ललित मौर्या

एक नए अध्ययन से पता चला है कि एनर्जी ड्रिंक्स की वजह से विद्यार्थियों की नींद पर असर पड़ रहा है। इतना ही नहीं इसकी वजह से उनकी नींद की गुणवत्ता में गिरावट आने के साथ-साथ अनिद्रा की समस्या भी पैदा हो रही है।

आज कल देश-दुनिया में एनर्जी ड्रिंक्स का चलन बेहद आम होता जा रहा है। यहां तक की जूस की दुकानों पर भी इन एनर्जी ड्रिंक्स को आसानी से देखा जा सकता है। इनके लोक-लुभावने विज्ञापन भी युवाओं को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। कई विज्ञापनों के मुताबिक तो इसको पीने के बाद आपको इतनी शक्ति मिलती है कि जैसे आपके पंख लग जाते हैं।

इन विज्ञापनों का ही नतीजा है कि आज बच्चे और युवा पीढ़ी बड़ी तेजी से इनके जाल में फंस रहे हैं। इनमें से कुछ शौक के लिए तो कुछ ज्यादा एनर्जी के लालच में इनके आदी बन रहे हैं। कुछ हद तक यह सही है कि इनको पीने से ज्यादा एनर्जी मिलती है और नींद नहीं आती, लेकिन यह असर बहुत थोड़े समय के लिए रहते हैं। वहीं इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को देखें तो वो कहीं ज्यादा होते हैं।

लोगों को लगता है कि इनका नियमित सेवन ही स्वास्थ्य के नजरिए से हानिकारक है। एक-आधी ड्रिंक पीने से ऐसा कुछ नहीं होता। लेकिन यह सही नहीं है। इस बारे में किए एक नए अध्ययन के मुताबिक इनका कभी-कभार किया सेवन भी छात्रों की नींदें उड़ाने के लिए काफी है। इस अध्ययन के नतीजे ओपन एक्सेस जर्नल बीएमजे ओपन में प्रकाशित हुए हैं।

रिसर्च में यह भी सामने आया है कि कोई विद्यार्थी कितनी बार इस एनर्जी ड्रिंक का सेवन करता है, उसे रात में उतनी ही कम नींद आती है। यहां तक की कभी-कभार यानी महीने में एक से तीन बार भी इसके सेवन से नींद प्रभावित होती है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, इन एनर्जी ड्रिंक में आमतौर पर प्रति लीटर करीब 150 मिलीग्राम कैफीन होता है। इसके साथ ही इसमें चीनी, विटामिन, खनिज और अमीनो एसिड भी अलग-अलग मात्रा में होते हैं। आमतौर पर इन ड्रिंक्स को ऐसे दर्शाया जाता है कि यह मानसिक और शारीरिक शक्ति को बढ़ा सकते हैं। यही वजह है कि ये कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों और युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं।

हालांकि इस बात के कुछ सबूत मौजूद हैं कि यह एनर्जी ड्रिंक नींद की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं था कि नींद के कौन से विशिष्ट पहलू इससे अधिक या कम प्रभावित होते हैं, और क्या यह प्रभाव पुरुषों और महिलाओं में अलग-अलग होते हैं।

इसे समझने के लिए ही यह अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 18 से 35 वर्ष की आयु के 53,266 युवाओं के आंकड़ों की समीक्षा की है, जो नॉर्वे के कॉलेज और विश्वविद्यालय से जुड़े थे।

इस अध्ययन में शामिल छात्रों से पूछा गया कि वो रोज, सप्ताह या महीने में कितनी बार इन एनर्जी ड्रिंक्स का सेवन करते हैं। उनसे यह भी पूछा गया कि क्या वो कभी-कभार उसका सेवन करते हैं या उन्होंने कभी भी इसका सेवन नहीं किया। उनसे उनकी नींद के पैटर्न और आदतों के बारे में भी सवाल पूछे गए, जैसे कि वो कब सोने जाते हैं, कितनी देर सोते हैं, रात्रि में कब तक जागते हैं। साथ ही उन्हें लेटने के बाद सोने में कितना समय लगता है। कोई कितनी अच्छी नींद लेता है इसकी गणना रात में बिस्तर पर बिताए समय की तुलना सोने के समय से करके की है।

सर्वे में शामिल 50 फीसदी महिला छात्राओं और 40 फीसदी छात्रों ने कभी भी एनर्जी ड्रिंक का सेवन नहीं किया था। वहीं जो लोग इसा सेवन करते हैं उनमें से 5.5 फीसदी लड़कियों का कहना था कि वो इसे सप्ताह में चार से छह बार पीती हैं, जबकि तीन फीसदी ने माना कि वो हर दिन इसका सेवन करती हैं। वहीं उनके विपरीत लड़कों में यह आंकड़ा आठ और पांच फीसदी रहा।

बढ़ते सेवन से कहीं ज्यादा बढ़ सकती हैं समस्याएं

इस अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं उनके मुताबिक इन लोगों ने कितनी एनर्जी ड्रिंक पी और उन्हें कितनी नींद मिली, इसके बीच स्पष्ट संबंध था। जो लड़के और लड़कियां प्रतिदिन एनर्जी ड्रिंक पीते थे, वे उन लोगों की तुलना में करीब आधे घंटे कम सोते थे जो कभी-कभार या बिल्कुल भी नहीं पीते थे। इसका प्रभाव इस बात में भी देखा गया कि वे रात में कितनी बार जगे और उन्हें सोने में कितना समय लगा। जैसे-जैसे उन्होंने एनर्जी ड्रिंक की मात्रा बढ़ाई, उनके रात में सोने और जागने का समय बढ़ गया, जिसका मतलब है कि उनकी नींद उतनी अच्छी नहीं थी।

इसी तरह जो महिलाएं इनका नियमित सेवन करती हैं, उनमें से 51 फीसदी ने अनिद्रा (इनसोम्निया) की शिकायत की थी। वहीं इसका कभी-कभार या बिलकुल सेवन न करने वाली महिलाओं में यह आंकड़ा 33 फीसदी दर्ज किया गया। इसी तरह इन ड्रिंक्स का रोजाना सेवन करने वाले 33 फीसदी पुरुषों ने भी कहा कि वो अनिद्रा की समस्या से जूझ रहे थे।

यहां अनिद्रा का मतलब है कि सप्ताह में कम से कम तीन दिन सोने में कठिनाई होना और सुबह जल्दी उठना। इसके साथ ही सप्ताह में कम से कम तीन दिन,  दिन के समय नींद और थकान का महसूस होना। इस स्थिति में यह सिलसिला तीन महीने तक चलता रहता है।

कुल मिलकर देखें तो जो अधिक मात्रा में एनर्जी ड्रिंक का सेवन कर रहे थे उनमें नींद सम्बन्धी समस्याओं के होने की सम्भावना कहीं ज्यादा थी। इसके साथ ही उनकी पर्याप्त नींद में भी कमी दर्ज की गई। इसी तरह जो पुरुष प्रति दिन इन एनर्जी ड्रिंक को पीते थे, उनके हर रात छह घंटे से भी कम सोने की संभावना उन लोगों की तुलना में दोगुनी से भी अधिक थी, जो कभी-कभार इन एनर्जी ड्रिंक को पीते थे।

इसी तरह रोजाना एनर्जी ड्रिंक पीने वाली महिलाओं में भी हर रात छह घंटे से कम सोने की संभावना 87 फीसदी अधिक थी। शोधकर्ताओं ने यह भी जानकारी दी है कि ये एनर्जी ड्रिंक लंबे समय में खराब नींद और सुस्ती का कारण बन सकते हैं। रिसर्च में यह भी सामने आया है कि जो लोग महीने में केवल एक से तीन बार तक एनर्जी ड्रिंक का सेवन करते हैं, उनमें भी नींद से जुड़ी समस्याओं में इजाफा देखा गया था।

गौरतलब है कि सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ने भी अपने अध्ययन में खुलासा किया है कि एनर्जी ड्रिंक्स में अतिरिक्त कैफीन होता है। भारत की शीर्ष खाद्य नियामक संस्था- भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई), इन एनर्जी ड्रिंक्स को गैर-अल्कोहल युक्त पेय पदार्थों के रूप में परिभाषित करती है, जिनमें कैफीन, ग्वाराना, टॉरिन और जिनसेंग जैसे उत्तेजक पदार्थ होते हैं।

हालांकि इसके बावजूद इन ड्रिंक्स पर अंकुश लगाने के लिए अब तक कोई विशेष नियम नहीं बनाए गए हैं। वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों का तर्क है कि इन्हें एनर्जी ड्रिंक्स बताना भ्रामक है क्योंकि चीनी को छोड़कर अन्य तत्व ऊर्जा प्रदान नहीं करते। आपको ऊर्जावान महसूस करने की ज्यादातर अनुभूति कैफीन से आती है। अध्ययन भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि यह एनर्जी ड्रिंक्स स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक नहीं हैं। इसके बावजूद भारत में भी इन एनर्जी ड्रिंक्स का व्यापार तेजी से फल-फूल रहा है।

       (‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )

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