ललित मौर्या
वैश्विक तापमान में लगातार वृद्धि का सिलसिला जारी है। अप्रैल 2025 में भी बढ़ते तापमान की प्रवत्ति जारी रही। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या 2025 अब तक का सबसे गर्म वर्ष हो सकता है? हालांकि साथ ही विश्लेषण में यह भी सामने आया है कि 2025 के अब तक के पांच सबसे गर्म वर्षों में शुमार होने की आशंका 99 फीसदी से अधिक है
इस बारे में नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (एनसीईआई) ने अपनी नई रिपोर्ट में जानकारी दी है कि 2025 के अब तक के सबसे गर्म वर्ष बनने की आशंका महज तीन फीसदी है। हालांकि साथ ही विश्लेषण में यह भी सामने आया है कि 2025 के अब तक के पांच सबसे गर्म वर्षों में शुमार होने की आशंका 99 फीसदी से अधिक है
रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच वैश्विक स्तर पर सतह का औसत तापमान एनओएए के 176 वर्षों के रिकॉर्ड में दूसरा सबसे गर्म रहा। यह तापमान 20वीं सदी में समान अवधि के दौरान दर्ज औसत तापमान से 1.28 डिग्री सेल्सियस अधिक था। बता दें कि जनवरी से अप्रैल के बीच अब तक की सबसे गर्म अवधि 2024 में दर्ज की गई थी, जब तापमान 20 वीं सदी के औसत से 1.34 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया था। मतलब की अब तक की सबसे गर्म अवधि से इस साल तापमान महज 0.06 डिग्री सेल्सियस कम है।
बढ़ती गर्मी से बिगड़ रहा मौसम
रिपोर्ट में सामने आया है कि साल के शुरूआती चार महीनों के दौरान दुनिया के अधिकांश हिस्से सामान्य से अधिक गर्म रहे। इस दौरान न केवल जमीन बल्कि महासागर भी उबलते दिखे। इस दौरान आर्कटिक महासागर, एशिया, अलास्का, उत्तरी कनाडा और उत्तरी यूरोप के तापमान में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। यह क्षेत्र 1991 से 2020 के औसत से कम से कम 2.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म रहे।
वहीं जनवरी से अप्रैल के बीच उत्तरी कनाडा और उसके आसपास के समुद्री इलाकों, पश्चिमी और मध्य-दक्षिण प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, दक्षिणी महासागरों और उत्तरी अमेरिका, उत्तर अटलांटिक, यूरोप व एशिया के कुछ हिस्सों में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी दर्ज की गई। वहीं दूसरी तरफ मध्य उष्णकटिबंधीय और दक्षिण-पूर्वी प्रशांत महासागर, अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों, मध्य व दक्षिणी अफ्रीका और उत्तर-पश्चिमी व दक्षिण-पूर्वी अटलांटिक में तापमान औसत के आसपास या कुछ ठंडा रहा। हालांकि दुनिया के किसी भी हिस्से में जमीन या समुद्री क्षेत्र में रिकॉर्ड ठंडी जनवरी से अप्रैल अवधि नहीं दर्ज की गई।
दुनिया के सात में से छह महाद्वीपों ने जनवरी से अप्रैल 2025 के अब तक के दस सबसे गर्म वर्षों में अपनी जगह बनाई। इस दौरान ओशिनिया में जनवरी से अप्रैल का तापमान 20 वीं सदी के औसत से 1.62 डिग्री सेल्सियस अधिक था जो उसके लिए रिकॉर्ड की सबसे गर्म जनवरी-से अप्रैल की अवधि रही। एशिया से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उसके लिए यह दूसरी सबसे गर्म जनवरी से अप्रैल की अवधि रही, जब तापमान औसत से 3.01 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया। इससे पहले केवल 2020 में जनवरी से अप्रैल की अवधि इससे गर्म थी। वहीं यूरोप ने अपनी तीसरी सबसे गर्म जनवरी से अप्रैल की अवधि दर्ज की। वहीं अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका, दोनों में यह चौथी सबसे गर्म अवधि रही। इसी तरह उत्तरी अमेरिका ने आठवीं सबसे गर्म अवधि दर्ज की है।
ध्रुवों पर भी बढ़ते तापमान से राहत नहीं
आर्कटिक और अंटार्कटिका भी इस दौरान सामान्य से गर्म रहे। आर्कटिक के लिए यह जहां दूसरी सबसे गर्म अवधि रही, जब तापमान औसत से 3.68 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि 2016 में यह 4.05 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। अंटार्कटिका में भी सामान्य से अधिक तापमान देखने को मिला जब तापमान सामान्य से 0.31 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया।
रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि दुनिया ने इस साल जलवायु इतिहास के अब तक के अपने दूसरे सबसे गर्म अप्रैल का सामना किया। जब तापमान 20वीं सदी के औसत से 1.22 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। बता दें कि 2024 में अब तक का सबसे गर्म अप्रैल का महीना दर्ज किया गया था। हालांकि अप्रैल 2025 उस रिकॉर्ड से महज 0.07 डिग्री सेल्सियस पीछे रहा। ध्यान देने वाली बात यह है कि अब तक के दस सबसे गर्म अप्रैल के महीन 2010 के बाद दर्ज किए गए हैं। इनमें से भी नौ 2016 के बाद रिकॉर्ड किए गए। इसी तरह यह लगातार 49वां अप्रैल का महीना है जब वैश्विक तापमान औसत से अधिक दर्ज किया गया।
यदि सिर्फ जमीनी तापमान में हुए इजाफे को देखें तो दुनिया ने अब तक के सबसे गर्म अप्रैल का सामना किया। इस दौरान तापमान 20वीं सदी के औसत से 1.97 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। मतलब की पिछला सबसे गर्म अप्रैल जो 2016 में दर्ज किया गया था। उसे भी बढ़ते तापमान ने 0.05 डिग्री सेल्सियस से पीछे छोड़ दिया है। वहीं यदि सिर्फ महासागरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो अप्रैल 2025 दूसरा सबसे गर्म अप्रैल रहा। जब तापमान 20वीं सदी के औसत से 0.88 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2025 में न तो अल नीनो की स्थिति रही न ही ला नीना की। मतलब की यह मौसमी पैटर्न न्यूट्रल स्थिति में रहा। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह शांत स्थिति उत्तरी गोलार्ध में गर्मियों और दक्षिणी गोलार्ध में सर्दियों तक बनी रह सकती है। उत्तरी गोलार्ध में देखें तो उसने अपने दूसरे सबसे गर्म अप्रैल का सामना किया जब तापमान 20वीं सदी के औसत से 1.58 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म रहा। इसी तरह दक्षिणी गोलार्ध में भी अप्रैल का तापमान औसत से 0.85 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।
अप्रैल में दुनिया के अधिकांश हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहा। इस दौरान आर्कटिक, एशिया, अंटार्कटिका के कुछ हिस्से और अमेरिका के दक्षिण-पूर्वी भाग में तापमान 1990 से 2020 के औसत से कम से कम से 2 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। ब्रिटिश द्वीप, आयरलैंड, एशिया के कुछ हिस्से, हिंद महासागर, पश्चिमी प्रशांत और दक्षिणी महासागर में अप्रैल का तापमान रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया। वहीं दूसरी तरफ नॉर्वे, ग्रीनलैंड, अंटार्कटिका के पूर्वी-केन्द्रीय हिस्से, दक्षिण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के कुछ क्षेत्रों में तापमान 1991 से 2020 के औसत से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक कम रहा। वहीं अप्रैल 2025 में कहीं भी रिकॉर्ड ठंड नहीं पड़ी।
एशिया ने किया सबसे गर्म अप्रैल का सामना
क्षेत्रीय रूप से देखें तो एशिया ने अब तक के सबसे गर्म अप्रैल का सामना किया, जब तापमान औसत से 3.23 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। पाकिस्तान के लिए यह दूसरा सबसे गर्म अप्रैल था, जब तापमान औसत से 3.37 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया। इसी तरह जापान में भी अप्रैल का महीना औसत से अधिक गर्म रहा। भारत और पाकिस्तान में 14 से 30 अप्रैल के बीच असामान्य रूप से लू का कहर देखा गया, जब कई जगह पर तापमान 49 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। इससे बिजली की मांग काफी बढ़ गई।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि इस दौरान कई जगहों पर खेतों में काम करने वाले मजदूर गर्मी से बीमार तक पड़ गए। ऐसा ही कुछ थाईलैंड में देखने को मिला जब अप्रैल के अंत में लू ने कहर ढाया। माई होंग सोन नामक जगह पर तापमान रिकॉर्ड 42.3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।
इस दौरान दुनिया के अन्य हिस्सों में भी स्थिति कोई खास अच्छी नहीं रही। इस दौरान यूरोप और उत्तरी अमेरिका ने पांचवें सबसे गर्म अप्रैल का सामना किया। वहीं अफ्रीका में सातवां सबसे गर्म अप्रैल दर्ज किया गया। जर्मनी में तापमान में हो रही वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गई। ब्रिटेन में तीसरा सबसे गर्म अप्रैल रहा। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया के लिए यह 11वां सबसे गर्म अप्रैल रहा, और विक्टोरिया में अब तक का सबसे गर्म अप्रैल दर्ज किया गया। न्यूजीलैंड को भी अपने पांचवें सबसे गर्म अप्रैल का सामना करना पड़ा। यदि ध्रुवों की बात करें तो जहां आर्कटिक ने छठे सबसे गर्म अप्रैल का सामना किया। वहीं अंटार्कटिका में भी तापमान औसत से अधिक गर्म रहा।
हावी हो रही चरम मौसमी घटनाएं
बारिश तूफान की बात करें तो अप्रैल 2025 में मध्य एशिया और दक्षिणी अफ्रीका के बड़े हिस्सों में रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई। उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में भी सामान्य से कहीं ज्यादा बारिश दर्ज की गई। भारी बारिश के कारण ब्राजील और कांगो में बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं सामने आई। इसी तरह पश्चिमी सोमालिया में भी बाढ़ से स्थिति बिगड़ गई। भारत में भी सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई। लेकिन इन घटनाओं के बावजूद, पूरी दुनिया में अप्रैल का महीना सामान्य से अधिक सूखा रहा। शुरूआती रुझानों के मुताबिक, अप्रैल 2025 साल 1979 से अब तक का सबसे सूखा अप्रैल हो सकता है।
अप्रैल 2025 में उत्तरी गोलार्ध में बर्फ का आवरण सामान्य से 820,000 वर्ग मील कम रहा। ऐसा ही कुछ अप्रैल 2024 में भी देखने को मिला था। मतलब की इन दोनों वर्षों में अप्रैल के दौरान उत्तरी गोलार्ध में अब तक का सबसे कम बर्फ का आवरण दर्ज किया गया। इस साल, उत्तर अमेरिका और ग्रीनलैंड में बर्फ का आवरण 1,20,000 वर्ग मील कम था, जबकि यूरेशिया में यह 7,10,000 वर्ग मील कम देखा गया। विशेष रूप से बर्फ में यह गिरावट अमेरिका और सेंट्रल एशिया में अधिक देखी गई, जिससे यह साफ हो गया कि इन क्षेत्रों में बर्फ का स्तर सामान्य से बहुत नीचे गिर चुका है।
वैश्विक स्तर पर समुद्री बर्फ के विस्तार को देखें तो वो 1991 से 2020 के औसत से 4,80,000 वर्ग मील कम रहा। मतलब की तीसरा मौका है जब इतनी कम बर्फ देखी गई। इस दौरान आर्कटिक में समुद्री बर्फ का विस्तार सामान्य से 1,60,000 वर्ग मील कम था। अंटार्कटिका में भी समुद्री बर्फ सामान्य से 3,20,000 वर्ग मील कम दर्ज की गई। लेकिन कुछ जगहों जैसे वेडेल और अमुंडसेन समुद्रों में बर्फ सामान्य से ज्यादा थी।
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )