ललित कुमार
किशोरावस्था के दौरान गर्भ धारण करने वाली किशोरियों में समय से पहले मौत का जोखिम बढ़ जाता है. कनाडा के सेंट माइकल अस्पताल के रिसर्चर द्वारा हुए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि गर्भ धारण करने वाली किशोरियों की 31 वर्ष की आयु से पहले मरने की आशंका दोगुनी होती है. इन चिंताजनक तथ्यों को जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित किया गया है.
किशोरावस्था के दौरान गर्भ धारण करने वाली किशोरियों में जानलेवा बीमारी होने की आशंका अधिक रहती है. इससे किशोरियों में समय से पहले मौत का जोखिम बढ़ जाता है. कनाडा के सेंट माइकल अस्पताल के रिसर्चर द्वारा हुए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि गर्भ धारण करने वाली किशोरियों की 31 वर्ष की आयु से पहले मरने की आशंका दोगुनी होती है. इन चिंताजनक तथ्यों को जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित किया गया है.
22 लाख किशोरियों पर किया रिसर्च
रिसर्च के मुताबिक, गर्भ धारण करने वाली किशोरियों की 31 वर्ष की आयु से पहले मौत का जोखिम दोगुना हो जाता है. वर्ष 1991 से वर्ष 2021 के बीच 22 लाख किशोरियों पर किए गए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है. इस तरह के खतरे उन महिलाओं में देखे गए, जो किशोरावस्था में गर्भधारण कर चुकी थीं या उन महिलाओं में जिनका गर्भपात हो चुका था.
16 की उम्र से पहले गर्भ धारण अधिक जोखिम भरा
प्रमुख शोधार्थी डॉ. जोएल जीरे के मुताबिक, गर्भवती होने वाली की उम्र जितनी कम होती है, उसकी असामयिक मृत्यु का जोखिम उतना ही अधिक होता है. यही नहीं, गर्भधारण करने के बावजूद शिशु को जन्म नहीं देने का फैसला लेने वाली किशोरियों में भी समय से पहले मृत्यु की आशंका 40 प्रतिशत अधिक है. समय से पहले मौत की सबसे ज्यादा आशंका उन महिलाओं में पाई गई, जो 16 साल की उम्र से पहले गर्भवती हो गईं. साथ ही जो किशोरावस्था में एक से अधिक बार गर्भवती हुईं.
जल्दबाजी में गलत फैसले भी मौत की वजह
जल्दी मौत होने की वजह यह भी पाई गई कि जो महिलाएं किशोरावस्था में गर्भवती हुईं, वह इसे लेकर पहले से तैयार नहीं रहतीं. जब उन्हें अचानक से अपनी गर्भावस्था का पता चलता है तो वे कई गलत फैसले लेती हैं. गर्भ खत्म करने वाली दवाइयां और समाज से छिपकर गर्भ गिराने की वजह से वह गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो जाती हैं. इन गलत फैसलों का असर उन्हें उम्र भर झेलना पड़ता है.
मां और शिशु दोनों के लिए जोखिम
20 वर्ष से पहले किशोरी का शरीर पूरी तरह से गर्भधारण करने को तैयार नहीं रहता है. ऐसे में गर्भधारण करने वाली किशोरी और उसके पेट में पल रहा बच्चा भी जोखिमों के अधीन होता है. इतना ही नहीं, किशोर अवस्था में गर्भ धारण करने से गर्भपात का भी खतरा बढ़ जाता है. इसलिए 20 साल की उम्र या उससे अधिक को परफेक्ट माना जाता है.
(‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )