दयानिधि

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के द्वारा विश्व स्वास्थ्य सांख्यिकी रिपोर्ट 2025 जारी की गई है, जिसमें कोविड-19 महामारी के कारण लोगों की मौतें, लंबे और समग्र स्वास्थ्य एंव कल्याण पर पड़ने वाले गहरे स्वास्थ्य प्रभावों का खुलासा किया गया है। 2019 से 2021 के बीच मात्र दो सालों में, वैश्विक जीवन प्रत्याशा में 1.8 वर्ष की गिरावट आई है।

इसे हाल के इतिहास में सबसे बड़ी गिरावट माना जा रहा है, जिसने एक दशक के स्वास्थ्य में हो रही प्रगति को नष्ट कर दिया है। कोविड-19 से जुड़ी चिंता और अवसाद के बढ़ते स्तरों ने दुनिया भर में स्वस्थ जीवन प्रत्याशा को छह सप्ताह तक कम कर दिया है, इसी अवधि के दौरान गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के कारण कम मृत्यु दर के चलते अधिकतर फायदों को भी मिटा दिया है।

रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ के ट्रिपल बिलियन लक्ष्यों की दिशा में प्रगति पर दुनिया के आंकड़ों को भी शामिल किया गया है, जिसमें न केवल महामारी के प्रभाव का पता चलता है, बल्कि महामारी से पहले शुरू होने वाली धीमी प्रगति की एक लंबी प्रवृत्ति का भी पता चलता है, जिसके बाद से रिकवरी धीमी हो गई है। रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि पूरी प्रगति खतरे में है और पटरी पर वापस आने के लिए दुनिया भर में तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है।

रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस के हवाले से कहा गया है कि हर आंकड़े के पीछे एक व्यक्ति है, एक बच्चा जो अपने पांचवें जन्मदिन तक नहीं पहुंच पाया, एक मां जिसकी प्रसव के दौरान मोत हो गई, एक जीवन जो एक रोके जा सकने वाली बीमारी से छोटा हो गया। ये टाले जा सकने वाली त्रासदियां हैं। वे पहुंच, सुरक्षा और निवेश में भारी कमी की ओर इशारा करते हैं, खासकर महिलाओं और लड़कियों के लिए। स्वास्थ्य में प्रगति धीमी हो रही है। हर सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने लोगों के प्रति तत्परता, प्रतिबद्धता और जवाबदेही के साथ काम करे।

विश्व स्वास्थ्य सांख्यिकी 2025 रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ के ट्रिपल बिलियन लक्ष्यों की दिशा में मिली-जुली प्रगति दिखाई गई है। अनुमान है कि 2024 के अंत तक 1.4 अरब से अधिक लोग स्वस्थ जीवन जी रहे थे, जो एक बिलियन लक्ष्य से अधिक है। स्वस्थ जीवन में प्रगति तंबाकू के उपयोग में कमी, बेहतर वायु गुणवत्ता और पानी, स्वच्छता और सफाई तक बेहतर पहुंच से प्रेरित थी। लेकिन आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के कवरेज में वृद्धि और आपात स्थितियों से सुरक्षा की दिशा में प्रगति पिछड़ गई, केवल 43.1 करोड़ लोगों को वित्तीय कठिनाई के बिना आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच मिली, और लगभग 63.7 करोड़ से अधिक लोगों को स्वास्थ्य आपात स्थितियों से बेहतर सुरक्षा मिली।

मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में इतनी तेजी से कमी नहीं आ रही है कि वैश्विक लक्ष्य तक पहुंचा जा सके। प्रगति रुक गई है, जिससे लाखों लोगों की जान जोखिम में पड़ गई है। यह मंदी दो दशकों के बहुत ज्यादा प्रगति के बाद आई है, 2000 से 2023 के बीच मातृ मृत्यु दर में 40 फीसदी से अधिक की कमी आई है और पांच साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में आधे से भी अधिक की कमी आई है। लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में कम निवेश, कुशल स्वास्थ्य कर्मियों की कमी और टीकाकरण तथा सुरक्षित प्रसव जैसी सेवाओं में कमी अब देशों को पीछे धकेल रहे हैं। साल 2030 के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए तत्काल सुधार के बिना, दुनिया 2024 और 2030 के बीच अतिरिक्त 7,00,000 मातृ मृत्यु और 80 लाख पांच साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु को रोकने का मौका गंवा सकते हैं।

पुरानी बीमारियां मौत का कारण बन रही हैं

रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीडी से होने वाली असामयिक मौतें – जैसे हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह और कैंसर जनसंख्या वृद्धि और बुढ़ापे के कारण बढ़ रही हैं। अब दुनिया भर में 70 साल से कम आयु के लोगों में सबसे अधिक मौतें इसी बीमारी से होती हैं। दुनिया वर्तमान में 2030 तक एनसीडी असामयिक मृत्यु दर को एक तिहाई तक कम करने के लक्ष्य से दूर है। जहां सरकारें और सिविल सोसाइटी ने कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है, वहां प्रगति संभव हुई है। तम्बाकू का उपयोग कम हो रहा है, 2010 और 2022 के बीच दुनिया भर में शराब की खपत 5.7 लीटर से घटकर 5.0 लीटर प्रति व्यक्ति रह गई है। वायु प्रदूषण दुनिया भर में रोके जा सकने वाली मौतों के शीर्ष कारणों में से एक बना हुआ है। खराब मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव प्रगति पर लगाम लगाने का काम कर रहा है। जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार अभी भी अधूरा है। 2030 तक 1.11 करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों की कमी का अनुमान है, जिसमें से लगभग 70 फीसदी की कमी अफ्रीकी और पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्रों पर आधारित है।

रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ के यूनिट हेड फॉर हेल्थ डेटा एंड एनालिटिक्स डॉ. हैडोंग वांग के हवाले से कहा गया है कि मजबूत स्वास्थ्य प्रणालियां मजबूत स्वास्थ्य जानकारी पर निर्भर करती हैं। समय पर, विश्वसनीय आंकड़े बेहतर निर्णय और तेजी से परिणाम देते हैं। डब्ल्यूएचओ स्वास्थ्य सूचना प्रणालियों को मजबूत करने के लिए स्कोर रणनीति के माध्यम से और विश्व स्वास्थ्य डेटा हब के माध्यम से देशों का समर्थन कर रहा है, जो देशों और प्रणालियों में आंकड़ों को मानकीकृत, बेहतर और अनलॉक करने में मदद कर रहा है।

संक्रामक रोगों पर असमान प्रगति

रिपोर्ट के मुताबिक, एचआईवी और टीबी के मामलों की दर कम हो रही है और कम लोगों को उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों के लिए उपचार की जरूरत है। लेकिन मलेरिया 2015 से फिर से उभर रहा है और रोगाणुरोधी प्रतिरोध एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है। 2023 में बचपन के टीकाकरण कवरेज – जिसमें तीसरी खुराक डिप्थीरिया-पर्टुसिस-टेटनस युक्त वैक्सीन (डीटीपी 3) शामिल है, महामारी से पहले के स्तर पर वापस नहीं आया था। कई देश बुनियादी स्वास्थ्य के खतरों जैसे कुपोषण, वायु प्रदूषण और असुरक्षित रहने की स्थिति से निपटने में भी पिछड़ रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय सहायता में हाल ही में आई रुकावटों से प्रगति में और भी अस्थिरता आने का खतरा है, खास तौर पर उन देशों में जहां स्वास्थ्य सेवा की सबसे ज्यादा जरूरत है। कड़ी मेहनत से हासिल की गई उपलब्धियों की रक्षा करने और बढ़ते खतरों का जवाब देने के लिए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्रोतों से निरंतर और पूर्वानुमानित वित्तपोषण की तत्काल जरूरत है। यह रिपोर्ट दिखाती है कि दुनिया अपनी स्वास्थ्य जांच में विफल हो रही है। लेकिन देशों ने दिखाया है कि तेजी से प्रगति संभव है। एक साथ मिलकर एक ऐसी दुनिया हासिल कर सकते हैं जहां आंकड़े समय पर और अधिक सटीक हो, कार्यक्रम लगातार बेहतर होते जाएं और समय से पहले होने वाली मौतें कम हो जाएं।

       (‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )

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