जिस तरह से हिग्स बोसोन सिद्धांत की खोज करनेवाले सतेन्द्रनाथ बोस, DNA का X-ray diffraction Image पर काम करने वाली रोसा इस्ले फ्रेमकलिन, आरनोल्ड सामरफिल्ड जिन्हें 81वार नाबेल पुरस्कार के लिएमनोनित किया गया, नावेल पुरस्कार नहीं मिला. उसी प्रकार दर्जनों भौतिकविदों की तरह हमारे गरीब मलयाली क्रिसचन सुदर्शन को उनको कामों के लिए नौ वार नाबेल पुरस्कार के लिए मनोनित किया पर पुरस्कार नहीं दिया गया.1957 में वह अमेरिकी वैज्ञानिक मारशक के साथ मिलकर दुर्बल अन्योन्य क्रिया का वी ए सिद्धांत दिया पर यह पुरस्कार ग्लाशोव, सलाम और वेनवर्ग को दिया गया जो बाद में इस सिद्धांत को दिये.

1960 में सुदर्शन ने टाइकेन का सिद्धांत प्रपादित किया जिसके अनुसार काल्पनिक टाइकेन वह कण है जो प्रकाश के वेग से ज्यादा तेज चलती है. इस प्रकार उन्होंने आइंस्टीन के सिद्धांत के चुनौती दी. अभी इस कण की खोज किया जाना है. हद तब हो गयी जब 2005 में R A Gloubar को प्रकाशीय सम्बद्धता के लिए को नाबेल पुरस्कार दिया गया वहीं फिर सुदर्शन के इसी काम के लिए उपेक्षित किया गया. जबकि सुदर्शन ने 1963 में ही इसके वारे में खोज की और जानबूझ कर इस काम के ग्लाउबर-सुदर्शन निरूपण कहा गया जैसे ग्लाउबर ने इसकी खोज पहले की. यह स्वीडिस नाबेल कमिटी का पक्षपातपूर्ण रवैया था जिसका सुदर्शन ने विरोध किया. लेकिन सच्चाई को मिटाई नहीं जा सकता है. स्टीफन हाकिंग को भी नाबेल पुरस्कार नहीं मिला. इससे उनकी महीनता घट नहीं जाती है.

16सितंबर1931 को केरला के कोटायन जिले में इनका जन्म हुआ. वह विश्व स्तर के सिद्धांतिक भौतिकविद थे.
उनकी महानता इस बात से लगायी जा सकती है कि कई अवसरों पर स्टीफन हाकिंग, रोगर पेनरोस और पीटर हिग्स जैसे भौतिकवादी मूलभूत भौतिकी में इनकी योगदान की जिक्र करते थे.

यही नहीं उनके समकालीन विश्व स्तर के नाबेल विजेता भौतिकविद रिचर्डफेहयान, मुरे गेल-मान, स्टेवेन वेनवर्ग, सेलडम ग्लाशोव और अब्दुस सलाम बहुत सम्मान और आदर के साथ सुदर्शन का भौतिक जगत में किये गये कार्यों का उपयोग करते थे और सराहना करते थे. सुदर्शन का यह दबदबा पूरे अमेरिकी और यूरोपियन भौतिकविदों के बीच था.

प्रकाशीय सम्बद्धता और सुदर्शन ग्लोबर निरूपन, दुर्बल अन्योन्य क्रिया का वी ए सिद्धांत, टेक्योन, क्वांटम शून्य प्रभाव, विवृत क्वांटम निकाय, प्रचक्रण-सांख्यिकी प्रमेय
आदि भौतिकी के क्षेत्र में उनका महत्वपूर्ण योगदान है.

ICTPका  डिराकपदक 2010,पद्मविभूषण2007
मायेराना पदक 2006, विज्ञान अकादमी का तीसरा विश्व अकादमी1985, बाॅस पदक1977, पद्म भूषण 1976, CV रमन पदक1970 जैसे पुरस्कारों से उन्हें सम्मानित किया गया , 14मई ,2018 को इनका देहांत हो गया . 

सुनील सिंह 

(फेसबुक पेज से साभार) 

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