संयुक्त राष्ट्र एशिया और प्रशांत के आर्थिक एवं सामाजिक आयोग की नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में हर साल लगभग 1.4 करोड़ नवजात शिशु अपनी पहली सालगिरह तक पंजीकृत नहीं हो पाते हैं।

हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ सालों में पंजीकरण की प्रक्रिया में काफी सुधार हुआ है, बावजूद इसके अभी भी चुनौतियां बरकरार हैं। “एशिया प्रशांत क्षेत्र में सिविल पंजीकरण एवं महत्वपूर्ण आंकड़ों (सीआरवीएस) पर एक दशक की प्रगति” शीर्षक से जारी नवीनतम रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच साल से कम उम्र के गैर पंजीकृत बच्चों की संख्या में 62 प्रतिशत की गिरावट आई है। 2012 में इनकी संख्या 13.5 करोड़ थी, जो 2024 में से घटकर 5.1 करोड़ रह गई है। इसका मतलब है कि आज 8.4 करोड़ अधिक बच्चों को एक मान्यता प्राप्त नाम, एक कानूनी पहचान और एक बेहतर भविष्य की नींव प्राप्त हुई है।

रिपोर्ट में चिंता जताते हुए कहा गया है कि अभी भी चुनौतियां बाकी हैं। जन्म पंजीकरण के बिना एक बच्चे को शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के अधिकार से वंचित किया जा सकता है, क्योंकि उसके पास आधिकारिक दस्तावेज नहीं होते।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में हर साल लगभग 69 लाख मौतें भी पंजीकृत होने से रह जाती हैं। इसके अलावा एक चौथाई देश मृत्यु का चिकित्सकीय प्रमाणीकरण नहीं करते, जिससे मृत्यु दर के आंकड़ों में बड़ी खामियां रह जाती हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य नियोजन के लिए आवश्यक साक्ष्य की कमी हो जाती है।

रिपोर्ट में जन्म व मृत्यु पंजीकरण के महत्व के बारे में बताते हुए कहा गया है कि यह एक कानूनी पहचान है, जो स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा और कानूनी सेवाओं तक पहुंच के लिए बहुत जरूरी है। इसके अलावा, सिविल पंजीकरण डेटा नीति-निर्माण, आपदा तैयारी और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भी आवश्यक है।

यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र एशिया-प्रशांत क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक आयोग द्वारा तीसरे मंत्रीस्तरीय सम्मेलन से पहले जारी की गई है, जो 24 से 26 जून तक बैंकॉक में आयोजित होगा। यह सम्मेलन क्षेत्रीय प्रगति की समीक्षा करेगा, प्रमुख कदमों की पहचान करेगा और सार्वभौमिक पंजीकरण सुनिश्चित करने की दिशा में प्रतिबद्धताओं को सुदृढ़ करेगा।

संयुक्त राष्ट्र एशिया और प्रशांत के आर्थिक एवं सामाजिक आयोग के अनुसार, इस क्षेत्र में कुल 53 सदस्य देश और 9 सहयोगी सदस्य क्षेत्र शामिल हैं। इनमें भारत, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, वियतनाम, न्यूज़ीलैंड, फिलीपींस, श्रीलंका प्रमुख हैं।

       (‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )

Spread the information