वैसे तो कोरोना ने पूरी मानव जाति को काफी गहरे प्रभावित किया है लेकिन यह खास तौर पर बच्चों के जी का जंजाल बन गया है। पढ़ाई लिखाई और खेलकूद, यही होती है बच्चों की छोटी, पर प्यारी सी दुनिया। खेल कूद में तो बच्चों के प्राण बसते हैं। पर कोरोना ने उन्हें घर की चहार दीवारी में कैद रहने को विवश कर दिया है। बच्चे आमतौर पर कोरोना संकट को नहीं समझते। पर विज्ञान शिक्षक एवं विज्ञान संचारक सुनील अरोड़ा ने साक्षात्कार शैली में बच्चों को, कोरोना के विविध पहलुओं से, सरल सहज ढंग से अवगत कराने का बेहतरीन प्रयास किया है।
प्यारे बच्चों
जैसे तुम्हें पता है कि पूरे संसार मे कोरोना का कहर जारी है। पिछले साल भी इसकी वजह से स्कूल नहीं खुले और हम पढ़ाई से तो वंचित रहे; पर जो मज़ा हम स्कूल में अपने दोस्तों के साथ करते थे वो भी नहीं कर पाए। वो स्कूल में जा कर असेंबली(प्रार्थना) की घंटी से पहले ग्राउंड में पकड़न पकड़ाई खेलना, वो सर के कहने पर भी प्रार्थना में ऑंखे बन्द न करना, लाइन में कद के हिसाब से खड़े न होकर दोस्ती के हिसाब से खड़े होना ,वो रिसेस पीरियड में दूसरे बच्चों के डिब्बे से खाना खाना, वो मैडम के रोकने पर भी घर जाकर खाना खाना आदि में बड़े मजे करते थे। लेकिन पिछले साल तो हम ऐसा कुछ भी नहीं कर पाए। मेरे भी एक रिश्तेदार को कोरोना पोजिटिव हो गए। मैं उनसे मिल भी नहीं सकता था।जब मैं उनका हालचाल जानने के लिए हॉस्पिटल गया तो डॉक्टर ने मुझे मिलने की इज्जाजत नहीं दी । मेरी तो छोड़िये उनके अपने बेटे को भी अपने पापा से नहीं मिलने दिया गया । तब मैंने डॉक्टर से इस बीमारी की सारी जानकारी ली। जो भी मेरे मन मे प्रश्न थे वो पूछे तो डॉक्टर साब ने मुझे इस बीमारी के बारे में बहुत विस्तार से बताया। अब मै आपके सामने उस बातचीत के कुछ अंश पेश करूँगा जो मेरे और डॉक्टर के बीच हुई।
मै :- डॉक्टर इस कोविद-19 बीमारी बारे में कुछ बताएं।
डॉक्टर :- कोविद-19, सार्स- 2 विषाणु से होने वाला रोग है। सार्स-2 एक विषाणु है जो कोविद-19 नामक बीमारी को पैदा करता है।
मै :- क्या ये कोविद-19 रोग बहुत पुराना है?यदि पुराना है तो हमने पहले कभी भी इसके बारे में नही सुना?
डॉक्टर :-इस रोग का विषाणु पहली बार दिसंबर 2019 में चीन देश में देखा गया। इसीलिए इससे जनित रोग को कोविद-19 के नाम से भी पुकारते है।
मै :- डॉक्टर ! इस रोग के लक्षण क्या है? जिस व्यक्ति को ये रोग हो जाये उसके शरीर मे क्या लक्षण या बदलाव आते है ?
डॉक्टर :- इस रोग में रोगी को बुखार आता है। उसके शरीर का तापमान बढ़ जाता है। उसे खांसी भी हो सकती है। उसे कमज़ोरी महसूस होती है। उसे सांस लेने में मुश्किल आती है। उसके शरीर में दर्द रहता है। उसे सिर दर्द भी होता है। शरीर का तापमान बढ़ना और सांस में दिक्कत इसके मुख्य लक्षण है।
मै :- डॉक्टर ! बुखार तो वैसे भी आ जाता है। हमें कैसे पता चलेगा सकता है कि ये कोरोना रोग है? किसी लैब में इसका टेस्ट होता है क्या?
डॉक्टर :- हाँ ।लैबोरेट्री में इसका RTPCR टेस्ट होता है।
ये सभी सरकारी हॉस्पिटल में मुफ्त करवाया जा सकता है। इस टेस्ट की रिपोर्ट से ये पता चलता है कि आप को कोरोना रोग है या नहीं।
मै :- डॉक्टर !मै जिस गांव से हूँ वहां पर अभी तक कोई कोरोना का मरीज नहीं मिला है । क्या गांव के लोगों को कोरोना नहीं होगा? क्योंकि वो तो शुद्ध भोजन खाते है ,शुद्ध वायु में सांस लेते है।
डॉक्टर :- ऐसा नहीं है। ये एक अच्छी बात रही कि पिछले साल कोरोना गांव तक नहीं पुहंचा। परन्तु ये कोई जरूरी नहीं कि ये गांव तक न पहुंचे। हां, अगर गांव के लोग बहुत सावधानियां रखे तो वो इस रोग से बच सकते है।
मै :- डॉक्टर ! वो कौन-कौन सी सावधानियां हैं ? जरा खुल कर बताएं।
डॉक्टर :- अरे सब्र रखो। सब कुछ बताऊंगा।सबसे पहले तो जितना हो सके घर से मत निकलो। यदि निकलो तो मास्क जरूर डालो। मास्क भी अच्छे से डालो जो आपके नाक और मुँह को पूरा ढक देता हो। नाम का मास्क मत डालो जो तुम अपनी थुडी पर लटकाए फिरते हो। इससे तो उसको पहनने का कोई औचित्य ही नहीं। भीड़ तो कभी इकट्ठी ही न करें।आपस मे दो ग़ज़ की दूरी जरूर रखे। वैसे भी गांव में तो गर्मियों में मुहँ को ढकते ही है।इस बार बस मास्क लगाएं और दो ग़ज़ की दूरी जरूर रखें। गांव में तो जब कोई बाहर से वापिस घर आए तो सबसे पहले मुँह और हाथ साबुन से जरूर धोएं । बस यही परम्परा कायम रखनी है। तो हमें तीन काम करने है:-
1. मास्क जो नाक और मुहँ को ढके।
2. दो ग़ज़ की दूरी
3. बार बार 20 सैकेंड तक हाथ साबुन से धोने है।
मै :- डॉक्टर सब अगर किसी को कोरोना हो जाये तो कह रहे हैं घर पर भी लोग इलाज कर सकते है ,वो कैसे?
डॉक्टर :- जिस भी व्यक्ति को कोरोना होता है ।उसकी रिपोर्ट सरकारी हस्पताल में पहुंच जाती है ।फिर उसके फ़ोन पर सरकारी डॉक्टर फ़ोन करता है और उसे सब कुछ बताता है ;जैसे- उसे घर में एक अलग कमरे में रहना है। उसका शौचालय व स्नानघर भी बाकी सदस्यों से अलग होगा। उसके खाने के बर्तन भी अलग होंगे और वो अलग एक कमरे में रहेगा। किसी के सीधे संपर्क में नहीं आएगा। उसे डॉक्टर की बताई दवाई भी लेनी होगी । वैसे दवाई तो डॉक्टर हर मरीज को यही लेने के लिये कहेगा; जैसे- विटामिन बी काम्प्लेक्स, विटामिन सी , जिंक, और बुखार होने पर पेरासिटामोल। बाकी दवाइयां डॉक्टर मरीज से बात करके बताएगा। हर मरीज के तबीयत अलगअलग होती है तो दवाई भी उसी हिसाब से डाक्टर बताता है।
तो मरीज को अलग कमरा अलग शौचालय अलग स्नानघर अलग बर्तन, अलग थर्मामीटर।
मै :- डॉक्टर! कोरोना के मरीज को हस्पताल में कब दाखिल होना चाहिए?
डॉक्टर :- यदि कोरोना के मरीज को हल्का बुखार है तो उसे हस्पताल में दाख़िल होने की जरूरत नहीं है ।पर यदि उसका तापमान नहीं उतर रहा तो उसे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। हाँ, यदि उसका ऑक्सिजन स्तर 94 से कम हो जाये तो उसे जल्दी ही हस्पताल में दाखिल होना चाहिए।
मै :- ये ऑक्सीजन का स्तर कैसे जांच सकते है ?क्या घर पर ही इसे जांच सकते है?
डॉक्टर :- हाँ ! ऑक्सीमीटर से आसानी से ही जांच सकते है। इस युक्ति को उंगली पर लगा लेना है और ये आपको रीडिंग में बता देगा आपकी ऑक्सिजन का स्तर।
मै :- क्या इस रोग में जान भी जा सकती है?
डॉक्टर :- हाँ ! बिल्कुल जा सकती है। ये बहुत खतरनाक बीमारी है जिनको थोड़ी कम होती है ,उन्हें तो इस बीमारी के आने का और जाने का पता भी नहीं चलता। परंतु जिन्हें कुछ ज्यादा हो जाये तो बहुत घातक है। इसलिए रोकथाम में ही बचाव है। ये रोग तो उन लोगों को भी मार रहा है जो अपने आप को बड़ा पहलवान कहते थे। तो भाई !सुझाव मानिए बच कर रहे।
शुक्रिया।
सुनील अरोरा
पीजीटी रसायन विज्ञान
सार्थक र आ म व वि सेक् byटर 12 A
पंचकूला
हरियाणा।