21 वीं सदी के मौजूदा दौर में विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में आई क्रांति के कारण भले ही आज अंग दान – अंग प्रत्यारोपण दुनिया के लिए सामान्य बात हो गई हो, पर भारत के लिए यह अब भी एक दुष्कर कार्य है। इसकी एक वजह भले ही इसके लिए देश में आवश्यक ढांचागत सुविधा, तकनीक एवं विशेषज्ञों की समुचित व्यवस्था का अभाव रहा हो पर इसकी दूसरी वजह, देश के बड़े हिस्से में इसको लेकर लोगों में आवश्यक जागरूकता की कमी भी है। रूढ़िवादी परम्पराओं, मूढ़ मान्यताओं, मानसिक जड़ता एवं भ्रांतियों के कारण लोग अनावश्यक रूप से इससे परहेज करते हैं। ऐसे में यदि देश के किसी कोने से स्वेच्छा पूर्वक, सहर्ष अंगदान अथवा देहदान की खबर मिलती है तो बेहद खुशी महसूस होती है। पिछले दिनों ऐसा ही एक मामला कर्नाटक में सामने आया है, जहां शादी के दौरान की दुल्हन की हुई आकस्मिक मौत के बाद उसके माता-पिता ने बेटी का अंगदान कर एक मिसाल पेश किया। निश्चय ही यह बेहद सराहनीय एवं प्रेरणादायक पहल है, जिसे हर हाल में आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
कर्नाटक के कोलार शहर का मामला
यह घटना कर्नाटक के कोलार शहर की है। यहां 26 साल की चैत्रा की शादी हो चुकी थी और रिसेप्शन के दौरान चैत्र दुल्हन बनकर मंच पर पहुंची और दूल्हे के साथ बैठ गई थी, तभी अचानक बेहोश होकर मंच पर ही गिर गई। तब तत्काल चैत्रा के परिजन उन्हें पास के अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें बैंगलोर निमहंस अस्पताल रेफर कर दिया। परिजन उसे वहां ले गए तो डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया।
माता-पिता के लिए कठिन समय, बेटी के अंग दान किए
चैत्र के माता-पिता के लिए यह समय बहुत कठिनाई भरा था, लेकिन उन्होंने ऐसा निर्णय लिया कि वे समाज के लिए एक मिसाल बन गए। चैत्रा के माता-पिता ने अपनी ब्रेन डेड बेटी के अंग दान किए। इसके बाद कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के. सुधाकर ने उनके इस फैसले की सराहना की। स्वास्थ्य मंत्री ने ट्वीट किया, ‘26 साल के चैत्र के लिए यह एक बड़ा दिन था लेकिन नियति की कुछ और ही योजना थी। वह कोलार जिले के श्रीनिवासपुर में अपनी शादी के रिसेप्शन के दौरान गिर गईं। बाद में उन्हें NIMHANS में ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। दिल तोड़ने वाली त्रासदी के बावजूद, उसके माता-पिता ने उसके अंग दान करने का फैसला किया है।’
अंगदान एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक इंसान (मृत और कभी-कभी जीवित भी) से स्वस्थ अंगों और टिशूज़ को ले लिया जाता है और फिर इन अंगों को किसी दूसरे जरूरतमंद शख्स में ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है। इस तरह अंगदान से किसी दूसरे शख्स की जिंदगी को बचाया जा सकता है। एक शख्स द्वारा किए गए अंगदान से 50 जरूरतमंद लोगों की मदद हो सकती है।
कोई भी शख्स अंगदान कर सकता है। उम्र का इससे कोई लेना-देना नहीं है। नवजात बच्चों से लेकर 90 साल के बुजुर्गों तक के अंगदान कामयाब हुए हैं। अगर कोई शख्स 18 साल से कम उम्र का है तो उसे अंगदान के लिए फॉर्म भरने से पहले अपने मां-बाप की इजाजत लेना जरूरी है।
भारत में सरकारी स्तर पर उपेक्षा
भारत में हर दस लाख में सिर्फ 0.08 डोनर ही अपना अंगदान करते हैं. हैरान हो गए न. जबकि, अमेरिका, यूके, जर्मनी में 10 लाख में 30 डोनर और सिंगापुर, स्पेन में हर 10 लाख में 40 डोनर अंगदान करते हैं. इस मामले में भारत काफी पीछे है.
भारतीय राज्यों में अंगदान की स्थिति
देश में अंगदान करने के मामले में तमिलनाडु सबसे आगे है. यहां हर दस लाख लोगों पर अंग दान करने वालों की संख्या 136 है. तमिलनाडु के बाद केरल का नंबर आता है. केरल में हर 10 लाख आबादी में 58 लोग अंगदान करते हैं. महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में 52-52, कर्नाटक में 39 , गुजरात में हर 10 लाख में 28 लोग ही अंगदान करते हैं. देश की राजधानी दिल्ली और उससे जुड़े एनसीआर इलाके में ये आंकड़ा महज 20 है जबकि यूपी में हर 10 लाख में सिर्फ 7 लोग ही अंगदान करते हैं.