विरोधाभासी रिपोर्टों और दावों से पैरेंट्स बुरी तरह कंफ्यूज हैं। वे चिंतित हैं कि उन्हें अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए या नहीं। जहां कुछ राज्यों में स्कूल खुल गए हैं तो तमाम राज्यों में स्कूल खुल गए हैं। वहीं, कुछ इसकी तैयारी में हैं। इस बीच सरकार की एक रिपोर्ट और इसे काटते वैज्ञानिक दावे ने पैरेंट्स की उलझन बढ़ा दी है। वो अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर उलझन में हैं।दरअसल, गृह मंत्रालय के एक पैनल ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को चेतावनी जारी की है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट (NIDM) के तहत बनाई गई कमेटी ने अक्टूबर में संक्रमण पीक पर पहुंचने की चेतावनी दी है। कमेटी ने इसका बच्चों पर सबसे बुरा असर पड़ने की बात कही है और अभी से तैयार रहने का अलर्ट दिया है।पैनल ने अस्पतालों में पूरी तैयारी रखने की हिदायत दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में बच्चों के लिए मेडिकल सुविधाएं, वेंटीलेटर, डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, एंबुलेंस, ऑक्सीजन की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए। माना जा रहा है कि तीसरी लहर का ज्यादातर असर बच्चों के साथ युवाओं पर पड़ेगा। ऐसे में इन्हें अभी से सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
क्या कहती है NIDM की रिपोर्ट?
एनआईडीएम के तहत गठित एक्सपर्ट पैनल ने तीसरी लहर की चेतावनी दी है। उसने कहा है कि तीसरी लहर अक्टूबर के आसपास पीक पर पहुंच सकती है। उसने स्थितियों से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है। पैनल ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में रॉयटर्स के ओपीनियन सर्वे का हवाला दिया गया है। सर्वे में 40 एक्सपर्ट्स ने 15 जुलाई से 31 अक्टूबर 2021 के बीच भारत में कोरोना की तीसरी लहर आने के संकेत जताए हैं। इसका सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को है।
तैयार रहने पर जोर
तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए रिपोर्ट में बच्चों के लिए खास तैयारी करने को कहा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों के लिए मेडिकल सुविधाओं की भारी किल्लत हैं। डॉक्टर, कर्मचारी, वेंटिलेटर, एम्बुलेंस इत्यादि की जरूरत होगी। रिपोर्ट में गंभीर रूप से बीमार और दिव्यांग बच्चों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीनेशन पर विशेष ध्यान देने की बात कही गई है।
बड़ी संख्या में बच्चों का टीकाकरण करने की जरूरत
यह रिपोर्ट ऐसे समय सामने आई है, जब बच्चों के लिए वैक्सीनेशन शुरू करने की तैयारी चल रही है। कमेटी ने भी बड़ी संख्या में बच्चों का टीकाकरण करने की जरूरत बताई है। साथ ही कोविड वार्ड को फिर से इस आधार पर तैयार करने की सलाह दी है, जिससे बच्चों के गार्जियन को भी साथ रहने की इजाजत हो।
तीसरी लहर न आने का दावा
वहीं, आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने दावा किया है कि देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका अब नहीं के बराबर है। प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि इसके पीछे वजह बड़ी संख्या में वैक्सीन लगना है। उनका यह दावा मैथमैटिकल मॉडल पर आधारित है। अग्रवाल ने कहा कि अक्टूबर तक देश में कोरोना संक्रमण के एक्टिव केस 15 हजार के करीब ही रह जाएंगे। इसकी वजह तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक, असम, अरुणाचल समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में संक्रमण की मौजूदगी रहेगी। वहीं, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली और मध्य प्रदेश जैसे राज्य संक्रमण से लगभग मुक्त हो जाएंगे।
इस बार हालात ज्यादा गंभीर होने की आशंका
नीति आयोग ने इससे पहले सितंबर, 2020 में भी कोरोना की दूसरी लहर को लेकर अनुमान लगाया था। आयोग ने 100 संक्रमितों में से गंभीर कोविड लक्षणों वाले करीब 20 मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत बताई थी, लेकिन इस बार हालात ज्यादा गंभीर हो सकते हैं।
दो अलग-अलग दावों से उलझन में पैरेट्स
इन दो अलग-अलग तरह की बातों से पैरेंट्स उलझन में हैं। उनकी चिंता यह है कि वे बच्चों को स्कूल भेजे या नहीं। जब स्थिति साफ नहीं है तो कुछ राज्य स्कूलों को खोल ही क्यों रहे हैं। सोशल मीडिया पर ज्यादातर पैरेंट्स की प्रतिक्रिया देखकर तो यही लगता है कि वे चाहते हैं कि स्कूलों को बंद ही रखा जाए।
स्कूल खुलने पर क्या है खतरा?
स्कूल खुलने पर कई तरह के खतरे हैं। सबसे पहली बात यह है कि बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है। अभी देश में 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को ही टीका लग रहा है। दूसरी अहम बात यह है कि जब बड़े कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर (कोरोना सम्मत व्यवहार) नहीं अपना रहे हैं तो बच्चों से इसकी उम्मीद कैसे की जा सकती है। स्कूल में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को कैसे लागू कराया जाएगा, यह सुनिश्चित करना मुश्किल है। तीसरा, कोरोना की दूसरी लहर में पूरे देश ने इस वायरस का कोहराम देखा है। देश में बच्चों के लिए वैसे भी मेडिकल फैसिलिटी और इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत मजबूत नहीं है। बच्चे संक्रमित हुए तो इनके साथ पैरेंट्स को भी रहना पड़ सकता है। देश में शायद ही कोई शहर ऐसा हो जिसके पास स्थितियों को संभालने के लिए इतने इंतजाम हों। लिहाजा, ज्यादातर पैरेंट्स बच्चों के साथ रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं।ट्रेंड होने लगा कोरोना
सरकारी रिपोर्ट और दावे के बीच सोमवार को ट्विटर पर #ThirdWaveOfCorona ट्रेंड होने लगा। इस हैशटैग के साथ लोगों ने कोरोना की तीसरी लहर को लेकर अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। ज्यादातर ने बच्चों को लेकर ही जिंता जाहिर की।