दयानिधि
केरल के तीन जिलों में निपाह वायरस ने पैर पसार लिए हैं, इन जिलों में कोझीकोड, मलप्पुरम और पलक्कड़ शामिल हैं। केरल के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, पलक्कड़ और मलप्पुरम जिलों में निपाह वायरस के दो मामले सामने आए हैं। जबकि कोझीकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल और मलप्पुरम में किए गए शुरुआती जांच में निपाह के पॉजिटिव मामले पाए गए हैं।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि जिलों को एनआईवी से पुष्टि की प्रतीक्षा किए बिना, राज्य निपाह प्रोटोकॉल के अनुसार तुरंत निवारण और नियंत्रण उपाय शुरू करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मानें तो 19 मई 2018 को भारत के केरल के कोझिकोड जिले से निपाह वायरस रोग (एनआईवी) के प्रकोप की जानकारी मिली थी। यह दक्षिण भारत में एनआईवी का पहला प्रकोप था। एक जून, 2018 तक 17 मौतें और 18 मामले सामने आए थे। दो प्रभावित जिले ‘कोझिकोड’ और ‘मल्लपुरम’ थे।

भारत सरकार के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के नेतृत्व में एक अलग-अलग विषयों की टीम को प्रकोप से निपटने के लिए केरल भेजा था। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वह जरूरत के अनुसार निपाह वायरस से निपटने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
मई 2018 में केरल के कोझिकोड और मलप्पुरम जिलों में सामने आए निपाह के प्रकोप भारत में निपाह वायरस के प्रकोपों में से यह तीसरी बार था, इससे पहले 2001 और 2007 में पश्चिम बंगाल में निपाह वायरस का प्रकोप फैला था। कुल 23 मामलों की पहचान की गई, जिसमें 18 की प्रयोगशाला में पुष्टि वाले मामले शामिल थे।

केरल राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने सोशल साइट फेसबुक पर जानकारी साझा करते हुए कहा है कि तीन जिलों में शुरू किए जा रहे नियंत्रण उपायों पर चर्चा करने के लिए एक उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई गई। इन जिलों में एक ही समय में निवारक और नियंत्रण उपाय किए जाएंगे, प्रत्येक जिले में 26 सदस्यीय समितियां होंगी।
संपर्क सूची राज्य और जिला हेल्पलाइन के साथ पुलिस बल की मदद से तैयार की जाएगी। पलक्कड़ और मलप्पुरम में कंटेनिंग जोन घोषित किए जाएंगे और जिला संग्राहक आवश्यक उपाय करेंगे। जिलों को सार्वजनिक घोषणाओं और संपर्क के लिए निर्देशित किया गया है, यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई भी मामला न छोड़ा जाय। इस अवधि के दौरान अप्राकृतिक मृत्यु के किसी भी मामले की विस्तार से जांच की जानी चाहिए।

क्या है निपाह वायरस?
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, निपाह वायरस (एनआईवी) एक जूनोटिक वायरस है (यह जानवरों से लोगों तक फैलता है) और यह दूषित भोजन के द्वारा या सीधे लोगों के बीच भी पहुंच सकता है। संक्रमित लोगों में, यह असिम्प्टोमटिक संक्रमण से लेकर सांस की बीमारी और घातक एन्सेफलाइटिस तक की कई बीमारियों का कारण बनता है। वायरस सूअर जैसे जानवरों में गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है, जिसके कारण किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होता है। हालांकि निपाह वायरस एशिया में केवल कुछ प्रकोपों का कारण बना है, यह जानवरों को संक्रमित करता है और लोगों में गंभीर बीमारी और मृत्यु तक हो सकती है, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है।

निपाह वायरस पहली बार 1999 में मलेशिया में सुअर पालने वाले किसानों में फैला था। 1999 से मलेशिया में कोई नया प्रकोप नहीं हुआ है। इसे 2001 में बांग्लादेश में भी निपाह का प्रकोप हुआ। पूर्वी भारत में समय -समय पर इस बीमारी की पहचान भी की गई है।

वर्तमान में निपाह वायरस संक्रमण के लिए विशेष दवाएं या टीके विशिष्ट नहीं हैं, हालांकि डब्ल्यूएचओ ने निपाह पर शोध और विकास के लिए इसे एक गंभीर बीमारी के रूप में पहचाना है। डब्ल्यूएचओ के द्वारा गंभीर श्वसन और न्यूरोलॉजिक जटिलताओं के इलाज के लिए गहन देखभाल की सिफारिश की जाती है।
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )
