ललित मौर्या
एक तरह जहां दुनिया बढ़ते उत्सर्जन के चलते जलवायु में आते बदलावों से जूझ रही है। वहीं दूसरी तरफ निजी हवाई जहाजों से होने वाला उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है। इस बारे में किए एक नए अध्ययन से पता चला है कि पिछले चार वर्षों में निजी जेट विमानों की आवाजाही से होने वाले वार्षिक उत्सर्जन में 46 फीसदी की वृद्धि हुई है।
अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 2019 से 2023 के बीच करीब 26,000 निजी विमानों की 1.86 करोड़ उड़ानों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया है। यह आंकड़े एडीएस-बी एक्सचेंज प्लेटफॉर्म से प्राप्त किए गए हैं। इस अध्ययन के नतीजे जर्नल कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित हुए हैं।
अध्ययन के जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनके मुताबिक 2023 में, निजी विमानों ने कम से कम 1.56 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन किया। जो प्रत्येक उड़ान के लिहाज से औसतन करीब 3.6 टन था। यदि 2023 में सभी व्यवसायिक विमानों से होने वाले उत्सर्जन से तुलना करें तो यह उसका करीब 1.8 फीसदी रहा।
हवाई जहाजों को जहां लम्बी दूरी की यात्राओं के साधन के रूप में देखा जाता है। वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि इनमें से आधे निजी विमानों (47.4 फीसदी) द्वारा भरी गई 12,26,123 उड़ानों की दूरी 500 किलोमीटर से भी कम थी। वहीं करीब 204,300 उड़ानों ने 50 किलोमीटर से भी कम की दूरी तय की थी।
देखा जाए तो कहीं न कहीं इन विमानों का उपयोग “टैक्सियों की तरह” किया गया, क्योंकि 50 किलोमीटर की दूरी एक कार द्वारा आसानी से तय की जा सकती है। वहीं महज एक तिहाई से भी कम (29.1 फीसदी) उड़ानों ने 1,000 किलोमीटर से अधिक दूरी तय की थी। इनमें से कई उड़ानें बस छुट्टियां मनाने और मौज मस्ती के लिए थी।
क्या अमीर तबके पर नहीं है उत्सर्जन कम करने की जिम्मेवारी
देखा जाए तो भले ही दुनिया भर में अमीरों के लिए प्राइवेट जेट शानों-शौकत और ऐश्वर्य का प्रतीक हैं। लेकिन साथ ही यह निजी विमान पर्यावरण और जलवायु के लिए किसी खलनायक से कम नहीं। हालांकि इसके बावजूद इन विमानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इनमें से कई उड़ानें ऐसी थी जिन्हें बस छुट्टियां मनाने और मौज मस्ती के लिए उपयोग किया गया।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि कुछ लोग जो इन निजी विमानों का अक्सर उपयोग करते हैं वो एक आम व्यक्ति की तुलना में साल में करीब 500 गुणा अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित कर रहे हैं। अध्ययन से यह भी पता चला है कि कुछ विशेष अभियानों के आसपास इनकी वजह से होने वाले उत्सर्जन में विशेष रूप से वृद्धि देखी गई।
उदाहरण के लिए 2023 में जलवायु परिवर्तन पर हुए शिखर सम्मेलन (कॉप-28) और फीफा विश्व कप विश्व कप जैसे बड़े आयोजनों के आसपास भी इन विमानों से होने वाले उत्सर्जन में अच्छी खासी वृद्धि देखी गई। बता दें कि कतर में 2022 के दौरान हुए फीफा विश्व कप के लिए 1,800 से अधिक निजी उड़ानें भरी गई थी।
कॉप-28 के दौरान देखें तो उसमें हिस्सा लेने के लिए 291 निजी उड़ाने भरी गई, जिनकी वजह से 3,800 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित हुई। इसी तरह फीफा विश्व कप में 1,846 निजी उड़ाने भरी गई, जिनकी वजह से 14,700 टन सीओ2 उत्सर्जित हुई।
इसी तरह 2023 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के दौरान 660 उड़ाने भरी गई, जिनकी वजह से 7,500 टन सीओ2 उत्सर्जित हुई। ऐसा ही कुछ कान्स फिल्म फेस्टिवल 2023 में भी देखने को मिला, जिसके दौरान 644 उड़ाने भरी गई। इनकी वजह से करीब 4,800 टन सीओ2 उत्सर्जित हुई।
चार वर्षों में निजी विमानों की संख्या में हुआ है 28 फीसदी का इजाफा
देखा जाए तो इन निजी उड़ानों का इस्तेमाल दुनिया की महज 0.003 फीसदी आबादी करती है, लेकिन इसके बावजूद यह परिवहन का सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाला साधन है।
यह निजी जेट, व्यावसायिक उड़ानों की तुलना में बहुत अधिक ऊर्जा का उपयोग करते हैं और साथ ही प्रति यात्री बहुत अधिक कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। रिसर्च से यह भी पता चला है कि एक निजी जेट में सफर करने वाला यात्री एक घंटे में इतना सीओ2 उत्सर्जित करता है जितना एक आम आदमी पूरे साल में करता है।
विश्लेषण से पता चला है कि 2019 से 2023 के बीच निजी विमानों की संख्या में 28 फीसदी की वृद्धि हुई है। वहीं उनके द्वारा तय की गई कुल दूरी में 53 फीसदी का इजाफा हुआ है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि निजी जेट यात्रा में अमेरिका का दबदबा रहा, जहां करीब 69 फीसदी विमान पंजीकृत हैं। उड़ान के पैटर्न से पता चला है कि अधिकांश यात्राएं मनोरंजन के साथ-साथ सांस्कृतिक और राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए होती हैं।
अध्ययन में यह भी सामने आया है सबसे ज्यादा करने वाले सीओ2 उत्सर्जित करने वाले यात्री ने 2023 में 2400 टन सीओ2 का उत्सर्जन किया, जोकि 2020 में एक आम आदमी द्वारा किए जाने वाले औसत उत्सर्जन से 500 गुणा अधिक है। बता दें कि दुनिया में एक आम आदमी औसतन 4.5 टन सीओ2 उत्सर्जित करता है।
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने विमान के मॉडल की ईंधन खपत दर के साथ-साथ उड़ान की अवधि और पथ का उपयोग करके प्रत्येक उड़ान में होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन की गणना की है। देखा जाए तो जहां एक तरह हम बढ़ते उत्सर्जन को सीमित करने के प्रयास कर रहे हैं वहीं दुनिया का अमीर तबका अपने मनोरंजन और शानों शौकत के लिए बड़े पैमाने पर उत्सर्जन कर रहा है।
इंस्टिट्यूट फॉर पालिसी स्टडीज ने अपनी रिपोर्ट “हाई फ्लायर्स 2023” में भी निजी विमानों की तेजी से बढ़ती संख्या को लेकर चिंता जताई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक जहां 2000 में 9,895 प्राइवेट जेट थे, जिनकी संख्या 2022 में 134 फीसदी की वृद्धि के साथ बढ़कर 23,133 पर पहुंच गई। वहीं 2022 से जुड़े आंकड़ों को देखें तो अकेले एक वर्ष में 53 लाख से ज्यादा निजी उड़ाने भरी गई, जो जलवायु परिवर्तन के दृष्टिकोण से बेहद खतरनाक है।
यह प्राइवेट जेट पर्यावरण पर कितना दबाव डालते हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि निजी जहाज, वाणिज्यिक विमानों की तुलना में प्रति यात्री कम से कम 10 गुणा ज्यादा प्रदूषण करते हैं।
ऐसे में बड़ा सवाल यह कि क्या बढ़ते उत्सर्जन और पर्यावरण को बचाने की जिम्मेवारी उस वर्ग की नहीं है जो इसके विनाश के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेवार है। यह ऐसा वक्त है जब सभी को साथ आना होगा, क्योंकि धरती किसी एक की नहीं बल्कि हम सबकी साझा विरासत है, जिसे सबको मिलकर बचाना होगा। हमें समझना होगा कि बस टैक्स के नाम पर चंद रुपए भर देने से हमारी जिम्मेवारी खत्म नहीं हो जाती।
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )