देश इस समय कोरोना वायरस की दूसरी लहर की चपेट में है।  दूसरी लहर में जो केस सामने आ रहे हैं उनमें से अधिकांश मामले ब्रिटेन में मिले  B.1.1.7 और भारत के B.1..617 स्ट्रेन के पाए गए हैं। इसके बारे में कहा गया है कि यह बच्चों के लिए भी काफी खतरनाक है। कोरोना महामारी की शुरुआत के समय बच्चे इसके असर में कम ही आए थे लेकिन इस बार बच्चों में संक्रमण के अधिक मामले सामने आए हैं।

बच्चों में कोविड संक्रमण का कितना खतरा ?

बड़े लोगों के मुकाबले बच्चों में कोविड-19 संक्रमण का खतरा कम रहा है। हाल तक यह माना जाता रहा है कि बच्चों पर इसका असर कम रहा है। कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद बच्चों में संक्रमण के सिर्फ कुछ ही मामले सामने रिपोर्ट किए गए थे। इनमें अधिकांश एसिम्पटोमेटिक केस थे। हालांकि कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने बच्चों पर इसके असर में काफी बदलाव ला दिया है। कोरोना वायरस में म्यूटेशन के चलते अब इसने एंटीबॉडीज और प्रतिरोधक रक्षा प्रणाली को भेदने की क्षमता हासिल कर ली है। प्रोटीन स्पाइक में विभाजन के चलते यह अधिक संक्रामक हो गया है।

क्या सभी उम्र के बच्चों में खतरा ?

विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण का उम्र से कोई संबंध नहीं है। 1 से 16 साल की उम्र तक के बच्चे वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं जिनमें नवजात शिशुओं में जन्म के समय मां के जरिए संक्रमण हुआ है। हालांकि अभी जिस अंतर की अधिक संभावना जताई जा रही है वह वायरस की गंभीरता को लेकर है। ऐसे बच्चे जो क्रॉनिक बीमारियों से ग्रसित हैं उन पर कोविड संक्रमण का असर अधिक गंभीर हो सकता है

क्या बच्चे वायरस के वाहक हो सकते हैं?

एक सवाल और जो बच्चों को लेकर उठ रहा है वह यह है कि क्या कोरोना वायरस के संक्रमित बच्चे परिवार के दूसरे सदस्यों या फिर मिलने-जुलने वालों को संक्रमित कर सकते हैं? बहुत सारे अध्ययन में ये सामने आया है कि बच्चों में संक्रमण के लक्षण न होने के बावजूद भी वे वाहक के रूप में काम कर सकते हैं। वर्तमान में वृद्धि को लेकर भी कइयों का मानना है कि बच्चे सुपर वाहक बनकर वयस्कों के लिए संक्रमण की वजह बन सकते हैं। बहुत सारे लोगों का मानना है कि बच्चे वायरस को घर ले जा सकते हैं और परिवार के बुजुर्ग सदस्यों को संक्रमित कर सकते हैं जिन पर कोविड-19 का खतरा सबसे अधिक है। ऐसे समय में जिनका टीकाकरण हो चुका है उन्हें सुरक्षा मिल सकती है लेकिन टीका न पाने वाले लोगों के लिए ये खतरा ज्यादा हो सकता है।

बच्चों में कोविड-19 के प्रारंभिक लक्षण कोरोना वायरस से संक्रमित कोई भी दो व्यक्ति समान लक्षण नहीं दिखाते हैं। यह बच्चों के मामले में भी सच हो सकता है और यह अलग-अलग हो सकता है। हालांकि अन्य संक्रमणों की तरह ही कोविड से संक्रमण को लेकर भी माता-पिता को बेहद सावधान रहना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार ज्यादातर बच्चे जो कोविड वायरस की चपेट में आते हैं, वे बीमारी के हल्के और मामूली लक्षण प्राप्त कर सकते हैं। यहां तक कि अगर वे वायरल लोड को लंबे समय तक ले जाते हैं, तो भी उनके लक्षण कम समय तक बने रह सकते हैं। उदाहरण के लिए हल्का बुखार भी बच्चों में संक्रमण का संकेत हो सकता है। कुछ बच्चों में इसकी वजह से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, आंखों से पानी बहना जैसे लक्षण भी विकसित कर सकते हैं। हालांकि ऐसा होना दुर्लभ हो सकता है


बच्चों के संक्रमति होने पर क्या करें?

वायरस की जल्द से जल्द पहचान ही इसके खिलाफ लड़ाई का सबसे कारगर हथियार है। यदि आपके बच्चे में कोरोना वायरस की तरह लक्षण नजर आ रहे हैं तो तुरंत उसे आइसोलेट करें और परीक्षण करवाएं। अधिकांश कोरोना वायरस के हल्के संक्रमण से पीड़ित होते हैं और आमतौर पर घर पर ही ठीक हो जाते हैं। चूंकि बच्चे अपना ध्यान रखने में ठीक से सक्षम नहीं होते हैं और माता-पिता के लिए उन्हें लंबे समय तक दूर रख पाना शायद ही संभव हो। इसलिए जरूरी है कि अतिरिक्त एहतियात रखते हुए अपने बच्चे को सुरक्षित रखें। ऐसे में अगर बच्चा संक्रमित है तो माता-पिता बच्चे के साथ डबल मास्किंग का पालन करें और बच्चे से दूरी बनाकर रखें (अगर माता-पिता संक्रमित नहीं हैं )। संक्रमण में दूसरे वायरल संक्रमण की तरह ही देखभाल की जरूरत होती है जिसे आसानी से किया जा सकता है। डॉक्टर से सलाह लेते रहे

बच्चों को कैसे रखें सुरक्षित?

बच्चों को फिर से स्कूल भेजना एक निजी फैसला है। चूंकि अभी वैक्सीन की उपलब्धता सभी के लिए नहीं है। ऐसे में माता-पिता बच्चों को बुनियादी सुरक्षा इंतजाम जैसे मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग और सफाई के बारे में जरूर तैयार करें। इसके बाद ही भेजें। बच्चा मास्क न पहने तो बच्चों के साथ सबसे बड़ी समस्या है कि वह मास्क लगाने को तैयार नहीं होते। या फिर थोड़ी देर बाद ही हटा देते हैं। इससे निपटने के लिए बच्चों के सामने इसे आसानी से समझाना और सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में समझाना सबसे महत्वपूर्ण है। आप खुद बाहर जाते समय सभी प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करें। बड़ों के किए काम का बच्चों पर तेजी से असर होता है। चूंकि अभी जो हालात हैं उस हिसाब से बच्चों को 2022 के पहले वैक्सीन उपलब्ध नहीं होने वाली है। बच्चों को इसके लिए तैयार करें और उन्हें विशेष सावधान रहने के लिए प्रेरित करें

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