ललित मौर्या

दुनिया में जो लोग अपने दिन की शुरूआत चाय या कॉफी से करना पसंद करते हैं, उनके लिए एक अच्छी खबर है! एक नई रिसर्च से पता चला है कि रोजाना चाय-कॉफी पीने वालों में सिर और गर्दन के कैंसर का खतरा थोड़ा कम होता है।

जर्नल ‘कैंसर’ में प्रकाशित इस अध्ययन के नतीजे दर्शाते हैं कि जो लोग दिन में चार या उससे अधिक कप कॉफी पीते हैं, उनमें सिर और गर्दन के कैंसर होने का खतरा 17 फीसदी तक कम हो जाता है। वहीं जो लोग दिन में एक कप कॉफी या चाय पीते हैं, उनमें यह जोखिम नौ फीसदी तक कम दर्ज किया गया।

कैंसर, दुनिया भर में स्वास्थ्य से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। 2021 के आंकड़ों पर नजर डालें तो करीब 15 फीसदी मौतों के लिए कैंसर ही जिम्मेवार था, जो इसे वैश्विक स्तर पर मृत्यु के सबसे आम कारणों में से एक बनाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक कैंसर बीमारियों का एक समूह है, जिसमें कोशिकाएं तेजी से बढ़ना शुरू कर देती हैं, जो एक ट्यूमर के रूप में विकसित हो सकती हैं। यह बीमारी शरीर के कई हिस्सों को अपना निशाना बना सकती है। कुछ मामलों में तो यह रक्त और लिम्फ प्रणाली के जरिए शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकती है।

रिसर्च से पता चला है कि सिर और गर्दन का कैंसर दुनिया में सातवां सबसे आम कैंसर है। इसमें मुंह और गले जैसे क्षेत्रों में होने वाले कैंसर शामिल हैं। 2020 में सिर और गर्दन के कैंसर के करीब 745,000 नए मामले सामने आए थे, जबकि 364,000 लोगों को इसकी वजह से अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।

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फोटो: आईस्टॉक

वहीं कैंसर रिसर्च यूके के मुताबिक यूनाइटेड किंगडम (यूके) में हर साल सिर और गर्दन के कैंसर के करीब 12,800 नए मामले सामने आते हैं। इतना ही नहीं इसकी वजह से सालाना करीब 4,100 मौतें हो रही हैं। इतना ही नहीं निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इसके मामले बढ़ रहे हैं। कई शोधों में पहले भी इस बात पर गौर किया है कि क्या कॉफी या चाय पीने से सिर और गर्दन के कैंसर के बीच कोई संबंध है, लेकिन उसके नतीजे असंगत रहे हैं।

ऐसे में इस बारे में अधिक से अधिक जानकारी जानकारी जुटाने के लिए यूटा विश्वविद्यालय के हंट्समैन कैंसर संस्थान के शोधकर्ताओं ने इंटरनेशनल हेड एंड नेक कैंसर एपिडेमियोलॉजी (इनहांस) कंसोर्टियम के 14 शोधों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इस अध्ययनों में शामिल लोगों ने इस बारे में सवालों के जवाब दिए है कि वे प्रतिदिन, साप्ताहिक, मासिक या वार्षिक रूप से कितनी कैफीन युक्त या कैफीन रहित कॉफी और चाय पीते हैं।

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने सिर और गर्दन के कैंसर से पीड़ित 9,548 मरीजों और 15,783 ऐसे लोगों के बारे में जानकारी एकत्र की है जो कैंसर से पीड़ित नहीं थे। इस बारे में प्रेस को जारी एक बयान में यूटा विश्वविद्यालय और अध्ययन से जुड़ी प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर युआन-चिन एमी ली ने कहा, “हालांकि कॉफी और चाय के सेवन से कैंसर के जोखिम में कमी को लेकर पहले भी शोध हो चुके हैं, लेकिन इस नए अध्ययन से पता चला है कि कॉफी और चाय विभिन्न तरह के सिर और गर्दन के कैंसर को अलग-अलग तरीके से प्रभावित कर सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि कैफीन रहित कॉफी के भी सकारात्मक प्रभाव सामने आए हैं।”

हालांकि उनके मुताबिक कॉफी और चाय से जुड़ी आदतें बेहद जटिल हैं, और ये निष्कर्ष इस बात पर अधिक शोध की आवश्यकता को उजागर करते हैं कि वे कैंसर के जोखिम को कम करने में कैसे मदद कर सकते हैं। अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं वो दर्शाते हैं कि कॉफी न पीने वालों की तुलना में जो लोग रोजाना चार या उससे अधिक कप कैफीनयुक्त कॉफी पीते हैं, उनमें सिर और गर्दन के कैंसर होने का जोखिम 17 फीसदी तक कम था।

इसी तरह उनमें ओरल कैविटी से जुड़े कैंसर का जोखिम 30 फीसदी, जबकि गले के कैंसर का जोखिम 22 फीसदी तक कम होता है। रोजाना तीन से चार कप कॉफी पीने वालों में गले के निचले हिस्से में होने वाले हाइपोफेरीन्जियल कैंसर का जोखिम 41 फीसदी तक कम देखा गया।

रिसर्च में यह भी सामने आया है कि कैफीन रहित कॉफी पीने से ओरल कैविटी से जुड़े कैंसर का खतरा 25 फीसदी तक कम हो जाता है। वहीं चाय पीने से हाइपोफेरीन्जियल कैंसर का खतरा 29 फीसदी तक घट जाता है। इसी तरह परिणाम दर्शाते हैं कि रोजाना एक कप या उससे कम चाय पीने वालों में सिर और गर्दन से जुड़े कैंसर का खतरा नौ फीसदी तक कम हो सकता है।

इसी तरह परिणाम दर्शाते हैं कि रोजाना एक कप या उससे कम चाय पीने वालों में सिर और गर्दन से जुड़े कैंसर का खतरा नौ फीसदी तक कम हो सकता है। वहीं दूसरी तरफ दिन में एक कप से अधिक चाय पीने से स्वरयंत्र से जुड़े कैंसर का जोखिम 38 फीसदी तक बढ़ जाता है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि चाय गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी) के जोखिम को बढ़ा सकती है, जो स्वरयंत्र कैंसर के उच्च जोखिम से जुड़ा है। बता दें कि जीईआरडी, एक पाचन सम्बन्धी विकार है।

इस नए अध्ययन से यह साबित नहीं होता कि चाय-कॉफी सीधे तौर पर कैंसर से बचाती है। हालांकि अध्ययन में सामने आए निष्कर्ष इस बात को समझने में हमारी मदद करते हैं कि हमारा आहार और जीवनशैली कैंसर के जोखिम को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

शोधकर्ताओं ने स्वीकार किया है कि अध्ययन की अपनी कुछ सीमाएं हैं, जैसे कि चाय और कॉफी पीने के बारे में जो जानकारी है वो लोगों द्वारा स्वयं साझा की गई है, ऐसे में उस जानकारी पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता। इसी तरह अध्ययन में चाय या कॉफी किस प्रकार की थी, उसपर विचार नहीं किया गया है।

चाय लम्बे समय से कई संस्कृतियों का हिस्सा रही है, जिसका दुनिया में अलग-अलग रूपों में सेवन किया जाता है। हर कोई इसे अपने-अपने तरीके से तैयार करता है, ऐसे में इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव भी अलग-अलग होते हैं।उदाहरण के लिए यदि ग्रीन टी की बात करें तो उसमें एंटीऑक्सीडेंट और पॉलीफेनॉल भरपूर मात्रा में होते हैं, जिनका नियमित सेवन दिल के लिए फायदेमंद होता है। ग्रीन टी वजन कम करने के साथ-साथ मधुमेह जैसी बीमारियों के जोखिम को कम करने में भी मददगार साबित हो सकती है।

वहीं ज्यादातर भारतीय घरों में उपभोग की जाने वाली काली चाय की बात करें तो यह न केवल स्वादिष्ट होती है, साथ ही इसमें फ्लेवोनॉयड्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो दिल के लिए अच्छे होते हैं। यह स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के साथ-साथ रक्तचाप और खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं।

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चाय में मौजूद कैफीन मानसिक रूप से तरोताजा करने में मदद करता है। कैफीन और एमिनो एसिड एल-थीनाइन का अनूठा मिश्रण ध्यान देने की क्षमता को बढ़ाता है और याददाश्त को बेहतर बनाता है। इससे प्रतिक्रिया देने का समय तेज हो जाता है, जिससे मानसिक प्रदर्शन में सुधार होता है।

खास तौर पर ग्रीन टी दांतों की सेहत को बेहतर बनाती है। इसमें फ्लोराइड होता है, जो दांतों के इनेमल को मजबूत बनाता है और दांतों की सड़न को रोकने में मदद करता है। इसके साथ ही चाय में मौजूद पॉलीफेनॉल और कैटेचिन उन बैक्टीरिया से भी लड़ते हैं जो कैविटी और मसूड़ों की बीमारी का कारण बनते हैं।

पिछले शोधों से पता चला है कि कॉफी और चाय में कैफीन जैसे बायोएक्टिव यौगिक होते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट होने के साथ-साथ सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इससे बीमारियों का खतरा कम हो सकता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि सीमित मात्रा में कॉफी पीने से लोगों को लंबे समय तक जीने और स्वस्थ रहने में मदद मिल सकती है।

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अंतराष्ट्रीय जर्नल द लैंसेट रीजनल हेल्थ में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन के हवाले से पता चला है कि रोजाना चाय पीने से न केवल अच्छा लोग तरोताजा महसूस करते हैं, साथ ही इसका सेवन जैविक उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को भी धीमा कर सकता है। सवाल यह है कि चाय में ऐसा क्या होता है जो बढ़ती उम्र को धीमा करने में मदद करता है? रिसर्च के मुताबिक चाय में पॉलीफेनॉल्स नामक बायोएक्टिव सब्सटेंस होता है, जो आंत में मौजूद माइक्रोबायोटा को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो उम्र बढ़ने के साथ प्रतिरक्षा, चयापचय (मेटाबोलिज्म) और मस्तिष्क के कार्य को प्रभावित कर सकते हैं।

नोट: इस आर्टिकल में दी जानकारी और सुझाव वैज्ञानिक शोध पर आधारित है, जिसे पाठकों की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए साझा किया गया है। ऐसे में इससे जुड़े किसी भी जानकारी को अपनाने से पहले डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

       (‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )

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