भारत में अप्रैल के शुरुआत से ही गर्मी का कहर जारी है। मौसम के बदलते मिजाज के साथ उत्तर भारत के अधिकांश राज्य लू की चपेट में हैं। वहीं राजस्थान, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और मध्य भारत गर्मी से झुलस रहा है। रिकॉर्डतोड़ गर्मी के कारण जंगलों में आग लगने का खतरा मंडराने लगा है। हाल ही में राजस्थान का सरिस्का 90 घंटों तक जलता रहा। इसके साथ ही पिछले कुछ दिनों में जम्मू कश्मीर और हिमाचल सहित देश के कई राज्यों में हजारों हेक्टेयर का जंगल तबाह हो गया। यहां हम आपको बताएंगे कि मार्च महीने में सात राज्यों में कितना जंगली इलाका आग की चपेट में आने से बर्बाद हो गया और गर्मी के दिनों में आखिर क्यों आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं?
भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार 28 मार्च से 30 मार्च के बीच में देश के जंगलों में 16 हजार 840 आगजनी की घटनाएं दर्ज की गई हैं। इनमें से 211 बड़ी घटनाएं थीं। इनमें मध्यप्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड के जंगल शामिल हैं। देश के कई राज्यों के जंगल में आग लगने से वन्य संपदा और वन्य जीवों के जीवन पर खतरा मंडराने लगा है।
भारत के जंगलों में आग की घटनाएं
जम्मू कश्मीर: रियासी जिले के जंगल में 20 मार्च को आग लग गई थी। देखते ही देखते शाम तक आग ने भीषण रूप ले लिया और कई हेक्टेयर क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया। आगजनी की इस घटना से वन संपदा को भारी नुकसान हुआ है। 
 
हिमाचल प्रदेश: पार्वती घाटी के जंगल में आग लग गई। भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु की ग्लेशियोलॉजिस्ट की टीम पार्वती घाटी में रिसर्च करने के लिए पहुंची तो उन्होंने जंगल में कई जगह आग लगी देखी। इसके तुरंत बाद उन्होंने आग की सूचना प्रशासन को दी। दो दिन में आग ने विकराल रूप ले लिया था।
राजस्थान: अलवर के सरिस्का टाइगर रिजर्व में 27 मार्च को आग लग गई थी। पहले दिन आग ने 10 किमी का इलाके अपनी चपेट में ले लिया था। अधिकारियों की लापरवाही से 50 घंटे बाद आग 20 किमी के क्षेत्र में फैल गई। तीन दिन बाद वायुसेना के दो हेलीकॉप्टर और 400 लोगों की मदद से आग पर काबू पाया गया। तब तक 700 हेक्टेयर तक जंगली इलाका बर्बाद हो गया था। गनीमत यह रही कि आग से सरिस्का टाइगर रिजर्व के जानवरों को नुकसान की कोई बात सामने नहीं आई है।

सरिस्का के जंगल में आग लगने से 700 हेक्टेयर इलाका बर्बाद

मध्य प्रदेश: बांधवगढ़ बाघ अभ्यारण्य में पिछले 10 दिनों में 121 जगहों पर आगजनी की घटना दर्ज की गई हैं। सतना के जंगलों में भी आगजनी की 32 छुटपुट घटनाएं दर्ज की गई। प्रदेश के जंगलों में महुआ बीनने वाले लोग सूखे पत्ते में आग लगा देते हैं। इससे इस तरह की घटनाएं बढ़ रहीं हैं।
छत्तीसगढ़: वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस साल अब तक राज्य में 8 हजार 833 जगहों पर आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। बीते दो दिन में ही जंगलों में आग लगने की 800 से अधिक घटनाएं सामने आईं हैं। बीते 45 दिन में आग से 16.87 हेक्टेयर जंगल इलाका बर्बाद हो गया है।  
असम: आठ दिन पहले गुवाहाटी के वशिष्ठ इलाके के घने जंगल में भीषण आग लग गई थी। वन विभाग की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। आग से कई हेक्टेयर का इलाका जल गया।
उत्तराखंड: 18 मार्च से अब तक प्रदेश के जंगलों में आगजनी की 115 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। 30 मार्च यानी बुधवार रात को बमराड़ी से लेकर सीमार के जंगलों में भयंकर आग लग गई। हालांकि, सुबह तक वन विभाग की टीम ने इस पर काबू पा लिया। आग से 20 हेक्टेयर वन जल गया। एक रिपोर्ट के अनुसार 15 फरवरी से 31 मार्च तक राज्य में 180.02 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आकर बर्बाद हो चुका है।
गर्मी के कारण मंडरा रहा जंगल पर खतरा
 
गर्मी में जंगलों में क्यों लगती है आग ?
एक्सपर्ट के अनुसार मार्च में सामान्य से अधिक तापमान बढ़ने से आगजनी की घटनाएं भी बढ़ जाती हैं। जंगल में पेड़ों के सूखे पत्ते और टहनियां ईंधन का काम करते हैं। एक छोटी सी चिंगारी हीट का काम करती है। ऐसे में अगर हवा तेज चल रही हो तो एक जगह लगी आग पूरे जंगल को तबाह करने के लिए काफी है।

इंसानी लापरवाही जंगल में आग का सबसे बड़ा कारण

पेड़ की टहनियों में घर्षण और सूरज की तेज किरणें जंगल में आग लगने का कारण बनने के लिए काफी हैं, लेकिन इंसानों की लापरवाही के कारण जंगलों में आगजनी की सबसे ज्यादा घटनाएं होती हैं। दरअसल, लोग जंगल में शिकार करने या उत्पाद निकालने के लिए आग लगाते हैं। जैसे कि मध्यप्रदेश के जंगल में महुआ निकालने के लिए लोग झाड़ियों में आग लगाते हैं। कई बार जंगल में जाने वाले लोग बीड़ी और सिगरेट पीकर बिना बुझाए फेंक देते हैं, इससे आग लग जाती है।
जंगल की आग बुझाने में जुटा हेलीकॉप्टर
कम बारिश भी आग का कारण
आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक मार्च महीने में देश में 71 फीसदी कम बरसात हुई है। उत्तर पश्चिम भारत में 89 फीसदी और मध्य भारत में 87 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। ऐसे में जंगलों का पूरी तरह सूखा होना भी आग लगने की संभावना को बढ़ा देता है।

इन प्रदेशों के जंगलों को सबसे अधिक खतरा

एक्सपर्ट के अनुसार गर्मी के इस सीजन में गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और ओडिशा के जंगलों में आग लगने की सबसे अधिक संभावना है। इन राज्यों में अधिकतम तापमान सामान्य से 4-6 डिग्री सेल्सियस अधिक रहता है। इस कारण आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं।  
जंगल में आग बुझाते स्मोक जंपर्स
आग बुझाने के लिए लगाई जाती है एक और आग
आग बुझाने के लिए सबसे पहले ताप, ईंधन और ऑक्सीजन तीनों में से किसी एक को खत्म करने का प्रयास किया जाता है। पहाड़ों या घने जंगल में आग बुझाने के लिए कई बार आग का ही सहारा लिया जाता है। दरअसल, जिन जंगलों में पानी के स्त्रोत कम हो या फायर ब्रिगेड के पहुंचने में समस्या हो, वहां पारंपरिक तरीके से आग बुझाई जाती है। इसके लिए जंगल के जिस हिस्से में आग लगती है, वहां खाई खोदकर एक और आग लगाई जाती है। जैसे ही आग की लपटें खाई में लगाई आग तक पहुंचती है तो दोनों मिलकर शांत हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आग को जलने के लिए ऑक्सीजन चाहिए।खाई में लगाई गई दूसरी आग से वहां सीमित मात्रा में मौजूद ऑक्सीजन खत्म हो जाता है और आग बुझ जाती है।

घने जंगल में स्मोक जंपर्स सहारा

आधुनिक तरीके से जंगल में लगी आग बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर और एयर टैंकर की मदद ली जाती है। हेलीकॉप्टर जलस्त्रोत से पानी भरकर जंगल पर छिड़काव करता है। जिन क्षेत्रों में फायर की गाड़ियां नहीं पहुंचती, वहां स्मोक जंपर्स की मदद ली जाती है। स्मोक जंपर्स पैराशूट की मदद से पानी के बड़े बैगपैक और जरूरी सामान के साथ जंगल में प्रवेश करते हैं और आग बुझाते हैं।
Spread the information

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *