विकास शर्मा

डॉ क्रिश्चियन बर्नार्ड अपना पहला सफल मानव हृदय प्रत्यारोपण करने के सालों पहले से ही ऑर्थराइटिस की समस्या से जूझने लगे थे. इसके बाद भी उन्होंने सफल प्रत्यारोपण कर इतिहास रचा और अगले 15 सालों तक बहुत सारे ऑपरेशन करते रहे जब कि आर्थराइटिस ने उन्हें इस काम में अक्षम ना बना दिया. इसके बाद उन्होंने लेखन नहीं छोड़ा, एंटी एजिंग में शोध किया. रिटायर होने के बात उन्होंने 18 साल का जीवन व्यतीत किया.

डॉ क्रिस्टियन बर्नार्ड हृदय चिकित्सा की दुनिया में एक जाना माना नाम है. दक्षिण अफ्रीका  के केपटाउन शहर में चिकित्सक बनने के बाद डॉ बर्नार्ड ने अमेरिका में चिकित्सा की आगे की पढ़ाई के दौरान दिल की सर्जरी की पढ़ाई शुरू की और वहां उसमें विशेषज्ञता हासिल करने के बाद दक्षिण अफ्रीका में हृदय प्रत्यारोपण पर काम किया और 1967 में दुनिया का पहला सफल हृदय प्रत्यारोपण करने का श्रेय हासिल किया. कम लोग जानते हैं कि इससे काफी पहले ही उन्होंने हाथ में आर्थराइटिस की समस्या होने लगी थी. लेकिन वे पहले प्रत्यारोपण के बाद 15 साल तक सर्जरी के साथ प्रत्यारोपण भी करते रहे.

बचपन में देख ली थी भाई की मौत
डॉ बर्नार्ड का पूरा नाम क्रिस्टियन नीथलिंग बर्नार्ड था. उनका जन्म दक्षिण अफ्रीका संघ के केप प्रांत के ब्यूफोर्ट वेस्ट में 8 नवबंर 1922 को हुआ था. चार भाइयों में से एक अब्राहम ब्लू बेबी से पीड़ित थे जिसके कारण उसकी मौत तीन साल की उम्र में में दिल की खराबी के कारण हो गई थी. ब्यूफोर्ट में ही क्रिश्चियन की स्कूली शिक्षा हुई जिसके बाद वे यूनिवर्सिटी ऑफ केपटाउन मेडिकल स्कूल में चिकित्सा पढ़ने के लिए चले गए.

दक्षिण अफ्रीका से अमेरिका
डॉ बर्नार्ड में ग्रूट शूर अस्पताल में इंटर्नशिप की जिसके बाद शुरू में वे केप प्रांत में जनरल प्रैक्टीश्नर रहे. फिर वे बाद वे ग्रूट शूर में रजिस्ट्रार बने और यूनिवर्सिटी ऑफ केप टाउन से मास्टर्स डिग्री हासिल करने के बाद  क्टरेट ऑफ मेडिसिन हासिल की. डॉ बर्नार्ड ने दिसंबर 1955 में अमेरिका के मिनोसोटा दो साल का स्कॉलरशिप प्रोग्राम किया फिर दिल की सर्जरी के विषय पर ही उन्होंने मास्टर्स ऑफ साइंस की डिग्री ली.

अंग प्रत्यारोपण से मशहूर सर्जन
पूर्ण रूप से डॉक्टर बनने के बाद डॉ  बर्नार्ड ने जानवरों पर प्रत्यारोपण के कई प्रयोग किए थे. लेकिन अमेरिका से केपटाउन लौटने के बाद उनकी दिलचस्पी अंग प्रत्यारोपण में गहरी हो चुकी थी. वे केपटाउन में सर्जरी के लेक्चरर नियुक्त हो गए. और फिर उसी अस्पताल में कार्डियोथोरैकिक विभाग के प्रमुख  बन गए. वे यहीं एक बेहतरीन हार्ट सर्जन के तौर पर मशहूर हुए.

पहला सफल मानव हृदय प्रत्यारोपण
डॉ बर्नार्ड की सबसे बड़ी उपलब्धि दुनिया का पहला मानव हृदय प्रत्यारोपण था जो 3 दिसंबर 1967 को केपटाउन के ग्रूट शूर अस्पताल में किया गया था. उनकी टीम में कुल 30 लोग थे. 9 घंटे के इस ऑपरेशन में लुई वशकांस्की का हृदय प्रत्यारोपण किया गया था. ऑपरेशन के बाद ठीक रहने के 18 दिन बाद ही उनकी निमोनिया से मौत हो गई थी.

चल निकला सिलसिला
डॉ बर्नार्ड ने दूसरा हृदय प्रत्यारोपण फिलिप ब्लाईबर्ग का किया था जो प्रत्यारोपण के बाद 19 महीनों तक जीवित रहे थे. यह ऑपरेशन 2 जनवरी 1968 को हुआ था जिसमें क्लाइव होप्ट नाम के 24 वर्षीय काले व्यक्ति का दिल लगाया गया था. इसके बाद तो हृदय प्रत्यारोपण के ऑपरेशनों की बाढ़ सी आ गई थी. अकेले ग्रूट शूर अस्पताल में दिसंबर 1967 से नवबंर 1974 के बीच 10 हृदय प्रत्यारोपण हुए. इनमें से क 24 साल, एक 13 साल और दो अन्य 18 महीने से अधिक जीने वाले मरीज थे.

रिटायर होने की वजह
वहीं 1974 और दिसंबर 1983 के बीच 49 हृदय प्रत्यारोपण हुए जिनमें से 43 ग्रूट शूर अस्पताल में हुए थे इसमें एक साल तक बचने की दर 60 फीसदी थी. वहीं डॉ बर्नार्ड 1983 में केप टाउन में कार्डियोथोरैकिक सर्जरी विभाग के प्रमुख से साल रिटायर हुए थे. उनके रिटायर होने की वजह यह थी कि उन्हे हाथों में रियूमेटॉइड आर्थराइटिस हो गया था जिससे सर्जन के रूप उनका करियर खत्म हो गया.

सच तो यह है कि डॉ बर्नार्ड 1956 से रियूमेटॉइड आर्थराइटिस से ही जूझ रहे थे. इसकी जानकारी उन्हें अमेरिका में पोस्टग्रेजुएशन का काम करने के दौरान हुई. लेकिन इसी समस्या के साथ ही वे एक दिल के सर्जन के तौर पर मशहूर हुए और उन्होंने सफल हृदय प्रत्यारोपण भी किए.  रिटारयरमेंट के बाद भी वे कई संस्थानों के लिए सलाहकार के तौर पर काम करते रहे. डॉ बर्नार्ड का निधन साइप्रस में साल 2001 में हुआ था.

     (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ के साभार )
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