अमित उपाध्याय
तंबाकू और सिगरेट की पैकेट पर साफ लिखा होता है कि इससे कैंसर हो सकता है, लेकिन आजकल के युवाओं को इससे फर्क ही नहीं पड़ रहा है. हर जगह युवा लड़के और लड़कियां स्मोकिंग करते हुए देखे जा सकते हैं. सिगरेट और बीड़ी में भी तंबाकू ही भरी होती है और इसे स्मोक टोबैको कहा जाता है. खैनी और गुटका स्मोकलेस तंबाकू है. अगर आप सोचते हैं कि तंबाकू खाना सिगरेट से कम खतरनाक है, तो यह भी गलतफहमी है. तंबाकू का किसी भी तरीके से इस्तेमाल जानलेवा हो सकता है. लोगों को तंबाकू छोड़ देनी चाहिए, ताकि गंभीर खतरों से बचा जा सके.
हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों को तंबाकू के खतरों के बारे में जागरूक किया जा सके.
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में रोजे लगभग 5500 बच्चे तंबाकू का सेवन शुरू कर रेह हैं. शहरों में सिगरेट और ई-सिगरेट का ट्रेंड बढ़ रहा है. विशेषज्ञों ने इसे पब्लिक हेल्थ के लिए “परफेक्ट स्टॉर्म” बताया है. तंबाकू लंग कैंसर और हार्ट डिजीज समेत कई बीमारियों की मुख्य वजह है. बड़ी संख्या में युवा इसकी लत का शिकार हो रहे हैं.
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के मेडिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर डायरेक्टर डॉ. अंकुर बहल ने बताया कि स्मोकिंग और वेपिंग एक साथ करने से फेफड़ों के कैंसर का जोखिम 4 गुना बढ़ जाता है. तंबाकू में निकोटीन पाया जाता है और इसका सेवन करने से युवाओं को इसकी लत लग जाती है. करीब 40% लंग कैंसर के मामले स्मोकिंग या वेपिंग से जुड़े होते हैं, जबकि 20% लोगों में लंग कैंसर के मामले स्मोकलेस तंबाकू प्रोडक्ट यानी खैनी और गुटखा खाने से होते हैं. करीब 20% मामले लंबे समय तक एयर पॉल्यूशन में रहने की वजह से होते हैं. नॉन स्मोकर्स में अनुवांशिक वजह से कैंसर का रिस्क होता है.
डॉक्टर बहल के मुताबिक आजकल पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं भी खूब स्मोकिंग कर रही हैं. इससे न केवल फेफड़ों पर बुरा असर पड़ रहा है, बल्कि रिप्रोडक्टिव हेल्थ और हार्मोनल बैलेंस भी बिगड़ रहा है. धूम्रपान के कारण महिलाओं में समय से पहले मेनोपॉज होने की संभावना बढ़ जाती है, जो धूम्रपान न करने वाली महिलाओं की तुलना में 1 से 4 साल पहले हो सकता है. तंबाकू खाने या सिगरेट पीने वाली 100 महिलाओं में से करीब 60–70% महिलाओं को पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं होती हैं. करीब 30–40% महिलाएं प्रजनन संबंधी समस्याओं का सामना करती हैं, जिनमें गर्भधारण में कठिनाई या जल्दी मेनोपॉज शामिल है.
गुरुग्राम फोर्टिस के पल्मनोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल डायरेक्टर एंड यूनिट हेड डॉ. मनोज गोयल ने बताया कि सिगरेट और बीड़ी की तुलना में वेपिंग को अक्सर एक सुरक्षित विकल्प के रूप में पेश किया जाता है, लेकिन यह भी उतना ही खतरनाक है. जब वेपिंग और स्मोकिंग दोनों साथकी जाती हैं, तो यह फेफड़ों के कैंसर का जोखिम कई गुना तक बढ़ा देती है.
आजकल शहरों में पॉल्यूशन भी बढ़ रहा है, जिसमें खासकर PM2.5 कणों की अधिकता ने श्वसन रोगों के लिए एक खतरनाक स्थिति पैदा कर दी है. ऐसे में तंबाकू-मुक्त जीवन की ओर उठाया गया हर कदम बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास हो सकता है. लोगों को तंबाकू और स्मोकिंग से दूरी बनानी चाहिए, ताकि सांस से जुड़ी समस्याएं न हों और कैंसर का खतरा भी कम हो सके. महिलाओं को भी इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए.
(‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )