लक्ष्मी नारायण

दुनिया भर में करीब 38 लाख लोग हर साल फंगल इंफेक्शन के कारण मर जाते हैं. ज्यादातर लोगों को पता नहीं कि यह भी बीमारी है. इसलिए जब तक लोग समझ पाए तब तक अन्य बीमारियों से खतरा बढ़ जाता है.

वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा है कि वैश्विक रूप से फंगल इंफेक्शन के कारण होने वाली मौतें पिछले कुछ सालों में दोगुना हो गई है. यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के शोधकर्ताओं ने हाल ही में इस स्टडी को प्रकाशित किया है जिसमें कहा गया है कि हर साल फंगल इंफेक्शन के मामलों में 20 लाख की बढ़ोतरी हो रही है जबकि हर साल विश्व में 38 लाख लोग फंगल इंफेक्शन के कारण समय से पहले मौत के मुंह में चले जाते हैं. आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में हर साल होने वाली मौतों में 6.8 प्रतिशत मौतें फंगस के कारण होती है. इस अध्ययन में कहा गया है कि अधिकांश लोगों को पता ही नहीं कि फंगल इंफेक्शन भी कोई बीमारी है. दूसरी ओर डॉक्टर भी सही से इसका अंदाजा नहीं लगा पाते हैं.

कैंडिडा फंगस सबसे ज्यादा खतरनाक

स्टडी के मुताबिक विश्व में 15 लाख लोग कैंडिडा फंगस के शिकार होते हैं. इस कारण हर साल 10 लाख लोगों की मौत हो जाती है. मुश्किल यह है कि कैंडिडा की जांच के लिए ब्लड टेस्ट में सिर्फ 40 फीसदी मामले चिन्हित हो पाते हैं. कैंडिडा फंगस जीवन जोखिम में डालने वाला फंगस है. कैंडिडा इंफेक्शन का इलाज न किया जाए तो इससे सेप्सिस हो जाता है जो जानलेवा साबित हो सकता है. इसके साथ ही डायबिटीज और किडनी फेल वाले मरीजों के लिए यह फंगस और ज्यादा खतरनाक है.

हर इंसान में कैंडिडा फंगस

क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक इर इंसान के शरीर में थोड़ी संख्या में कैंडिडा फंगस होता है. यह मुंह, स्किन और आंतों में घुसे रहते हैं. कैंडिडा फंगस और यीस्ट दोनों हो सकता है. अगर कैंडिडा की संख्या बढ़ने लगती है तो इससे हमारे शरीर में गुड बैक्टीरिया की संख्या कम हो जाती है जिसके कारण कई बीमारियां शरीर में पनपने लगती है.

किसे है ज्यादा खतरा

नवजात बच्चे, बच्चे और बुजुर्ग को कैंडिडा फंगल इंफेक्शन का खतरा ज्यादा है. इसके अलावा जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, जो लोग अक्सर अस्पताल जाते हैं, जिन्हें सर्जरी होती है, जिन्हें कैथेटर लगाना पड़ता है, उन्हें कैंडिडा का खतरा ज्यादा है. साथ में महिलाओं को कुछ परिस्थितियों में इसका खतरा ज्यादा है, जैसे जल्दी-जल्दी प्रेग्नेंसी, बर्थ कंट्रोल पिल का ज्यादा इस्तेमाल करने वाली, ज्यादा एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करने वाली और कमजोर इम्यूनिटी वाली महिलाओं का कैंडिडा फंगल इंफेक्शन का खतरा ज्यादा है.

कहां-कहां फैल सकता है

कैंडिडा फंगस जब शरीर में ज्यादा हो जाए तो यह मुंह, जीभ, गला, कंधा, जननांग आदि जगहों पर बीमारी को फैला सकता है. लेकिन जब यह बहुत खतरनाक होने लगे तो यह पूरे शरीर में, खून में, हड्डियों के अंदर और यहां तक कि दिमाग और हार्ट में भी फैल सकता है.

क्या है लक्षण

इन जगहों पर स्किन में रेडनेस, खुजली, छाले, चकते, पैचेज आदि के निशान आने लगते हैं. इसके साथ है प्रभावित जगहों पर दर्द, बर्निंग सेंसेशन, वेजाइनल डिस्चार्ज जैसे लक्षण दिखते हैं.

क्या है इलाज

कैंडिडा का सौ फीसदी इलाज है. एंटी फंगल दवा और क्रीम से इसे ठीक किया जा सकता है. लेकिन जब यह बहुत ज्यादा अंदर घुस जाए और सेप्सिस हो जाए तो इसे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है. इसलिए शरीर में लक्षण दिखने पर तुरंत इसका इलाज कराएं.

       (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )

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