बचपन को स्वस्थ जीवन का आधार माना जाता है। हमारी आगे की जिंदगी कितनी स्वस्थ होगी, इसका अंदाजा बचपन की सेहत के आधार पर काफी हद तक लगाया जा सकता है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ बच्चों के पोषण और दिनचर्या पर विशेष ध्यान देने की सलाह देते हैं। अध्ययन भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि अगर बच्चों की सेहत और पोषण पर ध्यान दिया जाए तो उनमें आगे चलकर कई तरह की गंभीर और जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा कम हो जाता है।

बच्चों में भी बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा, इन संकेतों को समझने की है जरूरत - Lifestyle News In Hindi

वहीं बचपन की कुछ आदतें और समस्याएं, भविष्य में गंभीर रोगों का कारण बन सकती हैं। हाल ही में हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने ऐसे ही कुछ जोखिम कारकों का पता लगाया है जो आगे चलकर स्ट्रोक और हार्ट अटैक जैसी जानलेवा दिक्कतों को बढ़ा सकती हैं। 

‘न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन’ में प्रकाशित हुए इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बचपन के पांच कारकों को वयस्कता और बढ़ती उम्र के साथ गंभीर हृदय रोगों का खतरा बढ़ाने वाला बताया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि अगर शुरुआत से ही इन समस्याओं पर ध्यान देकर इनमें सुधार के प्रयास कर लिए जाएं तो जानलेवा हृदय रोगों की समस्याओं को 50 फीसदी तक कम किया जा सकता है। 

रोजाना 60 मिनट खेलकूद और 9 घंटे की नींद जरूरी, खाते वक्त टीवी देखने से रोकें; ये 4 बातें बच्चों में मोटापा घटाएंगी | 60 minutes of sports daily and 9 hours

इन पांच जोखिम कारकों पर ध्यान देना जरूरी

अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि बच्चों में बढ़ा हुआ बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई), रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और कम उम्र में धूम्रपान की आदत, ये वो पांच कारक हैं जो 40 की उम्र तक में हृदय संबंधी गंभीर रोगों और गंभीर स्थितियों में स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा सकते हैं। हृदय रोगों को दुनियाभर में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है, ऐसे में कम उम्र में ही इन समस्याओं पर ध्यान देकर आगे की दिक्कतों से बचाव किया जा सकता है।

अध्ययन में क्या पता चला?

इस अध्ययन के लिए ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड और अमेरिका के 3-19 वर्ष की आयु  वाले 38,589 प्रतिभागियों को शामिल किया गया था। इनका 35-50 की आयु तक फॉलोअप भी किया गया। अध्ययन के अंत में शोधकर्ताओं ने आधे से अधिक बच्चों में एडल्ट कॉर्डियोवैस्कुलर इवेंट्स का निदान किया। इनमें से कुछ प्रतिभागियों में हृदय रोगों का खतरा, कम जोखिम वाले कारकों से नौ गुना अधिक पाया गया। इनमें से अधिकतर बच्चों को कम उम्र में ही पांच में से कोई न कोई जोखिम कारक था।

हृदय के स्वास्थ्य का रखें ख्याल

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

शोध के प्रमुख और अध्ययन के लेखक टेरेंस ड्वायर  कहते हैं, हृदय रोगों के मामले वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ते हुए रिपोर्ट किए जा रहे हैं। मौजूदा समय में कई तरह की प्रभावी दवाइयां और इलाज की उपलब्धता जरूर है, पर बचपन से ही अगर जोखिम कारकों पर ध्यान दिया जाए तो इन रोगों से आगे चलकर काफी हद तक बचाव करने में सफलता पाई जा सकती है। यह अध्ययन इस बात की पुष्टि करता है कि रोकथाम बचपन से ही शुरू हो जानी चाहिए।

इन बातों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत

शोधकर्ता टेरेंस ड्वायर  कहते हैं, कम उम्र से ही आहार में सुधार, धूम्रपान छोड़ने को लेकर जागरूकता, शारीरिक सक्रियता और व्यायाम को बढ़ाने पर अगर ध्यान दिया जाए तो आगे चलकर हृदय रोगों के खतरे को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। बचपन और किशोरावस्था के दौरान अगर हम अपनी जीवनशैली और खानपान में सुधार कर लें तो भविष्य में कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के जोखिम को कम करने में यह बहुत मददगार हो सकता है।

बचपन में आहार का रखें खास ध्यान

क्या है अध्ययन का निष्कर्ष?

 

Spread the information