संदीप गुप्ता
इसरो चीफ एस सोमनाथ की तरफ से यह स्पष्ट कर दिया गया कि चंद्रयान-4 के तहत चंद्रमा पर एक यान भेजा जाएगा जो नमूने एकत्र करने और वहां जांच पड़ताल करने के बाद वापस पृथ्वी पर लौटकर आएगा. इस बार एस्ट्रोनॉट भी चांद पर जाएंगे.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान कार्यक्रम की अगली किस्त का विकास चल रहा है, जो देश के चंद्रमा अन्वेषण (Moon Exploration) को आगे बढ़ाएगा. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-4 भारत के 2040 में चंद्रमा पर एक अंतरिक्ष यात्री उतारने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में पहला कदम है.
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए एस सोमनाथ ने कहा, “चंद्रयान -4 एक अवधारणा है जिसे हम अब चंद्रयान सीरीज की निरंतरता के रूप में विकसित कर रहे हैं. माननीय प्रधानमंत्री जी ने घोषणा की है कि 2040 में एक भारतीय चंद्रमा पर उतरेगा. इसलिए, यदि ऐसा करना है, तो हमें विभिन्न प्रकार से निरंतर चंद्रमा की खोज जारी रखनी होगी.”
एस. सोमनाथ ने कहा, “चंद्रयान-4 चंद्रमा पर एक यान ले जाने और नमूना एकत्र करने और उसे पृथ्वी पर वापस लाने की दिशा में पहला कदम है. यह चंद्रमा पर जाने और पृथ्वी पर वापस आने के पूरे चक्र को दर्शाता है.” इसरो रॉकेट और उपग्रह परियोजनाओं से लेकर प्रौद्योगिकी विकास परियोजनाओं तक कई अन्य परियोजनाओं पर काम कर रहा है.
उन्होंने कहा, “हमारे पास इस वक्त बहुत सारे प्रोजेक्ट हैं, जिसमें रॉकेट प्रोजेक्ट, उपग्रह प्रोजेक्ट, एप्लिकेशन प्रोजेक्ट और प्रौद्योगिकी विकास प्रोजेक्ट शामिल हैं. हमारे पास रॉकेट परियोजनाएं लगभग 5-10 हैं, उपग्रह परियोजनाएं लगभग 30-40 हैं, और एप्लिकेशन प्रोजेक्ट 100 और आर एंड डी प्रोजेक्ट हजारों की संख्या में हैं.”
अब गगनयान की बारी
बीते साल इसरो ने चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतारा था. भारत ऐसा करने वाला अमेरिका, रूस, चीन के बाद चौथा देश बना था. 2024 की शुरुआत में भारत का सौर्य मिशन आदित्य एल-1 भी सफल रहा. अब इस साल भारत का सबसे महत्वकांक्षी मिशन गगनयान है. इस मिशन पर भारत तीन दिन के लिए अपने एस्ट्रोनॉट को स्पेस में भेजेगा. पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार जुलाई में इस मिशन को अंजाम दिया जाएगा.
(‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )