हीमोफीलिया और खून से जुड़ी बीमारियों का पता लगाने के लिए रैपिड डायग्नोस्टिक किट तैयार की गई है। यह किट आईसीएमआर-एनआईआईएच ने तैयार की है। आईएमआर ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है। रैपिड डायग्नोस्टिक किट का उपयोग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में किया जा सकता है। आईएमआर ने बताया कि किट को DCGI द्वारा अनुमोदित किया गया है। बड़े पैमाने पर इसके निर्माण के लिए प्रौद्योगिकी संस्थानों को इसकी अनुमति दी गई है। यह किट उन क्षेत्रों में रक्तस्राव विकारों के लिए बेहतर है जहां डायग्नोस्टिक सुविधाएं सीमित हैं।
आनुवांशिक होता है विलेब्रांड रोग
ज्यादातर लोगों में ये बीमारी जन्मजात होती है, जिसका मतलब है कि ये आनुवांशिक होता है. रोगी के माता या पिता दोनों में से किसी एक के विरासत में ये रोग पहले से ही होता है. इसके बारे में ज्यादातर लोगों को जानकारी भी नहीं होती है. उनके दांतों से ज्यादातर रक्तस्राव होता ही रहता है. यह रोग ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन उचित इलाज और अच्छी देखभाल से इसके रोगी भी सामान्य तरह के लोगों की तरह अपना जीवन जी सकते हैं.
क्या होती है हीमोफीलिया
दरअसल, हीमोफीलिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें खून का थक्का नहीं बनता। इस बीमारी से पीड़ित मरीज की ब्लीडिंग रुकती ही नहीं है। वैसे तो शरीर के किसी हिस्से में कटने पर कुछ देर में ब्लड का थक्का बन जाता है, जिससे ब्लीडिंग रुक जाती है, लेकिन हीमोफीलिया पीड़ित मामलों में ऐसा नहीं होता। इसलिए इस बीमारी का पता चलना जरूरी है। कई बार लोगों को पता ही नहीं होता है और वे इसके शिकार हो जाते हैं। ऐसे में ये किट लोगों के लिए लाभदायक होगी।
हीमोफीलिया के लक्षण
हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों के शरीर में नीले-नीले निशानों का बन जाते हैं।इसके अन्य लक्षणों में नाक से खून का बहना, आंख के अंदर खून का निकलना और जोड़ों की सूजन आदि हैं।
वॉन विलेब्रांड रोग
वॉन विलेब्रांड रोग एक आजीवन रक्तस्राव विकार है जिसमें आपका रक्त ठीक से नहीं जमता है। इस रोग से ग्रसित लोगों में वॉन विलेब्रांड कारक का स्तर कम होता है, एक प्रोटीन जो रक्त का थक्का बनाने में मदद करता है, या प्रोटीन वैसा प्रदर्शन नहीं करता जैसा उसे करना चाहिए।
साल 2019 में हीमोफीलिया के सस्ते टेस्ट का मिला था विकल्प
खून से जुड़ी बीमारी हीमोफीलिया बीमारी का टेस्ट साल 2019 से पहले काफी महंगा होता था. रोगियों को इसके टेस्ट के लिए 4 हजार से लेकर 10 हजार रुपये तक खर्च करने पड़ते थे. साल 2019 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने पहली बार एक रैपिड डाइग्नोस्टिक टेस्ट किट तैयार की थी, जिसके बाद से ये टेस्ट महज 50 रुपये के खर्च में होने लगा और लोगों को काफी राहत मिली. इस किट की मदद से अब भारत हीमोफीलिया-ए और खून से जुड़ी अन्य बीमारियों का पता लगाने के लिए सबसे सस्ता टेस्स करने वाला देश बन गया है. आईसीएमआर ने इस किट का पेटेंट भी रख लिया है.
जानिए क्या हैं हीमोफीलिया के लक्षण
- मसूड़ों से खून निकलना
- त्वचा आसानी से छिल जाती है
- नाक से लगातार खून बहते रहना
- शरीर पर नीले निशानों का बनना, आंख के अंदर खून का निकलना और उल्टी आना सामान्य बात है
- शरीर में आंतरिक रक्तस्राव के कारण जोड़ों में दर्द होता रहता है
- हीमोफीलिया में सिर के अंदर भी रक्तस्राव होने से तेज सिरदर्द, गर्दन में अकड़न रहती है