ललित मौर्या
खाने में जरूरत से ज्यादा नमक स्वाद बिगाड़ सकता है, हालांकि यह स्वाद ही नहीं सेहत के लिहाज से भी कम हानिकारक नहीं। इसके जरूरत से ज्यादा सेवन से रक्तचाप, स्ट्रोक, दिल का दौरा और अन्य हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। यही वजह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी लोगों से हर दिन पांच ग्राम से कम नमक खाने की सिफारिश की है। साथ ही स्वास्थ्य संगठन ने रोजाना दो ग्राम से कम सोडियम के सेवन की भी सलाह दी है।
इसी कड़ी में नमक को लेकर किए एक नए अध्ययन से पता चला है कि रोजमर्रा में जिस नमक का सेवन किया जा रहा है, उसकी जगह यदि कम सोडियम युक्त विकल्प को अपनाया जाए तो उससे स्ट्रोक के दोबारा होने का खतरा 14 फीसदी तक कम हो सकता है। इतना ही नहीं इस बदलाव से मृत्यु को जोखिम भी 12 फीसदी तक कम हो सकता है।
अध्ययन में यह भी सामने आया है कि सोडियम युक्त नमक के विकल्प का सेवन करने से न केवल रक्तचाप में सुधार होता है साथ ही दिल सम्बन्धी बीमारियों का जोखिम भी घट जाता है। गौरतलब है कि हर साल सोडियम युक्त नमक के जरूरत से ज्यादा सेवन से दुनिया में 30 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा रही है। साथ ही इसकी वजह से रक्तचाप और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक नमक के विकल्प के रूप में पोटेशियम युक्त नमक का सेवन किया जा सकता है। बता दें कि कुछ समय पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी उच्च रक्तचाप और हृदय सम्बन्धी बीमारियों के खतरे को कम करने के लिए सोडियम युक्त नमक की जगह पोटेशियम युक्त नमक लेने की सिफारिश की थी।
यह अध्ययन चीन के वुहान विश्वविद्यालय, ड्यूक कुनशान यूनिवर्सिटी, हार्बिन मेडिकल यूनिवर्सिटी, जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ और इंपीरियल कॉलेज लंदन सहित कई अन्य अंतराष्ट्रीय संगठनों से जुड़े शोधकर्ताओं के एक दल द्वारा किया गया है। इस अध्ययन के नतीजे अंतराष्ट्रीय जर्नल जामा कार्डियोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं।
अपनी इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने 2014 में शुरू हुए ‘नमक विकल्प और स्ट्रोक अध्ययन’ से जुड़े आंकड़ों का उपयोग किया है। इसका उद्देश्य नमक की तुलना में नमक के विकल्प और उसके प्रभावों की जांच करना था। इस विकल्प में 75 फीसदी सोडियम क्लोराइड और 25 फीसदी पोटेशियम क्लोराइड था।
गौरतलब है कि इस विकल्प में सामान्य नमक की तुलना में सोडियम की कम मात्रा, जबकि पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक पिछले शोधों से भी पता चला है कि कम सोडियम युक्त नमक के सेवन से रक्तचाप के साथ-साथ स्ट्रोक और ह्रदय सम्बन्धी अन्य बीमारियों का जोखिम कम हो सकता है।
स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा जरूरत से ज्यादा नमक
इस अध्ययन में चीन के 600 गांवों के करीब 21,000 लोगों को शामिल किया गया था। इनमें से तीन-चौथाई यानी 15,249 लोग ऐसे थे जो पहले भी स्ट्रोक का शिकार हुए थे। इनमें से 46 फीसदी महिलाएं, जबकि 54 फीसदी पुरुष थे। इन सभी को अध्ययन के दौरान सेवन के लिए या तो सामान्य नमक या फिर उसका विकल्प दिया गया था, जिसमें 75 फीसदी सोडियम क्लोराइड और 25 फीसदी पोटेशियम क्लोराइड था। अध्ययन में शामिल 90 फीसदी से अधिक लोगों की आयु 60 वर्ष या उससे अधिक थी।
अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं, उनके मुताबिक जिन लोगों को सामान्य नमक की तुलना में पोटेशियम युक्त नमक दिया गया, उनमें स्ट्रोक के दोबारा होने की घटनाओं में 14 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इसी तरह इन लोगों में मृत्यु का जोखिम भी 12 फीसदी कम हो गया। नमक के विकल्प का उपयोग करने वाले लोगों में दोबारा स्ट्रोक के कम मामले सामने आए।
इस दौरान दोबारा होने वाले स्ट्रोक की कुल 2,735 घटनाएं सामने आई थी। इनमें से 691 घटनाएं घातक जबकि 2,044 घातक नहीं थी। इस दौरान जिन लोगों ने नमक के विकल्प का उपयोग किया उनमें से 16.8 फीसदी में दोबारा स्ट्रोक की घटनाएं सामने आई, दूसरी तरफ जिन लोगों ने नियमित नमक का सेवन किया था उनमें यह आंकड़ा 19 फीसदी दर्ज किया गया।
ऐसे में शोधकर्ताओं के मुताबिक नमक का विकल्प स्ट्रोक का सामना कर चुके लोगों को इससे बचाने का सरल और किफायती उपाय साबित हो सकता है। गौरतलब है कि एक अन्य अध्ययन के हवाले से पता चला है कि एक औसत भारतीय हर दिन आठ ग्राम नमक का सेवन कर रहा है। देखा जाए तो यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय मानकों से करीब 60 फीसदी अधिक है। वहीं यदि भारतीय पुरुषों की बात करें तो वो हर दिन औसतन 8.9 ग्राम नमक का सेवन कर रहे हैं, जो तय मानकों से करीब 78 फीसदी अधिक है।
नमक के सेवन के मामलें में भारतीय महिलाएं, पुरुषों से पीछे हैं, जो हर दिन करीब 7.9 ग्राम नमक का सेवन कर रही है, लेकिन यह मात्रा भी तय मानकों से 40 फीसदी अधिक है, जो स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित नहीं है। इससे पहले सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने भी अपने अध्ययन में जंक फूड और पैकेटबंद भोजन को लेकर आगाह किया था। इस बारे में जारी रिपोर्ट का कहना है कि इस तरह का भोजन खाकर हम जाने-अनजाने में खुद को कई बीमारियों के भंवरजाल में धकेल रहे हैं। इस अध्ययन के नतीजे दर्शाते हैं कि जंक फूड में नमक, वसा, ट्रांस फैट की अत्यधिक मात्रा होती है जो मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय सम्बन्धी बीमारियों के लिए जिम्मेवार है।
डब्लूएचओ ने 2025 तक नमक/ सोडियम के सेवन को 30 फीसदी कम करने का लक्ष्य रखा था। हालांकि यह लक्ष्य अभी भी काफी दूर है।
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )