पानी की कमी का संकट केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के लगभग सभी देशों की एक विकट समस्या बन चुका है. इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए जल संरक्षण और रखरखाव को लेकर दुनियाभर में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है. भारत के कई शहरों पर पानी का खतरा मंडरा रहा है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक भारत के कई शहरों में पानी खत्म होने की कगार पर आ जाएगा। बताया जा रहा है इस किल्लत का सामना सबसे ज्यादा दिल्ली, बंगलूरू, चेन्नई और हैदराबाद के लोगों को करना पड़ेगा। रिपोर्ट के अनुसार 2020 से ही पानी की परेशानी शुरू हो गई है । यानी कुछ समय बाद ही करीब 10 करोड़ लोग पानी के कारण परेशानी उठाएंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक देश के लगभग 40 फीसदी लोगों तक पीने के पानी की पहुंच खत्म हो जाएगी। वहीं चेन्नई में आगामी दिनों में तीन नदियां, चार जल निकाय, पांच झील और छह जंगल पूरी तरह से सूख जाएंगे। जबकि कई अन्य जगहों पर भी इन्हीं परिस्थितियों से गुजरना पड़ेगा। बता दें कि तीन साल पहले नीति आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि देश में जल संरक्षण को लेकर अधिकांश राज्यों का काम संतुष्टिजनक नहीं है। जिन राज्यों की रिपोर्ट अत्यंत कमजोर रही, उनमें छत्तीसगढ़, राजस्थान, गोवा, केरल, उड़ीसा, बिहार, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, झारखंड, सिक्किम, असम, नागालैंड, उत्तराखंड और मेघालय शामिल हैं।
मध्यम स्तर की रिपोर्ट वाले राज्यों में त्रिपुरा और हिमाचल प्रदेश का नाम सामने आया था। मौसम विभाग के अनुसार तब बताया गया था कई वर्षों से देश के कुछ राज्यों में औसत से भी कम बारिश दर्ज की गई थी। जबकि कई राज्य सूखे की स्थिति से गुजर रहे हैं। यही वजह है कि भू-जल स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है। पानी के संकट से निपटने के लिए नीति आयोग ने देश की आधी, करीब 450 नदियों को आपस में जोड़ने का एक विस्तृत प्रपोजल तैयार किया है। बरसात में या उसके बाद बहुत सी नदियों का पानी समुंद्र में जा गिरता है। अगर समय रहते इस पानी को उन नदियों में ले जाया जाए, जहां साल के अधिकतर महीनों में सूखा दिखता है तो आसपास के क्षेत्रों में कषि हो सकती है।
विश्व जल दिवस का इतिहास
हम हर साल देखते है पानी बचाने के लिए बड़े -बड़े अभियन चलाए जाते हैं जहां पानी को लेकर लोग और कई दिग्गज व्यक्तित्व अपने विचार रखते हैं, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि आखिर विश्व जल दिवस की शुरुआत कब हुई थी? आइए बताते हैं. दरअसल 22 दिसंबर, 1992 को संयुक्त राष्ट्र असेंबली में प्रस्ताव लाया गया था, जिसमें ये घोषणा की गई कि 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाएगा. इसके बाद 1993 से दुनियाभर में 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
विश्व जल दिवस 2022 की थीम
हर साल वर्ल्ड वाटर डे एक थीम के साथ आयोजित किया जाता है और उस थीम के उद्देश्य को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। वर्ल्ड वाटर डे 2022 का थीम है ‘ग्राउंडवाटर: मेकिंग द इंविजिबल विजिबल’ है। ग्राउंड वाटर एक महत्वपूर्ण संसाधन है जो दुनिया भर में पीने योग्य पानी का लगभग आधा भाग प्रदान करता है। इस वर्ष वर्ल्ड वाटर डे का मुख्य उद्देश्य ग्राउंड वाटर की खोज, संरक्षण और निरंतर उपयोग करना होगा।
वर्ल्ड वाटर डे महत्व
वाटर डे का उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को पानी से संबंधित मुद्दों के बारे में अधिक जानने और बदलाव लाने के लिए प्रेरित करना है। 2022 में ग्राउंड वाटर पर ध्यान केंद्रित किया गया है जो एक अदृश्य संसाधन जिसका प्रभाव हर जगह दिखाई दे रहा है। इस दिन पानी से जुड़े जरूरी मुद्दों जैसे पानी की कमी, जल प्रदूषण, अपर्याप्त जल आपूर्ति, स्वच्छता की कमी और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को शामिल किया गया है।