विकास शर्मा
गगनयान अभियान की सफलता भारत के लिए पहली बार अंतरिक्ष में यात्रियों को भेजने भर की उपलब्धि ही नहीं होगी, बल्कि यह कवायद उसे तकनीकी तौर पर इतना सक्षम बना देगी जिसके बाद से भारत और इसरो अंतरिक्ष पर्यटन के क्षेत्र में भी कदम रख पाएगा और इससे भविष्य में कई तरह के अभियानों के लिए दरवाजे खुल जाएंगे.
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो अब अपने गगनयान अभियान की उड़ानों के परीक्षणों की शुरुआत आगामी 21 अक्टूबर से करेगा. साल 2025 तक गगन यान अभियान भारतीय धरती से और देश में ही तैयार हुए अंतरिक्ष यान के जरिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की पहली कक्षा में ले जाएगा. इस यान की पहली क्रू रहित उड़ान अगले साल के अंत में भरी जाएगी. यह अभियान भारत के अंतरिक्ष विज्ञान तकनीक में एक नई छलांग होगी क्योंकि यह पहली बार होगा जब भारत अपनी स्वदेशी तकनीक से ना केवल अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजेगा, बल्कि पहली बार ही अंतरिक्ष से वापस सुरक्षित लाने का भी काम करेगा.
सामान्य अंतरिक्ष अभियानों से बहुत अलग
इस अभियान के जरिए इसरो इंसानों को पृथ्वी की निचली कक्षा में सात दिनों तक करीब 300 से 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर भेजेगा. इसके लिए यात्रियों के लिए खास तरह के स्पेस सूट डिजाइन किए गए हैं और यात्रियों के रहने के लिए प्रशिक्षण कार्य में रूस का सहयोग मिला है. वहीं उनके लिए कैप्सूल का निर्माण इसरो ने खुद तैयार किया है जिसमें यात्रियों की सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाएगा.
अहम परीक्षणों पर काम
गगनयान अभियान पृथ्वी की कक्षा में भेजे जाने वाला मानव अतरिक्ष यान होगा जो तीन भारतीयों को सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजेगा और उसके बाद उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लौटा भी लाएगा. इससे पहले इसरो दो मानव रहित यानों को अंतरिक्ष में परीक्षण के तौर पर भेजेगा. इसी अभियान के लिए आगामी 21 अक्टूबर को टेस्ट व्हीकल अबॉर्ड मिशन-1 के जरिए परीक्षण शुरू होने जा रहे हैं.
वापसी की तैयारी हो चुकी है
गौर करने वाली बात यह है कि अंतरिक्ष से यात्रियों के वापस लाने की तकनीक पर काम तो पूरा ही चुका है उसका परीक्षण भी इसरो ने सफलता पूर्वक पूरा कर लिया है. इसके लिए ड्रोग पैराशूट तकनीक का उपयोग होगा. जिसमें यान पैराशूट के जरिए पृथ्वी पर समुद्र में लैंडिंग कर अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित पहुंचाने का काम करेगा.
गगनयान अभियान साबित करेगा कि भारत इंसानों को अंतरिक्ष में पहुंचा कर वापस ला सकता है. दुनिया में अलग ही रुतबा होगा भारत का जिस तरह से दुनिया में अमेरिका, रूस और यहां तक के चीन अपने देश से अंतरिक्ष में यात्रियों को भेज कर वापस लाते रहते हैं, यह कोई बहुत बड़ी उपलब्धि नहीं लगती है. लेकिन यह एक बहुत ही कठिन और दुर्लभ कार्य है, खास कर भारत जैसे देश के लिए जो यह कार्य पहली बार कर रहा है. इस बड़ी चुनौती के लिए इसरो भी किसी तरह की कोई कसर छोड़ने को तैयार नहीं है.
कई आयाम खुलेगें भारत के लिए
गगनयान वैसे तो इसरो की काफी पुरानी योजना है जिसे पिछले कुछ सालों से काम हो रहा है, लेकिन हाल के एक दो सालों में इसमें काफी तेजी से काम होने लगात है. इसरो का मानना है कि अंतरिक्ष तकनीक के लिहाज से इस अभियान के जरिए वह वैश्विक स्तर तक पहुंच सकता है. इसकी सफलता के बाद से अंतरिक्ष पर्यटन और उसे जुड़े कई क्षेत्र भारत और इसरो के लिए खुल जाएंगे.
भारत के स्सेस स्टेशन बनने का साफ होगा रास्ता
गगनयान अभियान की सफलता इसरो की अंतरिक्ष में कई प्रकार के वैज्ञानिक प्रयोग करने की क्षमता को बहुत ही अधिक बढ़ाने का काम करेगी. इसके अलावा इसके भारत के अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन खोलने का रास्ता भी साफ हो सकेगा जिस पर काम करने का ऐलान भारत ने हाल ही में किया है. स्पेस स्टेशन ऐसा क्षेत्र है जिसमें रूस और अमेरिका के बाद ही में चीन ने सफलता पूर्वक कदम रखा है.
(‘न्यूज़ 18 हिंदी’ के साभार )