विकास शर्मा
विश्व स्वास्थ्य संगठन के 75 वीं वर्षगांठ पर विश्व स्वास्थ्य दिवस को सभी के लिए समर्पित किया गया है. कोविड महामारी ने सबसे बड़ा सबक यही दिया है कि हम सभी को एक अच्छी सेहत देने का तंत्र तक विकसित नहीं कर सके हैं इसी लिए इस साल इस दिवस की थीम भी “सेहत सभी के लिए” रखी गई है
आज से 75 साल पहले 1948 को देश संयुक्त राष्ट्र में दुनिया के तमाम देशों ने मिलकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना की जिससे सेहत को प्रोत्साहित किया जा सके, कमजोरों की सेवा की जा सके और दुनिया को सुरक्षित रखा जा सके. मकसद था दुनिया में हर जगह लोग सेहत और अच्छा जीवन के उच्चतम को हासिल करने के काबिल बन सकें. आज संयुक्त राष्ट्र और दुनिया विश्व स्वास्थ्य दिवस की 75वीं वर्षगांठ मना रही है. यह पीछे मुड़कर यह देखने का समय है कि जन स्वास्थ्य के मामले में हम जीवन की गुणवत्ता को बेहतर करने में कितने सफल हो सके हैं इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस साल सभी के लिए सेहत पर जोर देने का फैसला किया है.
अवलोकन करने का अवसर
विश्व स्वास्थ्य संगठन को 75 साल होने पर हमारे पास एक यह मौका भी है कि हम आज और आने वाले कल आने वाले स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए सही कदम उठाने के लिए प्रेरित हों. संगठन के लिए साढ़े सात दशक कई उतार चढ़ाव भरे कुछ अभूतपूर्व उपलब्धियां रहीं तो कुछ कड़वे सबक भी रहे.
कुछ बड़ी उपलब्धियां
कुल मिलाकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लोगों को कई बीमारियों और विनाश से बचाने में अभूतपूर्व प्रगति की है जिसमे चेचक का उन्मूलन, पोलियो संक्रमण को 99 फीसद तक रोकने, लाखों करोड़ों बच्चों को टीके से कई जानलेवा बीमारियों से बचाया है, शिशु मृत्यु दर को कम किया है, करोड़ों की सेहत बेहतर की है.
काफी काम बाकी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल डॉ टेड्रॉस, एधेनोम फेब्रेयेसस का कहना है कि संगठन का इतिहास बताता है कि जब दुनिया के सभी देश एक साझा मकसद के लिए एक होते हैं तो क्या क्या हो सकता है. उन्होंने कहा, “हमारे पास गर्व करने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन सभी लोगों के लिए सर्वोच्च मानक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के हमारे मूल स्वप्न को हासिल करने के लिए बहुत काम करना बाकी है.”
आगे की चुनौतियां
सभी को सेहत उपलब्ध कराना आसान नहीं है यह बिलकुल सभी को एक सी सुविधाओं जितना असंभव कार्य जैसा लगता है और मुश्किल है भी लेकिन असंभव नहीं हैं. चुनौती दुनिया में फैली स्वास्थ्य सेवाओं की असमानताओं को दूर करना है इनमें भी मूलभूत सेवाओं के साथ आपात सेवाओं को उपलब्धता को सुनिश्चित करना लक्ष्य का हिस्सा है, लेकिन यह असंभव बिलकुल नहीं है.
वैश्विक सहयोग की जरूरत
इन चुनौतियों से निपटने के लिए सही नीति और तंत्र का विकास एक कारगर उपाय साबित होगा. कई चुनौतियां हैं जिनमें सामाजिक और राजनैतिक असमानताओं के साथ जलवायु परिवर्तन के खतरे तक शामिल हैं, लेकिन जैसा कि डॉ फेब्रेयेसस कहते हैं, “हम इन वैश्विक चुनौतियों को केवल वैश्विक सहयोग से ही निपट सकते हैं.”
क्या करना होगा
इन चुनौतियों से निपटने के लिए संगठन देशों से गुजारिश कर रहा है कि वे रणनीतिक प्राथमिकता के तहत स्वास्थ्य कार्यबल की रक्षा करें, उनका समर्थन करें और उनका विस्तार करें. शिक्षा में निवेश, स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छी नौकरियों और कार्यकुशलताओं को प्राथमिकताओं देनी होगी जिससे स्वास्थ्य की बढ़ती मांग के आधार पर 2030 तक होने वाली एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों की कमी की पूर्ति हो सके.
प्राकृतिक संसाधनों का असमान वितरण, सामाजिक और आर्थिक विषमताओं के अलावा राजनैतिक असमानताएं स्वास्थ्य सेवाएं सभी तक पहुंचाने में बाधाएं बनी हुई हैं. एक तरफ विकासशील देश निचले तबके के लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए संघर्षरत हैं क्योंकि उन तक पानी और भोजन तक मुहैया करना पाना मुश्किल होता जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ विकसित देशों में स्वसाथ्य एक उन्नत उद्योग की तरह पनप रहा है जिसका फायदा बहुत सीमित जनसंख्या तक है. कोविड 19 महामारी ने दुनिया को इस विषमता से परिचित कराया है. उम्मीद है कि अब स्वास्थ्य सेवाएं सब तक पहुंचने में बेहतर गति आएगी.
(‘न्यूज़ 18 हिंदी’ के साभार )