प्रतीति पांडे
दुनिया भर में दो राउंड की तबाही मचाने के बाद एक फिर से कोरोना की लहर लौट आई है. लगातार इसके केसेज़ बढ़ते जा रहे हैं. इसी बीच वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन ने एक ऐसा फंगस को लेकर भी चेताया है, जो कोरोना से कहीं ज्यादा खतरनाक है. ये शरीर के अंदर से नुकसान पहुंचाता है और बेहद तेज़ी से बढ़ता है.
ये अजीबोगरीब फंगस पूरी दुनिया में फैल रहा है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह जल्द ही ब्रिटेन तक पहुंच सकता है. इसे आप साइंस फिक्शन सीरीज़ The Last of Us की तरह समझ सकते हैं. इस सीरीज़ में जिस तरह से एक फंगल इंफेक्शन की वजह से धीरे-धीरे पूरी दुनिया की तबाह हो जाती है, उसी तरह ये फंगस भी अगर फैला, तो इंसानों के लिए बड़ा खतरा बन जाएगा.
क्या है ये फंगस?
इस फंगस का नाम Aspergillus fumigatus है, जो aspergillosis नामक जानलेवा बीमारी का कारण बनता है. यह फेफड़ों को संक्रमित करता है और दिमाग तक फैल सकता है. इसकी वजह से इंसान को गंभीर बीमारी और आखिरकार मृत्यु भी हो सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे एक बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा बताया है. आशंका है कि यह फंगस जल्द ही उत्तरी अमेरिका, यूरोप, चीन और रूस में फैल सकता है.
कितना खतरनाक है ये फंगस?
आपको बता दें कि Invasive aspergillosis की मृत्यु दर 85.2% है. साल 2022 में WHO ने Aspergillus flavus को अपने महत्वपूर्ण फंगल रोगजनकों की सूची में शामिल किया था. डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक ये स्वास्थ्य के लिए खतरा है और दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो सकता है. सीधी भाषा में कहें तो ये लाइलाज फंगस है. मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के एक नए अध्ययन में सुपरकंप्यूटर की मदद से भविष्यवाणी की गई है कि Aspergillus fumigatus साल 2100 तक 77% अधिक क्षेत्रों में फैल सकता है, जिससे लाखों लोग संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं.
फंगस को पहचानना बेहद मुश्किल
इस फंगस को पहचानना मुश्किल है और इसका इलाज भी कठिन है. यह गर्म और नम वातावरण में पनपता है और खाद के ढेर, सड़ते हुए कार्बनिक पदार्थों और हवा में पाया जा सकता है. मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी का यह अध्ययन तीन खतरनाक Aspergillus प्रजातियों (A. fumigatus, A. flavus, और A. niger) का अध्ययन अलग-अलग जलवायु में किया गया . स्टडी के मेन ऑथर नॉर्मन वैन रिजन ने बताया है कि वायरस और परजीवियों की तुलना में फंगस पर कम शोध हुआ है, लेकिन ये मैप दिखाते हैं कि भविष्य में फंगल इंफेक्शन दुनिया के अधिकांश हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं.
(‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )