दयानिधि
रूस ने कैंसर से निपटने के लिए एक टीका बनाया है। यह कैंसर के मरीजों में कैंसर की रोकथाम नहीं बल्कि इलाज करेगा। यह एक एमआरएनए वैक्सीन है। रूसी समाचार एजेंसी टास की रिपोर्ट के अनुसार, इसे रूसियों को मुफ्त में वितरित किया जाएगा।
सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के प्रमुख एंड्री काप्रिन ने कहा कि यह वैक्सीन 2025 की शुरुआत में जारी की जाएगी। इसकी कीमत राज्य को प्रति खुराक 300,000 रूबल के करीब होगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, किसी भी टीके को बनाने में काफी लंबा समय लगता है क्योंकि वैक्सीन या कस्टमाइज्ड एमआरएनए का उपयोग करके कंप्यूटिंग, गणितीय शब्दों में मैट्रिक्स विधियों का उपयोग करने जैसा दिखना चाहिए। इसमें इवाननिकोव इंस्टीट्यूट को शामिल किया है, जो इस गणित को करने में एआई पर निर्भर करेगा, अर्थात् न्यूरल नेटवर्क कंप्यूटिंग, जहां इन प्रक्रियाओं में लगभग आधे घंटे से एक घंटे का समय लगना चाहिए।
एआई को प्रशिक्षित करने के बारे में रिपोर्ट में बताया गया कि प्रोटीन या आरएनए में बदलाव रोगी में एंटीजन की पहचान के साथ 40,000 से 50,000 ट्यूमर अनुक्रमों के प्रायोगिक आधार की आवश्यकता होती है। इससे यह निर्धारित करने में मदद मिलेगी कि इस संयोजन का उपयोग किसी व्यक्ति के लिए किया जा सकता है या नहीं।
इस टीके का उद्देश्य कैंसर रोगियों का इलाज करना है न कि रोगियों में ट्यूमर बनने से रोकना है। यह वैक्सीन प्रत्येक रोगी के लिए व्यक्तिगत रूप से बनाई गई है। रूसी सरकार के वैज्ञानिकों के पहले के बयानों के अनुसार, यह पश्चिमी देशों में विकसित की जा रही वैक्सीन के समान है।
हालांकि रिपोर्ट में इस टीके का उद्देश्य, यह किस प्रकार के कैंसर का उपचार करना है, इसकी प्रभावशीलता और वितरण क्या होगा, इसके बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। यह व्यक्तिगत कैंसर वैक्सीन रोगी के अपने ट्यूमर के कुछ हिस्सों का उपयोग करके रोग से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को सिखाती है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को रोगी के कैंसर के लिए अनोखे प्रोटीन को पहचानने और उससे मुकाबला करने में मदद करती है। इस प्रक्रिया में रोगी के ट्यूमर से लिया गया आरएनए नामक आनुवंशिक पदार्थ शामिल होता है।
एक ओर जहां पारंपरिक टीके बीमारी को रोकने के लिए वायरस के कुछ हिस्सों का उपयोग करते हैं, वहीं ये कैंसर के टीके कैंसर कोशिकाओं की सतह से नुकसान न पहुंचाने वाले प्रोटीन का उपयोग करते हैं, जिन्हें एंटीजन के रूप में जाना जाता है।
जब इसे शरीर में प्रवेश किया जाता है, तो ये एंटीजन प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडी बनाने के लिए उत्तेजित करते हैं जो कैंसर कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें खत्म कर सकते हैं। इसी तरह अन्य देश भी व्यक्तिगत कैंसर के टीके विकसित कर रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, वैक्सीन को वैज्ञानिकों की कई टीमों ने मिलकर विकसित किया है, जिसमें गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी, हर्टसेन मॉस्को ऑन्कोलॉजी रिसर्च इंस्टीट्यूट और ब्लोखिन कैंसर रिसर्च सेंटर शामिल हैं। इस शोध को सरकारी आदेश के तहत राज्य द्वारा वित्तपोषित किया जाता है।
रूस की कैंसर वैक्सीन क्यों मायने रखती है
कैंसर दुनिया भर में मौत का एक प्रमुख कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 2022 में दुनिया में लगभग दो करोड़ नए कैंसर के मामले और इसके कारण 97 लाख मौतें हुई। फेफड़ों का कैंसर 2022 में दुनिया भर में सबसे आम कैंसर था। अन्य आम कैंसर स्तन, बृहदान्त्र और मलाशय और प्रोस्टेट हैं।
रूस में कैंसर की दर में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है, 2022 में 635,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। रूसियों में कोलन, स्तन और फेफड़ों के कैंसर सबसे आम बताए गए हैं। गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के खिलाफ भारत का पहला स्वदेशी टीका, सर्वावैक, जिसे पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) और केंद्र द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है, पिछले साल से बाजार में है।
हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) का टीका भी उपलब्ध है जो एचबीवी से संबंधित यकृत कैंसर को रोकने में मदद करता है। ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता इस साल डिम्बग्रंथि के कैंसर को रोकने के लिए दुनिया का पहला टीका बनाने की और अग्रसर हैं।
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )