ब्लैक फंगस उर्फ़ म्यूकोरमाइकोसिस : जानकारी_सावधानी_और_बचाव

सबसे पहले तो यह कि यह बहुत दुर्लभ संक्रमण है, बहुत कम लोगों को होता है. हाँ हो जाये तो मृत्यु दर 50% है.

● समय से पता चलने पर बहुत आसानी से इलाज भी हो जाता है- हाँ डायबिटीज, कैंसर जैसी और बीमारियों के साथ होने पर खतरनाक है. आँखों की रौशनी जाने और मौत दोनों के मामले सबसे ज़्यादा डायबिटीज पीड़ितों में ही हुए हैं. उसके पीछे कोविड के इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल भी एक बड़ा कारण है, क्योंकि उससे शुगर लेवल अनियंत्रित होता है. होता भी ये अक्सर कोविड के बाद ही है. ज़्यादातर मामले ठीक हो गए मरीज़ों के हैं.

● सो किसी भी कोविड पीड़ित जिसके इलाज में स्टेरॉयड इस्तेमाल हो रही हो उसके शुगर लेवल पर लगातार नज़र बनाये रखें और डॉक्टर/पैरामेडिक स्टाफ को बताते रहें. चार्ट बनाएंगे तो सबसे ज़्यादा सुविधा होगी.

● यह संक्रमण म्यूकोर मोल्ड के संपर्क में आने पर होता है- दुर्भाग्य से म्यूकोर मोल्ड कहीं भी हो सकता है- फ्रिज में सड़ रही सब्जियों/फलों तक में. गमलों की मिट्टी में भी, यहाँ तक कि स्वस्थ व्यक्तियों के बलगम में भी- पर इसका यह भी मतलब है कि यह संक्रमण इतना ख़तरनाक नहीं है- थोड़ा सा ध्यान रख कर इस पर नियंत्रण किया जा सकता है.

● बस सब्जियाँ, फल आदि ढंग से साफ़ करें, फ्रिज ख़ास तौर पर. असल में डर्टी दर्जन के नाम से जाने जाने वाली 12 सब्ज़ियों और फलों को ढंग से साफ़ करना ही चाहिए- गरम पानी में नमक या सिरका डाल कुछ समय के लिए रख के ! (इन डर्टी दर्जन में सारे साग, स्ट्रॉबेरीज़, सेब, नाशपाती, धनिया, अंगूर, शिमला मिर्च आदि इसमें शामिल हैं ! इस प्रक्रिया से उनमें से ऐसे ख़तरे ही नहीं, कीटनाशक भी धुल जाते हैं.)

● गमले की देखभाल दस्ताने पहन के भी की जा सकती है.

● इस संक्रमण के सबसे बड़े लक्षण हैं………..

  1. बहती/फूली हुई नाक
  2. आँखों में दर्द, सूजन, रौशनी कम होना और आखिर में एकदम चला जाना.
  3. चीक बोन (गाल की हड्डी) में दर्द, सूजन,
  4. दांत/जबड़े में ढीलापन
  5. नाक के पास त्वचा का कालापन, सीने में दर्द, साँस लेने में दिक्कत (कुछ लोगों को) !

● दुखद यह है कि अक्सर कोविड से जंग जीत आये मरीज़/परिजन इन लक्षणों को कोविड का ही बचा खुचा असर समझ इग्नोर कर देते हैं और वापस अस्पताल नहीं जाते. कृपया ऐसा न करें. यह प्राणघातक है.

● घर पर ही इलाज़ भी न शुरू कर दें, वह भी प्राणघातक है.

● बाकी अपने देश में बीमारी से कोई नहीं मर रहा- सिस्टम मार रहा है ! अभी इसी अप्रैल में मौतों की बाढ़ के बीच केंद्र सरकार की कोविड टास्क फ़ोर्स के मुखिया वीके पॉल साहब लोगों को अस्पताल न जाने और आयुर्वेद का सहारा लेने का सुझाव दे रहे थे.

● अब हाइपोक्सिया (बाहर लक्षण न दिखते हुए भी खून में ऑक्सीजन की कमी) और ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) होने के बावजूद जो लोग अस्पताल नहीं जा रहे हैं, घर में बैठ आयुर्वेद का सहारा ले रहे हैं, उनकी मौतें मौत नहीं हत्या हैं और ज़िम्मेदार कौन है यह बताने की ज़रूरत नहीं।

■ ऐसे किसी भी मुद्दे पर कोई भी सवाल हों तो लाल बुझक्कड़ों, साजिश सिद्धांतकारों, सोशल मीडिया सर्व विषय विशेषज्ञों की राय लेने से बेहतर है कि हम जैसों से पूछ लें. हमें भी सब कुछ नहीं आता।

[वैसे मेरी एम फिल पब्लिक हेल्थ में ही है पर डॉक्टर नहीं हूँ- कोई विशेषज्ञ होना तो भूल ही जाइये। हाँ इतना ज़रूर है कि जो नहीं आता वह ढंग से पढ़े, विशेषज्ञों की राय जाने बिना नहीं बताऊंगा- ये वाली जानकारी भी डॉक्टर मित्रों से लेकर बीबीसी, रायटर्स आदि के पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स की राय पढ़ने के बाद ही दे रहा हूँ…]

[…Samar Anarya की पोस्ट]

■ कोई भी संकेत दिखे तो अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें ! 

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