धूम्रपान करने वाली मांओं से पैदा होने वाले शिशुओं के फेफड़े छोटे होते हैं और बचपन में अस्थमा विकसित होने का जोखिम अधिक होता है। साथ ही, तम्बाकू के धुएं के संपर्क में आने वाले बच्चों में अस्थमा विकसित होने का जोखिम अधिक होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी नॉलेज समरी में यह जानकारी दी गई है। इस समरी का मकसद तम्बाकू के उपयोग और अस्थमा के बीच महत्वपूर्ण संबंध के बारे में बताना है। समरी में अस्थमा से पीड़ित व्यक्तियों पर तम्बाकू के उपयोग से होने वाली बीमारियों व शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताया गया है। साथ ही, तम्बाकू नियंत्रण उपायों की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक गर्भवती महिलाओं और माता-पिता को अपने बच्चों को अस्थमा और अन्य श्वसन स्थितियों से बचाने के लिए तम्बाकू का उपयोग छोड़ देना चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि किशोरावस्था और वयस्कता के दौरान धूम्रपान करने से अस्थमा होने का जोखिम बढ़ जाता है और स्थिति बिगड़ जाती है। ध्रूमपानी करने वाले अस्थमा पीड़ितों पर दवाएं और उपचार का असर कम होता जाता है।
इसके अतिरिक्त, सेकेंड हैंड स्मोक (आसपास के लोगों द्वारा किए जा रहे ध्रूमपान से निकलने वाला धुआं) के संपर्क में आने से अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए कई तरह के जोखिम हो सकते हैं, जिससे अस्थमा के दौरे की संभावना बढ़ जाती है। सांस के रोग, विशेष रूप से अस्थमा की रोकथाम और प्रबंधन के लिए सेकेंड हैंड स्मोक के संपर्क से बचना आवश्यक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस समरी में इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन वितरण प्रणाली (ईएनडीएस) से जुड़े जोखिमों के बारे में भी बताया गया है। ई-सिगरेट और अन्य निकोटीन वाले उपकरणों से पारंपरिक तम्बाकू उत्पादों के समान जोखिम होता है, जिससे भी अस्थमा रोगी प्रभावित हो सकते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सिफारिश की है कि सरकारें ऐसी नीतियां लागू करें, सभी इनडोर सार्वजनिक स्थानों, कार्यस्थलों और सार्वजनिक परिवहन को पूरी तरह से धूम्रपान मुक्त बनाती हों। विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं और माता-पिता के बीच धूम्रपान और सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आने के जोखिमों के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन में नो टोबैको यूनिट के प्रमुख डॉ. विनायक मोहन प्रसाद ने कहा, “अस्थमा से पीड़ित व्यक्तियों को तम्बाकू के धुएं के हानिकारक प्रभावों से बचाना अस्थमा के बोझ को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है। हमारा उद्देश्य तम्बाकू नियंत्रण संबंधी प्रभावी नीतियों को लागू करने में समुदायों और सरकारों का समर्थन करना है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं और अस्थमा से प्रभावित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करते हैं।”
उन्होंने कहा कि तम्बाकू और निकोटीन उद्योग अपने उत्पादों का आक्रामक तरीके से मार्केटिंग करते हैं और खास तौर पर बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों को लक्षित करते हैं। गौरतलब है कि अस्थमा एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य चिंता है, जो लगभग 26.2 करोड़ लोगों को प्रभावित करती है और हर साल 455 000 लोगों की मृत्यु का कारण बनती है।
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )