जो लोग लंबे समय से हिंसक संघर्ष वाले इलाकों में रह रहे हैं, अगर वे जीवित बच भी गए तो उनके लिए यह संघर्ष जीवन भर के लिए भारी ठिनाइयों का कारण बन जाता है। यह बात विश्व बैंक की 27 जून को जारी रिपोर्ट में कही गई है। इस रिपोर्ट में संघर्ष-प्रभावित क्षेत्रों की वर्तमान स्थितियां और उससे जुड़े संकट के बारे में बताया गया है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, शिशु एवं मातृ मृत्यु दर के ऊंचा होने, गंभीर खाद्य असुरक्षा और घटती जीवन प्रत्याशा जैसे कई संकटों से जूझ रही 1 अरब की आबादी संघर्ष और अस्थिरता से ग्रस्त 39 देशों या क्षेत्रों में रहती है और यह आबादी बीते 15 वर्षों में चरम गरीबी से बाहर नहीं निकल सकी है।

 विश्व बैंक का आकलन कहता है, “विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में आम तौर पर चरम गरीबी की दर घटकर एकल अंकों में आ गई है — मात्र 6 प्रतिशत। लेकिन जो अर्थव्यवस्थाएं संघर्ष या अस्थिरता का सामना कर रही हैं, वहां यह दर लगभग 40 प्रतिशत है।”

विश्व बैंक ने 39 ऐसे देशों या क्षेत्रों का विश्लेषण किया है जो लंबे समय से संघर्ष और संवेदनशीलता की स्थिति में हैं। इनमें से अधिकांश देश उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र में स्थित हैं, लेकिन कुछ पूर्वी एशिया और प्रशांत तथा पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्रों में भी हैं।

विश्व बैंक के मूल्यांकन में कहा गया है, “एक बार जब संघर्ष शुरू हो जाते हैं, तो वे लंबे समय तक चलते हैं, और इनके आर्थिक प्रभाव गंभीर और दीर्घकालिक होते हैं।” रिपोर्ट बताती है कि आज जिन देशों में संघर्ष या अस्थिरता है, उनमें से आधे पिछले 15 वर्षों या उससे अधिक समय से ऐसी ही परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं।

इन देशों को संवेदनशील और संघर्ष-प्रभावित परिस्थितियां (एफसीएस) वाले देश कहा गया है। वर्ष 2000 के बाद से इन देशों में संघर्षों की संख्या और उनकी तीव्रता में लगातार वृद्धि हुई है। विश्व बैंक का कहना है कि 2000 के बाद से संघर्ष की घटनाएं और उनसे होने वाली मौतों की संख्या तीन गुना से अधिक हो गई है और इसका अधिकांश इजाफा 2010 के आसपास से देखा गया है। इस समूह में इथियोपिया, सूडान, यूक्रेन, वेस्ट बैंक और गाजा जैसे देश प्रमुख रूप से शामिल हैं।

विश्व बैंक समूह के मुख्य अर्थशास्त्री इंदरमीत गिल का कहना है कि हालांकि दुनिया का ध्यान यूक्रेन और मध्य पूर्व की ओर केंद्रित है, लेकिन वास्तव में संघर्ष और अस्थिरता से पीड़ित 70 प्रतिशत से अधिक लोग अफ्रीका में हैं। यदि इन परिस्थितियों का उपचार नहीं किया गया, तो वे पुरानी बीमारियों की तरह स्थायी हो जाएगी।

वे आगे जोड़ते हैं, “आज जिन देशों को संघर्ष या अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है, उनमें से आधे 15 वर्षों या उससे अधिक समय से इसी स्थिति में हैं। इतनी व्यापक पीड़ा अंततः दूसरों को भी प्रभावित करती है।” निकट भविष्य में यह समूह (एफसीएस देश) दुनिया के सबसे अधिक गरीबी की चरम दशा के शिकार लोगों का घर बनने जा रहा है। विश्व बैंक के आकलन के अनुसार, “2030 तक संघर्ष और संवेदनशीलता से ग्रस्त अर्थव्यवस्थाएं दुनिया के लगभग 60 प्रतिशत चरम गरीबों की आबादी को समेटे होंगी।”

वर्तमान में इन देशों में 42.1 करोड़ लोग चरम गरीबी में रह रहे हैं — यह संख्या बाकी दुनिया के कुल चरम गरीबों से भी अधिक है। इन देशों की लगभग 40 प्रतिशत आबादी प्रतिदिन तीन डॉलर से भी कम पर गुजारा करती है। विश्व बैंक के मूल्यांकन के अनुसार, यदि प्रति दस लाख जनसंख्या पर संघर्ष से संबंधित मौतों में 1 प्रतिशत की वृद्धि होती है, तो पांच वर्षों में प्रति व्यक्ति जीडीपी में लगभग 3.7 प्रतिशत की गिरावट आती है।

रिपोर्ट कहती है, “उच्च तीव्रता वाले संघर्ष (जिनमें शुरुआत में प्रति दस लाख जनसंख्या पर 150 से अधिक मौतें होती हैं) आम तौर पर पांच वर्षों में प्रति व्यक्ति जीडीपी में लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट लाते हैं, जब इसकी तुलना संघर्ष से पहले के अनुमानों से की जाती है।”

खाद्य असुरक्षा भी इन क्षेत्रों में तेजी से बढ़ी है। रिपोर्ट बताती है कि “लगभग 18 प्रतिशत एफसीएस देशों की आबादी (जो करीब 20 करोड़ है) इस समय तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, जबकि अन्य उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में यह आंकड़ा मात्र एक प्रतिशत है।” इसका अर्थ है कि एफसीएस देशों में खाद्य असुरक्षा विकासशील देशों की तुलना में 18 गुना अधिक है।

इन देशों में शिशु मृत्यु दर भी अत्यधिक है। बैंक का कहना है, “एफसीएस देशों में शिशु मृत्यु दर अन्य देशों की तुलना में दो गुना से भी अधिक है।” जैसा कि संभव है, इन देशों में औसत आयु भी अन्य देशों की तुलना में कम है। रिपोर्ट के अनुसार, “संघर्ष और अस्थिरता का सामना कर रहे देशों में औसतन जीवन प्रत्याशा 64 वर्ष है, जो अन्य विकासशील देशों की तुलना में सात वर्ष कम है।” रिपोर्ट में इसे दीर्घकालिक अस्थिरता और संघर्ष की स्थितियों का परिणाम बताया गया है।

       (‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )

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