंस कंपनियों की शीर्ष संस्था जनरल इंश्योरेंस काउंसिल के महासचिव एमएन शर्मा कहते हैं कि कोविड काल में दावों के भुगतान को लेकर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां दबाव में है. नियमों के तहत स्वास्थ्य बीमा कंपनियां तीन साल के अंतराल पर प्रीमियम बढ़ा सकती हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें बीमा नियामक इरडा से मंजूरी लेनी होती है. बढ़ते दावों के भुगतान से राहत के लिए कंपनियों ने इरडा से प्रीमियम बढ़ाने के लिए कई बार मांग की. लेकिन कोरोना काल में स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम में कोई इजाफा नहीं हुआ है. इरडा ने यह मामला हर बार टाल दिया. यह मामला अभी भी इरडा के पास विचाराधीन है. स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम में कितनी वृद्धि होगी, इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता.
तीन साल से नहीं बढ़ा थर्ड पार्टी प्रीमियम
गाड़ियों के थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का प्रीमियम भी पिछले तीन साल से नहीं बढ़ा है. उद्योग की मांग के बाद केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने राय मांगी, उम्मीद है कि थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के प्रीमियम में 1 से 3 फीसदी की वृद्धि हो सकती है. कंपनियों ने तो अभी कीमतें बढ़ाई ही नहीं है. यानी मंजूरी के बाद वाली आधिकारिक ऐलानिया महंगाई तो अभी आनी बाकी है. अभी जो दबे पांव महंगाई आई है वो तो पॉलिसी का गुणा गणित बदलने पर है. पॉलिसी का गुणा गणित मतलब उम्र बढ़ गई, वजन ज्यादा है, सिगरेट, शराब का सेवन करते हैं.
30 फीसदी लोग ही जीवन बीमा के दायरे में
जीवन बीमा के बाजार पर हाल में SBI रिसर्च की एक रिपोर्ट भी आई है, जिसमें देश में बीमा की पहुंच धीमी गति से बढ़ने पर चिंता जताई गई है. देश में बीमा पहुंच बढ़ने की दर 2001-02 में 2.72 फीसदी थी जो 2020-21 में बढ़कर 4.20 फीसदी हो पाई है. देश में सिर्फ 30 फीसदी लोग ही जीवन बीमा के दायरे में हैं. हालांकि कोविड के बिजनेस प्रीमियम 37 फीसदी बढ़कर 59,608 करोड़ रुपए हुआ. बीमा लेने वालों की तादाद बढ़ी है. मार्च में जीवन बीमा कंपनियों का नया बिजनेस प्रीमियम 37 फीसदी बढ़कर 59,608 करोड़ रुपए हुआ.