दयानिधि

वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि नदियों में प्लास्टिक प्रदूषण का पता लगाने के मौजूदा तरीके अपर्याप्त हैं और इनमें सतह के नीचे डूबने वाले टुकड़ों पर गौर नहीं किया जाता है। दिखाई न देने वाले प्लास्टिक के ये कण पानी के नीचे या नदी के तल में डूबे हुए हो सकते हैं, जहां वे नदी के जीवों और पौधों समेत पूरी पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

कार्डिफ यूनिवर्सिटी, कार्लज़ूए इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और डेल्टारेस की अंतरराष्ट्रीय टीम का कहना है कि नदियों में प्रदूषण के स्तर का पता लगाने और सफाई रणनीतियों की सफलता के लिए इस तरह की कमियों से निपटा जाना चाहिए।

वाटर रिसर्च में प्रकाशित उनके शोध पत्र में बताया गया है कि ये अदृश्य या न दिखने वाला प्लास्टिक का कचरा नदियों में कैसे जमा होता हैं और साथ ही वे उनकी मात्रा का पता लगाने का एक नए तरीके का भी सुझाव देते हैं। शोधकर्ता ने शोध में कहा, हमारा अध्ययन नदियों में प्लास्टिक प्रदूषण को लेकर हमारी मौजूदा समझ को और बेहतर बनाता है, जिसमें इस बात का पता लगता है कि नदियों में प्लास्टिक कैसे और कहां तक पहुंचता है। इससे हमारी नदियों में मौजूद प्लास्टिक की मात्रा का सटीक आकलन करने, प्लास्टिक प्रदूषण के हॉटस्पॉट का पता लगाने और सफाई करने की रणनीतियों की प्रभावशीलता के बारे में भी पता लगाया जा सकता है।

शोध के मुताबिक, टीम ने 3,000 से अधिक आम प्लास्टिक प्रदूषण संबंधी वस्तुओं, जैसे पॉलीस्टाइरिन कप और अन्य टुकड़ों को नदी की स्थिति को दर्शाने के लिए डिजाइन किए गए पानी के बड़े चैनलों में गिराया। शोधकर्ताओं ने कई कैमरों का उपयोग करके, नमूनों की हरकतों को मिलीमीटर तक की सटीकता के साथ उन पर नजर रखी। उनके विश्लेषण से पता चलता है कि अलग-अलग आकार और साइज वाले डूबते प्लास्टिक को नदियों में अलग-अलग तरीकों से ले जाया जा सकता है।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा, हम इस बात का पता लगाने में सफल रहे कि प्लास्टिक अलग-अलग दिशाओं में कैसे पहुंचता है और डूबता है। यह अलग-अलग रूपों में बदल जाता है, इससे यह भी पता लगता है कि कोई कण कितनी तेजी से पानी में डूबता है।

शोध के मुताबिक, पहले यह माना जाता था कि प्लास्टिक हमेशा एक स्थिर डूबने वाला होता है, इसलिए एक स्थिर गति से डूबता है. हालांकि शोध में दिखाया गया है कि यह प्लास्टिक के मामले में ऐसा नहीं है जो अलग-अलग हिस्सों में टूटते हैं। यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्लास्टिक के कणों के डूबने की दर उसके दूर तक बहकर पहुंचने को समझने के लिए जरूरी है।

शोधकर्ता ने शोध पत्र के हवाले से कहा, यह खोज नदियों में प्लास्टिक के प्रवाह के बारे में हमारी समझ को बदल देती है। शोध के मुताबिक इन आंकड़ों का उपयोग भौतिकी-आधारित समीकरणों को अनुकूलित करने के लिए किया गया था, जो पहले तलछट के लिए विकसित किए गए थे, जो 10 फीसदी की सटीकता के अनुपात के भीतर नदियों में बहने वाले प्लास्टिक की मात्रा का पूर्वानुमान लगा सकते हैं।

अध्ययन करने वाली टीम का कहना है कि उनकी यह विधि नदियों में प्लास्टिक प्रदूषण की कुल मात्रा का अधिक सटीक अनुमान दे सकती है। शोधकर्ता ने शोध पत्र के हवाले से कहा ऐसी विधियां मौजूद हैं जो पानी के नीचे के कैमरों या सोनार का उपयोग करके इस प्रकार के प्लास्टिक प्रदूषण को माप सकती हैं, लेकिन इन्हें व्यावहारिक रूप से हमारी नदियों में उपयोग नहीं किया जा सकता है।

हमारी इस विधि का उपयोग किसी भी नदी में किया जा सकता है क्योंकि इसमें तलछट के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला यह बहुत प्रसिद्ध समीकरण का उपयोग होता है। शोधकर्ताओं की टीम इस पद्धति को वास्तविक नदियों में और अलग-अलग परिस्थितियों में विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक के लिए विकसित कर रही है। शोधकर्ता ने कहा, हमारा शोध इस बात का पता लगा सकता है कि प्लास्टिक का कितना कचरा नदी के तल में डूब रहा है और नदियों में बिना पता लगे बह रहा है।

अंत में शोधकर्ताओं ने शोध पत्र के हवाले से कहा कि नदियों में तलछट या गाद कैसे प्रवाहित होती है, इस बारे में हमारी मौजूदा जानकारी को मिलाकर, हमारी नई विधि नदियों में प्लास्टिक प्रदूषण की अधिक यथार्थवादी तस्वीर प्रदान कर सकती है। सबसे अहम बात यह है कि प्लास्टिक के कचरे की सफाई की रणनीतियों के संसाधनों पर गौर कर सकती है।

       (‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )

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