दयानिधि

यह अध्ययन ऐसे रास्तों के बारे में बताता है जिसका उपयोग संक्रामक इबोला वायरस मनुष्य के शरीर से बाहर निकलने के लिए करता है इबोला एक घातक रक्तस्रावी बीमारी है जो एक वायरस के कारण होती है तथा इसके अधिकतर मामले पूर्वी-मध्य और पश्चिमी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं। यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है।

यह संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क के माध्यम से फैलती है। पश्चिमी अफ्रीका में 2013 से 2016 के बीच इबोला महामारी सहित कई प्रकोप सामने आए, संक्रामक इबोला वायरस (ईबीओवी) उन लोगों की त्वचा की सतह पर भी पाए गए जो संक्रमण के शिकार हो चुके हैं या संक्रमण के दौर में है।

हालांकि साक्ष्य यह दर्शाते हैं कि ईबीओवी रोग की बाद की अवस्था में किसी व्यक्ति की त्वचा के संपर्क से यह फैल सकता है, लेकिन इस बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है कि वायरस शरीर से निकलकर त्वचा की सतह पर कैसे पहुंचता है।

यूनिवर्सिटी ऑफ आयोवा हेल्थ केयर के शोधकर्ताओं और टेक्सास बायोमेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट और बोस्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक सेलुलर मार्ग का पता लगाया है, जिसका उपयोग वायरस त्वचा की आंतरिक और बाहरी परतों को पार करके त्वचा की सतह पर उभरता है। अध्ययन में त्वचा के भीतर नए कोशिकाओं की पहचान की गई जो संक्रमण के दौरान ईबीओवी के निशाने पर होते हैं और दिखाते हैं कि मनुष्य की त्वचा के नमूने तेजी से ईबीओवी के संक्रमण को आगे बढ़ाते हैं।

साइंस एडवांसेज में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चलता है कि यह त्वचा की सतह से यह एक व्यक्ति-से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। त्वचा मनुष्य के शरीर का सबसे बड़ा अंग है, फिर भी अधिकांश अन्य अंगों की तुलना में इस पर बहुत कम अध्ययन किए गए हैं। अभी तक त्वचा की कोशिकाओं के साथ ईबीओवी की आंतरिक क्रियाओं की पहले व्यापक रूप से जांच नहीं की गई।

यह अध्ययन ऐसे रास्तों के बारे में बताता है जिसका उपयोग संक्रामक इबोला वायरस (ईबीओवी) मनुष्य शरीर से बाहर निकलने के लिए करता है। वायरस के संक्रमण के दौरान किन कोशिकाओं को निशाना बनाया जाता है, इसकी व्यापक समझ एंटीवायरल नजरियों के विकास के लिए जरूरी है।

मनुष्य की त्वचा के मॉडल ईबीओवी से बचने में मदद करते हैं

शोध में कहा गया है कि टीम ने यह जांचने के लिए एक नया नजरिया विकसित किया कि त्वचा के भीतर कौन सी कोशिकाएं इबोला वायरस से संक्रमित हैं। उन्होंने स्वस्थ लोगों की त्वचा के बायोप्सी का उपयोग करके एक त्वचा एक्सप्लांट प्रणाली बनाई, जिसमें त्वचा की गहरी (त्वचीय) और सतही (एपिडर्मल) दोनों परतें शामिल थीं।

अध्ययन में या पता लगाने के लिए कि इबोला वायरस त्वचा के माध्यम से कैसे आगे बढ़ता है, एक्सप्लांट को कल्चर मीडिया में त्वचीय पक्ष नीचे की ओर रखा गया और वायरस के कणों को मीडिया में जोड़ा गया ताकि वे नीचे की ओर से त्वचा में प्रवेश करें, जिससे खून से त्वचा की सतह तक वायरस के बाहर निकलने का मॉडल तैयार हो सके।

शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने वायरस का पता लगाने और सेल-टैगिंग तकनीकों का उपयोग त्वचा की परतों से त्वचा की ऊपरी सतह तक वायरस के पहुंचने का अनुसरण करने के लिए किया, जिससे यह पता चला कि समय के साथ कौन सी कोशिकाएं संक्रमित हुई हैं। पिछले नैदानिक और पशुओं में किए गए अध्ययनों ने बताया कि त्वचा के भीतर की कोशिकाएं ईबीओवी से संक्रमित हो जाती हैं, लेकिन वायरस द्वारा निशाना बनाई गई विशिष्ट कोशिकाओं की पहचान नहीं की गई थी।

नए अध्ययन में, शोधकर्ताओं की टीम ने दिखाया कि ईबीओवी ने त्वचा के एक्सप्लांट में कई अलग-अलग प्रकार की कोशिकाओं को संक्रमित किया, जिसमें मैक्रोफेज, एंडोथेलियल कोशिकाएं, फाइब्रोब्लास्ट और केराटिनोसाइट्स शामिल हैं। जबकि इनमें से कुछ कोशिकाओं के प्रकार अन्य अंगों में भी ईबीओवी द्वारा संक्रमित पाए जाते हैं, केराटिनोसाइट्स, जो त्वचा के लिए अनोखा हैं, जहां पहले ईबीओवी का संक्रमण नहीं देखा गया था।

दिलचस्प बात यह है कि प्रति ग्राम के आधार पर डर्मल परतों की तुलना में एपिडर्मल परत में वायरस अधिक शक्तिशाली था। इसके अलावा संक्रामक वायरस का पता तीन दिनों के भीतर एपिडर्मल सतह पर लगाया गया, जो दिखता है कि वायरस तेजी से फैलता है और एक्सप्लांट के माध्यम से त्वचा की सतह पर चला जाता है।

शोधकर्ताओं ने यह भी दिखाया कि मानव त्वचा प्रत्यारोपण ईबीओवी के खिलाफ एंटीवायरल की प्रभावकारिता का अध्ययन करने के लिए जटिल, तीन आयामी अंग मॉडल के रूप में काम कर सकते हैं, जो चिकित्सीय परीक्षण के लिए एक नया, अत्यधिक उपयोगी और सस्ता मॉडल प्रणाली प्रदान करता है।

शोध के अनुसार, अंत में टीम ने दो विशिष्ट त्वचा कोशिकाओं के प्रकारों, फाइब्रोब्लास्ट्स और केराटिनोसाइट्स के साथ ईबीओवी की क्रिया पर भी गौर किया और इन कोशिकाओं पर विशिष्ट रिसेप्टर्स की पहचान की गई जो इबोला वायरस को पकड़ने में मदद करते हैं।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया कि यह अध्ययन इबोला वायरस के संक्रमण में त्वचा की भूमिका का पता लगाता है और पहली बार त्वचा में कई प्रकार की कोशिकाओं की पहचान करता है जो संक्रमण के लिए आसान शिकार होते हैं। कुल मिलाकर ये निष्कर्ष उस तंत्र को स्पष्ट करते हैं जिसके द्वारा ईबीओवी त्वचा की सतह पर पहुंचता है और त्वचा के संपर्क के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने के बारे में विस्तार से बता सकता है।

       (‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )

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