हर साल विश्व में 3 दिसंबर का दिन अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन का मकसद है – दिव्यागों के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करना। हर साल इस दिन दिव्यांगों के विकास, उनके कल्याण के लिए योजनाओं, समाज में उन्हें बराबरी के अवसर मुहैया करने पर गहन विचार विमर्श किया जाता है।
विश्व विकलांग दिवस का इतिहास
विश्व विकलांग दिवस (World Disabilities Day 2021) के लिए वार्षिक ऑब्जरवेशन की घोषणा यूनाइटेड नेशंस ने जनरल असेम्बली रेजोल्यूशन में 1992 में की थी. जनरल असेम्बली रेजोल्यूशन 47/3 के तहत यह वार्षिक ऑब्जर्वेशन घोषित किया गया था. इसका उद्देश्य समाज सभी क्षेत्रों में विकलांग लोगों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देना है. इसके अलावा राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के हर पहलू में विकलांग व्यक्तियों की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. यूनाइटेड नेशंस में विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों का कन्वेंशन 2006 में अपनाया गया.
विभिन्न देशों व अंतरराष्ट्रीय संगठनों से विकलांगों के प्रति लोगों की समझ बढ़ाने, विकलांगों के जीवन को सुधारने के लिए सक्रिय रूप से गतिविधियों का आयोजन करने की अपील की गयी, ताकि उन्हें समाज में भाग लेने के समान अवसर मिल सकें। संयुक्त राष्ट्र वेबसाइट के अनुसार, वर्तमान में दुनिया भर में 1 अरब विकलांग लोग हैं, और उनमें से 80 प्रतिशत विकासशील देशों में हैं। आमतौर पर उनका स्वास्थ्य खराब होता है और शिक्षा स्तर निम्न होता है। उन्हें आर्थिक अवसर भी कम प्राप्त होते हैं। उनके बेरोजगार होने की संभावना अधिक होती है, और गरीबी दर व मृत्यु दर सामान्य लोगों की तुलना में अधिक होती है। इसके अलावा, पूर्वाग्रह और भेदभाव के कारण, विकलांग व्यक्तियों को जो अधिकार मिलने चाहिए, अकसर वे मिलते नहीं हैं। कई वर्षों से, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों के साथ-साथ दुनिया भर के विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करने और बाधा मुक्त समाज स्थापित करने में कुछ प्रगति हासिल हुई है। हालांकि, विकलांगों को हाशिए पर रखने वाली पर्यावरणीय, सामाजिक और कानूनी बाधाएं अभी भी मौजूद हैं। रोजगार, शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में विकलांगों को अब तक पूरे अधिकार नहीं मिले हैं।
थीम इस साल विश्व विकलांग दिवस के लिए थीम ‘Not All Disabilities are Visible’ रखी गई है. यह विकलांगों की समझ और जागरूकता पर ध्यान केन्द्रित करती है. WHO के अनुसार दुनिया की 15 फीसदी आबादी विकलांगता के साथ जी रही है. न्यूरोलोजी समस्याओं के साथ जी रहे काफी लोग पेशेवर चिकित्सा का लाभ नहीं उठा पाते हैं. यह समाज में उनकी उपेक्षा और बराबरी का अधिकार नहीं मिलने के कारण है. मानसिक स्थिति, और तनाव ऐसी डिसेबिलिटीज हैं जो दिखाई नहीं देती है.
विश्व विकलांग दिवस की अहमियत विश्व विकलांग दिवस का महत्व तब बढ़ जाता है, जब बात विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों की आती है. यही एक ऐसा दिन होता है, जब विकलांग व्यक्तियों के कल्याण की बातें की जाती हैं. समाज में हो रही उपेक्षा और उन्हें हीन भावना से देखे जाने वाली बातों पर अंकुश लगाने के लिए यह दिन ख़ास अहमियत रखता है. कला प्रदर्शनी, चित्रों आदि की गैलरी से इस दिन को मनाया जा सकता है. विकलांग व्यक्तियों को सम्मान देते हुए कार्यक्रमों का आयोजन कर उन्हें समाज में एक बराबर वर्ग बताते हुए जागरूकता फैलाई जा सकती है. विकलांग व्यक्तियों के कामों की तारीफ करते हुए उन्हें पुरस्कृत करने से इस दिन की अहमियत और ज्यादा बढ़ जाती है.
विश्व विकलांग दिवस को मनाने का लक्ष्य
इस उत्सव को मनाने का महत्वपूर्ण लक्ष्य विकलांगजनों के अक्षमता के मुद्दे की ओर लोगों की जागरुकता और समझ को बढ़ाना है।
समाज में उनके आत्म-सम्मान, लोक-कल्याण और सुरक्षा की प्राप्ति के लिये विकलांगजनों की सहायता करना।
जीवन के सभी पहलुओं में विकलांगजनों के सभी मुद्दे को बताना।
इस बात का विश्लेषण करें कि सरकारी संगठन द्वारा सभी नियम और नियामकों का सही से पालन हो रहा है य नहीं।
समाज में उनकी भूमिका को बढ़ावा देना और गरीबी घटाना, बराबरी का मौका प्रदान कराना, उचित पुनर्सुधार के साथ उन्हें सहायता देना।
उनके स्वास्थ्य, सेहत, शिक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा पर ध्यान केन्द्रित करना।
विश्व विकलांग दिवस को मनाना क्यों आवश्यक है
ज्यादातर लोग ये भी नहीं जानते कि उनके घर के आस-पास समाज में कितने लोग विकलांग हैं। समाज में उन्हें बराबर का अधिकार मिल रहा है कि नहीं। अच्छी सेहत और सम्मान पाने के लिये तथा जीवन में आगे बढ़ने के लिये उन्हें सामान्य लोगों से कुछ सहायता की ज़रुरत है, । लेकिन, आमतौर पर समाज में लोग उनकी सभी ज़रुरतों को नहीं जानते हैं। आँकड़ों के अनुसार, ऐसा पाया गया है कि, लगभग पूरी दुनिया के 15% लोग विकलांग हैं। इसलिये, विकलांगजनों की वास्तविक स्थिति के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिये इस उत्सव को मनाना बहुत आवश्यक है। विकलांगजन “विश्व की सबसे बड़ी अल्पसंख्यकों” के तहत आते हैं और उनके लिये उचित संसाधनों और अधिकारों की कमी के कारण जीवन के सभी पहलुओं में ढ़ेर सारी बाधाओं का सामना करते हैं।
भारत में विकलांगो की संख्या
भारत में भी 2.68 करोड़ यानी 2.21% दिव्यांग हैं। ये संख्या ऑस्ट्रेलिया की आबादी के बराबर है। सामाजिक न्याय मंत्रालय के मुताबिक देश में देखने-सुनने की समस्या वाले दिव्यांग 1 करोड़ से ज्यादा हैं।भारत मे
भारत में विकलांग लोगों की समस्याएं
समाज का इन लोगों से अछूतों सा व्यवहार. शरीर में किसी तरह की अपंगता या किसी भाग का सामान्य से अलग होना अथवा कार्य न करना शारीरिक विकलांगता को दर्शाता है. बहरापन, गूंगापन, अंधापन, लंगड़ाना आदि कुछ ऐसी विकृतियां हैं जिनसे मनुष्य को सामान्य जीवन जीने में परेशानी होती है.
दिव्यांगों को स्वास्थ्य देखभाल में न मिलने की आशंका ज्यादा।
दिव्यांगों से हिंसा की आशंका 10 गुना, जबकि दिव्यांग बच्चों सेे यौन शोषण की 3 गुना अधिक।
विकलांगता की समस्या से दो चार हो रहे लोगों के लिए जो न्यूनतम आवश्यक सुविधाएं सार्वजानिक जगहों पर होनी चाहिए, उसका अभाव लगभग सभी शहरों में है. अस्पताल, शिक्षा संस्थान, पुलिस स्टेशन जैसी जगहों पर भी उनके लिए टॉयलेट या व्हील चेयर नहीं हैं.