दयानिधि

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सभी देशों में क्लीनिकल ट्रायल्स या नैदानिक ​​परीक्षणों के डिजाइन, संचालन और निगरानी में सुधार के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए देश के मजबूत नेतृत्व वाले अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) का समर्थन करना है ताकि नए, सुरक्षित और प्रभावी स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं को दुनिया भर में हर जगह लोगों के लिए अधिक सुलभ और किफायती बनाया जा सके।

पहली बार डब्ल्यूएचओ ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों, नियामक अधिकारियों, वित्तपोषकों और अन्य लोगों के लिए सिफारिशें की हैं कि वे स्वास्थ्य के क्षेत्र में साक्ष्य आधारित क्लीनिकल ट्रायल्स को कैसे बेहतर बना सकते हैं। यह खराब परीक्षण डिजाइन, प्रतिभागियों की सीमित विविधता, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और नौकरशाही कुशलताओं में कमी जैसी चुनौतियों से निपटने की बात करता है, जो समय, धन और जीवन तक लील लेते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सभी देशों में क्लीनिकल ट्रायल्स या नैदानिक परीक्षणों के डिजाइन, संचालन और निगरानी में सुधार के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए देश के मजबूत नेतृत्व वाले अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) का समर्थन करना है ताकि नए, सुरक्षित और प्रभावी स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं को दुनिया भर में हर जगह लोगों के लिए अधिक सुलभ और किफायती बनाया जा सके।

पहली बार डब्ल्यूएचओ ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों, नियामक अधिकारियों, वित्तपोषकों और अन्य लोगों के लिए सिफारिशें की हैं कि वे स्वास्थ्य के क्षेत्र में साक्ष्य आधारित क्लीनिकल ट्रायल्स को कैसे बेहतर बना सकते हैं। यह खराब परीक्षण डिजाइन, प्रतिभागियों की सीमित विविधता, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और नौकरशाही कुशलताओं में कमी जैसी चुनौतियों से निपटने की बात करता है, जो समय, धन और जीवन तक लील लेते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, उच्च आय वाले देशों (एचआईसी ) और निम्न तथा मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) के बीच दुनिया भर विभाजित क्लीनिकल ट्रायल्स में हो रहे गंभीर असमानताओं को जन्म दे रहा है। 2022 में दुनिया के 86 एचआईसी में 27,133 परीक्षण हो रहे थे, जबकि 131 एलएमआईसी में मात्र 24,791 परीक्षण हो रहे थे।

कई बार एलएमआईसी को उनके बिमारियों के बढ़ते मामलों के कारण क्लीनिकल ट्रायल्स में शामिल करने के लिए चुना जाता है, केवल इसलिए कि परिणामी आंकड़ों का उपयोग एचआईसी में स्वास्थ्य संबंधी हस्तक्षेपों को लागू करने में किया जा सके, लेकिन एलएमआईसी में नहीं।

रिपोर्ट के हवाले से डब्ल्यूएचओ के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. जेरेमी फर्रार ने कहा, “देश की अगुवाई में कि जा रहे अनुसंधान और विकास को मजबूत करना और नियमित नैदानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में नैदानिक परीक्षणों को शामिल करना सुरक्षित और प्रभावी हस्तक्षेपों तक तेज और अधिक न्यायसंगत पहुच सुनिश्चित करेगा, जिससे लोगों को स्वस्थ बनने में मदद मिलेगी।”

“इस नई मार्गदर्शिका का उद्देश्य परीक्षण प्रतिभागियों की विविधता में सुधार करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अनुसंधान से लोगों की व्यापक श्रेणी को फायदा मिले, निर्णायक रूप से वन-साइज-फिट-ऑल एप्रोच या एक-आकार-फिट-सभी नजरिए से दूर किया जा सके।”

डब्ल्यूएचओ के साल 2022 के आंकड़ों के अनुसार, पांच फीसदी से भी कम नैदानिक परीक्षणों में गर्भवती महिलाएं शामिल थीं और केवल 13 फीसदी में बच्चे शामिल थे। इससे साक्ष्य की गुणवत्ता कम हुई है, जिससे देखभाल और हस्तक्षेपों तक पहुंच पर असर पड़ा है। कम प्रतिनिधित्व वाली आबादी में पर्याप्त परीक्षण न होने से उनके इलाज में सावधानी बरती जा सकती है, जिसका उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, प्रतिनिधित्व में यह अंतर इन समूहों के लोगों को स्वास्थ्य संबंधी सिफारिशों को स्वीकार करने के लिए कम इच्छुक बना सकता है।

मार्गदर्शिका में गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को शामिल करने के लिए परीक्षण करने के लिए व्यावहारिक तरीके शामिल हैं, यह देखते हुए कि उनकी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतें अलग-अलग हैं। सामान्य तौर पर, खतरे वाली आबादी को शुरुआती चरणों से ही शामिल किया जाना चाहिए।

इसे सुविधाजनक बनाने के लिए, सुरक्षा को प्राथमिकता के रूप में आंका जाना चाहिए, उदाहरण के लिए, इन समूहों के लिए तुलना की जा सकने वाले हस्तक्षेपों की समीक्षा करके या प्री-क्लीनिकल अध्ययनों में तेजी लाकर। सहमति और स्वीकृति के लिए उपयुक्त प्रक्रियाएं महत्वपूर्ण हैं, खासकर बच्चों के लिए।

मार्गदर्शिका में रोगी, प्रतिभागी और समुदाय की भागीदारी को नैदानिक परीक्षणों के आयोजन के केंद्र में रखने की सिफारिश की गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अनुसंधान योजना, वितरण और प्रसार जनता की जरूरतों को पूरा करे और विश्वास बनाए रखे।

नई मार्गदर्शिका में टिकाऊ वित्तपोषण के माध्यम से राष्ट्रीय अनुसंधान और विकास पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने, बेहतर निर्णय लेने का समर्थन करने, स्वास्थ्य नवाचार तक पहुंच में तेजी लाने और अधिक मजबूत और प्रभावी राष्ट्रीय और वैश्विक स्वास्थ्य अनुसंधान वातावरण बनाने का भी प्रयास किया गया है।

यह मार्गदर्शिका विश्व स्वास्थ्य सभा के संकल्प डब्ल्यूएचए 75.8 के जवाब में एक व्यापक और समावेशी प्रक्रिया में विकसित की गई, जिसमें 48 देशों के विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 3,000 स्वास्थ्य से जुड़े लोग शामिल थे।

मार्गदर्शिका में किसी भी स्वास्थ्य हस्तक्षेप के लिए परीक्षण शामिल हैं, जिसमें फार्मास्यूटिकल दवाएं, टीके, निदान, पोषण संबंधी उपाय, संज्ञानात्मक, व्यवहारिक और मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप, निवारक देखभाल, डिजिटल और सार्वजनिक स्वास्थ्य दृष्टिकोण और पारंपरिक या हर्बल उपाय शामिल हैं।

       (‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )

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