तीसरी लहर में झारखंड के पांच प्रतिशत बच्चों के कोरोना से संक्रमित होने का अनुमान है. राज्य में शून्य से 18 वर्ष के 1.43 करोड़ बच्चे हैं. अंदेशा है कि तीसरी लहर में इनमें से लगभग सात लाख 17 हजार बच्चे संक्रमित हो सकते हैं. इनमें भी 2.87 लाख सिम्पटोमैटिक हो सकते हैं. इनमें से लगभग तीन प्रतिशत बच्चों की स्थिति गंभीर होने का अंदेशा जताया गया है.   

यानी लगभग 8610 बच्चे ऐसे होंगे, जिन्हें आइसीयू में भर्ती कराने की जरूरत पड़ सकती है. स्वास्थ्य विभाग को इसके अनुरूप ही तैयारी करनी होगी. यह अनुमान स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों द्वारा तीसरे लहर को लेकर तैयार किये गये हैंडबुक में लगाया गया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने हैंडबुक का विमोचन किया. विभाग इस हैंडबुक को ही गाइडलाइन मानकर तैयारी करेगा.

स्वास्थ्य विभाग के आइइसी के नोडल पदाधिकारी सिद्धार्थ त्रिपाठी ने हैंडबुक के हाइलाइट्स के बाबत बताया कि सभी जिला अस्पतालों में पेडियाट्रिक्स आइसीयू (पीकू) की स्थापना की जानी है, जहां 10-10 बेड के पीकू होंगे. वहीं प्रत्येक कमिश्नरी के मुख्यालय यानी रांची, पलामू, हजारीबाग, पश्चिमी सिंहभूम, दुमका में 20-20 बेड के पीकू वार्ड बनेंगे. अस्पतालों में वेंटिलेटर थेरेपी, हाइ फ्लो नेजल कैनुला (एचएफएनसी) थेरेपी और कंंटीन्यूस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (सीपैप) थेरेपी की व्यवस्था करनी है. हर जिले में कम से कम दो वेंटिलेटर्स की स्थापना करनी है.  

प्रशिक्षण पर जोर

हैंडबुक में सभी कर्मियों के प्रशिक्षण पर जोर दिया गया है. डॉक्टर व नर्स को पीकू केयर की बेसिक ट्रेनिंग की अनुशंसा की गयी है. कोविड संक्रमण और इससे संंबंधित बीमारियों के लिए सभी स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया जाना है. आयुष चिकित्सकों को भी कम्युनिटी विजिट और केस प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है

कुपोषण से जंग शुरू करें

विशेषज्ञों ने तीसरी लहर के पूर्व झारखंड में कुपोषण से जंग शुरू करने की सलाह दी है. माल न्यूट्रिशन ट्रीटमेंट सेंटर को पेडियाट्रिक हाइ डिपेंडेसी यूनिट बनाने का सुझाव दिया गया है. जेनरल वार्ड के 10 बेड को सिवर एक्यूट माल न्यूट्रिशन (अति कुपोषित बच्चे) के लिए आरक्षित रखना है. 

Spread the information

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *