ललित मौर्या
कैंसर एक घातक बीमारी है, जो हर साल लाखों जिंदगियों को निगल रही है। यही वजह है कि वैज्ञानिक इस बीमारी की रोकथाम के लिए लगातार शोध कर रहे हैं। ऐसे ही एक नए शोध में कैंसर मरीजों के लिए नई उम्मीदें जगी हैं।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि कैसे एक आम दर्द निवारक दवा ‘एस्पिरिन’ कैंसर को फैलने से रोक सकती है।
जानवरों पर किए परीक्षणों से पता चला है कि एस्पिरिन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर कैंसर को फैलने से रोक सकती है। हालांकि साथ ही वैज्ञानिकों ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि भले ही भविष्य में कैंसर के मरीजों को एस्पिरिन दी जा सकती है, लेकिन अभी नहीं। शोधकर्ताओं ने डॉक्टर की सलाह के बिना एस्पिरिन लेने से बचने की सलाह दी है। वैज्ञानिकों ने इसे एक रोमांचक और आश्चर्यजनक खोज बताया है। इस अध्ययन के नतीजे अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर में प्रकाशित हुए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक कैंसर दुनिया भर में मौत का एक प्रमुख कारण है। आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में हर छठी मौत के लिए कैंसर जिम्मेवार है। 2020 में कैंसर की वजह से एक करोड़ मौतें हुई थी। गौरतलब है कि करीब दस वर्ष पहले हुए अध्य्यनों से पता चला है कि कैंसर से पीड़ित लोग जो रोजाना एस्पिरिन ले रहे थे, उनमें कैंसर के फैलने का जोखिम कम था। खासकर स्तन, आंत और प्रोस्टेट कैंसर के मामले में यह कहीं ज्यादा स्पष्ट था।
इसके कारणों की जांच के लिए परीक्षण चल रहे हैं, लेकिन अब तक यह पता नहीं चल पाया था कि कैसे एस्पिरिन, कैंसर को फैलने यानी ‘मेटास्टेसिस’ को रोकने में मदद करता है। गौरतलब है कि कैंसर तब सबसे ज्यादा संवेदनशील होता है जब कैंसर सेल्स मुख्य ट्यूमर से अलग होकर दूसरे अंगों या हिस्सों में फैलने की कोशिश करने लगती है। यह कुछ ऐसा ही है जैसे बीज हवा के जरिए फैलते हैं। कैंसर सेल्स के दूसरे अंगों में फैलने की इस प्रक्रिया को ‘मेटास्टेसिस’ कहा जाता है, जो कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है। बता दें कि कैंसर से होने वाली 90 फीसदी मौतें तब होती हैं जब यह शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है।
कैसे कैंसर सेल्स को फैलने से रोकती है ‘एस्पिरिन’
बता दें कि हमारे शरीर में किसी भी बीमारी या बाहरी आक्रमण को रोकने के लिए अपनी खुद की सुरक्षा दीवार होती है। हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में ‘टी-सेल्स’ नामक एक विशेष प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं। यह कोशिकाएं कैंसर सेल्स को पहचान कर उन्हें नष्ट कर सकती हैं। लेकिन अध्ययन से पता चला है कि रक्त में मौजूद प्लेटलेट्स, जो रक्तस्राव को रोकने में मदद करते हैं, वो इन टी-सेल्स को कमजोर कर सकते हैं और इनके काम को ब्लॉक कर देते हैं। ऐसे में इनके लिए कैंसर से लड़ना कठिन हो जाता है।
अध्ययन से पता चला है कि एस्पिरिन प्लेटलेट्स को निष्क्रिय कर देती है, जिससे टी-सेल्स, कैंसर कोशिकाओं को आसानी से पहचानकर उन्हें खत्म कर सकते हैं। इस बारे में यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज और अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता प्रोफेसर राहुल रॉयचौधरी ने प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी है कि “बेहतर उपचार के बावजूद कुछ लोगों में कैंसर फिर से उभर आता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कैंसर कोशिकाएं अपने आप को शरीर के अन्य हिस्सों में छुपा लेती हैं और बाद में दोबारा बढ़ने लगती हैं।“
उनके मुताबिक कैंसर से जुड़े अधिकांश उपचार तब मदद करते हैं, जब बीमारी पहले से फैल गई है। लेकिन जब कैंसर पहली बार फैलना शुरू करता है, तो कुछ समय ऐसा होता है जब यह बहुत कमजोर होता है और उस समय इससे लड़ना आसान होता है। उन्हें उम्मीद है कि नए उपचार इस चरण को लक्षित कर सकते हैं ताकि कैंसर को शुरुआती चरण में वापस आने से रोका जा सके। उनके अनुसार कैंसर के खिलाफ एस्पिरिन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देती है। इस तरह यह मेटास्टेसिस को रोकने में मदद करती है।
क्या कैंसर के मरीज ले सकते हैं ‘एस्पिरिन’
ऐसे में कैंसर पीड़ितों के मन में यह सवाल आना स्वाभाविक है कि क्या उन्हें एस्पिरिन लेनी चाहिए या नहीं। तो अभी के लिए जवाब है नहीं। शोधकर्ताओं के मुताबिक अगर आपको कैंसर है तो अभी एस्पिरिन खरीदने में जल्दबाजी न करें।अध्ययन यह समझने में मदद करता है कि एस्पिरिन कैसे काम करता है, लेकिन अभी भी कई ऐसे सवाल है जिनके जवाब दिए जाने बाकी हैं।
यह अध्ययन अभी शुरूआती चरण में है और चूहों पर किया गया है। ऐसे में एस्पिरिन से जुड़े अन्य जोखिमों पर भी विचार किया जाना बाकी है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या इसका प्रभाव सभी तरह के कैंसरों पर होता है या कुछ खास तरह के कैंसरों पर। इतना जरूर है कि इस अध्ययन के जो निष्कर्ष सामने आए हैं वे बेहद महत्वपूर्ण हैं और इनसे कैंसर के उपचार को नई दिशा मिलेगी।
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )