विकास शर्मा
वैज्ञानिकों ने एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जिससे तब तक लगातार बिजली पैदा की जा सकती है जब तक हवा में आर्द्रता कायम रहेगी. इस तकनीक में केवल पदार्थ की एक परत की जरूरत होगी जिसमे बहुत ही महीन छिद्र होना जरूरी है, पदार्थ कोई भी हो सकता है. यह आविष्कार बिजली उत्पान में एक नया आयाम बनाने का काम करेगा.
पिछले कुछ सालों से दुनिया भर की तरह भारत में भी ऊर्जा को लेकर काफी उथल पुथल है. जीवाश्म ईंधन का महंगा होता जाना, उसके उपयोग से देश दुनिया में प्रदूषण का संकट बढ़ते ही जाना, आपूर्ति सीमित रहते हुए मांग का बढ़ता जाना जैसी कई चुनौतियां हैं जिसके कारण देश की सरकार वैकल्पित ऊर्जा स्रोतों पर काम करने लगी है. इनमें से सौर ऊर्जा, हाइड्रोजन ऊर्जा, पवन ऊर्जा जैसे कई विकल्पों पर गंभीरता से काम भी चल रहे है. अब स्वच्छ ऊर्जा को लेकर अमेरिका से अच्छी खबर आई है. वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे वे खास पदार्थ का उपयोकर नमी वाली हवा से ही बिजली की ‘खेती’ कर सकेंगे.
किसी भी पदार्थ से पैदा हो सकती है बिजली
एमहेर्स्ट की यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसैट्स के इंजीनियरों की टीम ने यह उपलब्धि हासिल की है. उन्होंने प्रदर्शित किया है कि लगभग किसी भी पदार्थ का उपयोग कर वे लगातार नम हवा से ऊर्जा का उत्पादन करते रह सकते हैं. यह अध्ययन जर्नल एडवांस मटेरियल्स में प्रकाशित हुआ है. इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने सिद्ध किया है कि करीब करीब किसी भी पदार्थ को ऐसे उपकरण में बदला जा सकता है, जिससे हवा में मौजूद नमी से लगातार बिजली पैदा की जा सकती है.
क्या होना चाहिए पदार्थ में
बस इस पदार्थ के लिए शर्त केवल यही होगी कि उसमें नौनोपोर्स के होने की जरूरत होगी यानि कि ऐसे छिद्र होने की जरूरत होगी जिनका व्यास सौ नैनोमैटर से भी कम होना चाहिए. शोधपत्र में इस अध्ययन के संवाददाता लेखक जून याओ ने प्रेस वक्तव्य में बताया कि हवा में बहुत सारी बिजली होती है.
कहां होती है बिजली
याओ का कहना है कि इसे बादल की तरह समझा जा सकता है जिसमें केवल पानी की बूंदों का भार होता है. इनमें से हर बूंद में एक आवेश होता है और अगर हालात सही हुए , तो बादल एक कड़कड़ाती और चमचमाती बिजली भी पैदा कर देता है. लगिन हमें नहीं जानते कि इस बिजली को कैसे हासिल किया जा सकता है.
पहले भी पैदा की थी बिजली लेकिन
यूमैस में असिस्टेंट प्रोफेसर याओ के मुताबिक शोधकर्ताओं ने एक मानव निर्मित छोटा बादल तैयार किया जो अनुमान के मुताबिक लेकिन लगातार बिजली पैदा कर सके जिससे उसका दोहन हो सके. इससे पहले शोधकर्ताओं ने दर्शाया था कि बिजली को हवा से पैदा किया जा सकता है और उसके लिए खास तरह के पदार्थ की जरूरत होगी जो नैनोवायर से बना होगा और उसमें जिबैक्टर सल्फररेडूसेन्स बैक्टीरिया का उपयोग होगा.
इस बार नया क्या
याओ की टीम ने पाया कि इस तरह से बिजली पैदा करने के लिए किसी भी पदार्थ का उपयोग किया जा सकता है जबकि कि उसमें एक खास विशेषता हो. यह विशेषता थी कि उस पदार्त में 100 नैनोमीटर के व्यास से भी छोटे छिद्र होने चाहिए. इसलिए टीम ने इसी डिजाइन के आधार पर एक बिजली का हार्वेस्टर बनाया जिसमें नौनोपोर यानि महीन छिद्रों वाल पदार्थ की परत थी.
कैसे पैदा होगी बिजली
इस हार्वेस्टर में महीन छिद्रों वाली परत से जब आणविक पानी पदार्थ के ऊपर के हिस्से से नीचे की हिस्से की ओर गुजरेगा तो हर परत में छोटे होने कारण छिद्र के किनारे पर पानी के अणु उछलेंगे. नीचे की तुलना में ऊपर के हिस्से में ज्यादा आवेशित अणु होंगे और इससे एक असंतुलन पैदा होगा और आवेश में अंतर होने से यह पूरा हार्वेस्टर एक बैटरी की तरह काम करने लगेगा.
इस बैटरी की खास बात यही होगी कि जब तक हवा में आर्द्रता होगी यह लगातार काम करती रहेगी. इस बैटरी के प्रभाव को छोटे उपकरणों को चार्ज करने या फिर केवल बैटरी ही तैयार करने में इस्तेमाल किया जा सकता है. टीम ने इसे 260 मिली वोल्ट का आउटपुट हासिल किया, जबकि एक मोबाइल फोन को चार्च करने के लिए करीब पांच वोल्ट के आउटपुट की जरूरत होती है. लेकिन और ज्यादा परतों के इस्तेमाल से ज्यादा आउटपुट भी हासिल किया जा सकता है. इस खोज से बिजली उत्पादन में नए आयाम खुलना तय माना जा रहा है.
(‘न्यूज़ 18 हिंदी’ के साभार )